उल्लास पूर्वक मनाया गया दीपोत्सव का पर्व दीवाली
मिर्जापुर में दीवाली का त्योहार परंपरागत रूप से मनाया गया। घर, देवालय और सरकारी दफ्तरों को रंग-बिरंगे विद्युत झालरों से सजाया गया। लोग मिट्टी के दिए जलाकर प्रकाश का उत्सव मनाते हैं। इस अवसर पर शहीदों...
मिर्जापुर, संवाददाता। कार्तिक मास कृष्ण पक्ष की आमवास्या तिथि पर अंधकार पर प्रकाश के विजय प्रतीक दीवाली का त्योहार परंपरागत रूप से मनाया गया। इस असवर पर घर आंगने से लेकर देवालय,सरकारी दफ्तरों के साथ कारोगार को सतरंगी विद्युत झालरों से सजया गया था।
पांच दिवसीय पौराणिक त्योहार दीवाली की खुशियां चहुंओर प्रकाश के रूप में बिखरी रहीं। शाम होते ही लोगों ने विद्युत झालरों के साथ ही मिट्टी के दिये घर के मुंडेरों और देवालयों में सजाए। आमवस की घोर तिमिर को प्रकाश रूपी मिट्टी दिये चुनौती देते दिखे। पौणाीक मान्यताओं के अनुसार मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के लंकाधिपति रावण पर विजय प्राप्त कर 14 वर्ष का वनवास पूरा कर अयोध्या लौटने पर रंग-बिरंगे दिये जलाकर प्रसन्नता प्रकट की गई। दूसरे पौरणीक अख्यान के अनुसार समुद्र मंथन में अनेक रत्न निकले। लक्ष्मी जी उनमें एक थी। लक्ष्मी जी ने भगवान विष्ण का वरण किया। लिहाजा लक्ष्मी को विष्ण धाम में प्रकाश और धन की स्वामीनी बनी। इस घटना को महान उत्सव प्रकाश पर्व दीवाली के रूप में मनाया जाता है। आपसी प्रेम और सौहार्द का पर्व दीवाली की खुशियां जनपद भर में तारी रहीं। पटाखे छोड़ कर लोगों ने अपनी खुशी का इजहार किया।
शहीदों के नाम जलाए दीये
प्रकाश पर्व दीवाली के अवसर पर नगर के नारघाट स्थित शहीद में नगर पालिका परिषद की ओर से साफ-सफाई करवा कर सजाया गया था। साथ ही नगर के विभिन्न सामाजिक संगठनों की ओर से शहीदों के नाम पर दीये जलाकर श्रद्धभाव प्रकट किया गया।
व्यापारियों ने बदले खाता-बही रजिस्टर
दीवाली पर लक्ष्मी पूजन के साथ व्यापारियों के लिए बेहद खास होता है। दीवाली के दिये जलाकर अपने-अपने प्रतिष्ठानेां में लक्ष्मी पूजन का आयोजन धूम-धाम से कर मिष्ठान वितरण किया गया। इसके बाद व्यापारियों ने अपने साल भर के खाता-बही रजिस्टर को बदल कर नया रजिस्टर उपयोग में लया गया। व्यापारियों के लिए हाल-व्यापार के लिहाज से दीवाली बेहद खास होता है।
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