कृष्ण की बाल लीला की कथा सुन भक्त हुए भाव विभोर
Mirzapur News - लहंगपुर के रेही गांव में श्रीमद्भागवत कथा के पांचवे दिन भरत कृष्ण शास्त्री ने भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं का वर्णन किया। उन्होंने माखन चोरी की लीला और बालकृष्ण के नटखट स्वभाव को दर्शाते हुए बताया कि...
लहंगपुर, हिन्दुस्तान संवाद। क्षेत्र के रेही गांव में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के पांचवें दिन वृंदावन के कथावाचक भरत कृष्ण शास्त्री ने भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं का वर्णन किए। उन्होंने बालकृष्ण के नटखट और ममतामयी लीलाओं पर प्रकाश डाला। कहाकि नन्हे कृष्ण ने गोकुलवासियों के दिलों में अपनी विशेष जगह बनाई। कथावाचक ने माखन चोरी की लीला का सुंदर चित्रण करते हुए कहा कि माखनचोरी केवल एक बाल लीला नहीं बल्कि इसके पीछे भगवान का गहरा प्रेम और स्नेह भाव छिपा हुआ है। शास्त्री ने कहा कि श्रीकृष्ण का माखन चोरी करना इस बात का प्रतीक था कि वे अपने भक्तों का प्रेम पाना चाहते हैं। उन्होंने समझाया कि माखन, जो मेहनत और प्रेम का प्रतीक है भगवान को भोग के रूप में अत्यंत प्रिय था। बालकृष्ण अपने सखाओं के साथ गोपियों के घर में माखन चुराने जाते थे। जिससे गोपियों का उनके प्रति प्रेम और भी बढ़ जाता था। इसके बाद उन्होंने बालकृष्ण लीला पर प्रकाश डालते हुए कहा कि कृष्ण का बाल रूप प्रेम, आनंद और स्नेह का प्रतीक है। नन्हे कृष्ण की शरारतें गोकुलवासियों के दिलों में अमिट छाप छोड़ देती थी। उन्होंने कथा में बताया कि कैसे बालकृष्ण ने अपने बालसखाओं के साथ खेल-खेल में लीला करते हुए साधारण ग्वाल-बाल की तरह जीवन जीया। भरत कृष्ण शास्त्री ने श्रीकृष्ण की ममतामयी लीलाओं के माध्यम से भक्तों को यह संदेश दिए कि भगवान प्रेम और भक्ति से ही प्रसन्न होते हैं। कृष्ण की बाल लीलाएं यह बताती हैं कि ईश्वर अपने भक्तों के साथ सदा निकट रहते हैं और प्रेम से उनके जीवन में सम्मिलित रहते हैं। श्रोताओं ने बालकृष्ण लीला का आनंद लिया और भक्ति में लीन होकर जयकारे लगाए। इस मौके पर राजेंद्र प्रसाद तिवारी, रामाचार्य शुक्ल, शंभूनाथ तिवारी आदि उपस्थित रहे।
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