स्वार्थ विहीन होनी चाहिए मित्रता: अनादि महाराज
जमालपुर के हरिहरपुर गांव में अनादि महराज ने सुदामा और कृष्ण की कथा सुनाकर श्रोताओं को भावुक किया। उन्होंने मित्रता के असली अर्थ को समझाते हुए कहा कि सच्चा मित्र वही है जो बिना कहे एक-दूसरे की मदद करता...
जमालपुर, हिन्दुस्तान संवाद। क्षेत्र के हरिहरपुर गांव में वृन्दावन से आये कथावाचक अनादि महराज ने विश्राम दिवस पर सुदामा और कृष्ण की कथा सुनाकर श्रोताओ को भाव विभोर कर दिए। कथा के बीच बीच में श्रद्धालुओं के जयकारे से पण्डाल गूंज उठा। कथावाचक अनादि महराज ने सुदामा के चरित्र का वर्णन करते हुए कहाकि मित्र हो तो श्रीकृष्ण व सुदामा की तरह, जो अपने मित्र का दुखःसुख बिना कहे समझ जाया करते थे। एक दूसरे कि मदद बिना बताए करते थे। इस समय स्वार्थपूर्ण मित्रता होती है। स्वार्थ पूरा हुआ मित्रता समाप्त हो जाती है। सुदामा संसार के सबसे अनोखे भक्त थे। उनका जीवन गरीब था, लेकिन मन से बहुत धनी थे। अपने जीवन के प्रत्येक दुख सुख को भगवान श्रीकृष्ण को सौंप देते थे। सुदामा अपनी पत्नी के कहने पर श्रीकृष्ण से मिलने द्वारिका चले गए। सुदामा के फटे पुराने कपड़े देखकर द्वारपालों ने महल के बाहर रोक दिया। द्वारपालों ने श्रीकृष्ण को जब बताया कि कोई भिखारी मिलना चाहता है और अपना नाम सुदामा बता रहा है। यह सुनकर भगवान कृष्ण ने दौड़ते हुए आये और मित्र सुदामा को गले लगा कर रोने लगे। कृष्ण ने सुदामा को अपने महल में ले गये। उन्हें दो लोक दे दिया। इसलिए मित्रता स्वार्थ विहीन सुदामा कृष्ण की तरह होनी चाहिए। इस दौरान कथा आयोजक कौशलेश सिंह, छाया सिंह, अंकित सिंह, रत्नेश सिंह, सुभाष राय, प्रताप नारायण, रामसजीवन सिंह, कामेश्वर सिंह और इन्द्र जीत सिंह इत्यादि मौजूद रहे।
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।