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जल, जमीन और जंगल बचाएंगे, तभी हम बच पाएंगे

Meerut News - प्रकृति बहुत कुछ सिखा देती है। 20वीं सदी में चेचक से दुनिया में लगभग 20 करोड़ मौत हुई थी। यह भी वायरसजनित बीमारी थी। इस बीमारी को माता के नाम से भी जाना जाता है। अंधविश्वास भी इस बीमारी में मौत का एक...

Newswrap हिन्दुस्तान, मेरठMon, 30 March 2020 01:31 AM
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प्रकृति बहुत कुछ सिखा देती है। 20वीं सदी में चेचक से दुनिया में लगभग 20 करोड़ मौत हुई थी। यह भी वायरसजनित बीमारी थी। इस बीमारी को माता के नाम से भी जाना जाता है। अंधविश्वास भी इस बीमारी में मौत का एक बड़ा कारण था। वर्तमान में पूरी दुनिया कोरोना वायरस का सामना कर रही है, जिसके चलते कई देशों में लॉकडाउन है। इससे इस समय हमें बहुत कुछ सीखने की जरूरत है। यह कहना है पर्यावरणविद् प्रोफेसर यशवंत राय का।

प्रो. राय ने कहा कि लॉकडाउन के कारण वायु की गुणवत्ता में 50 फीसदी तक सुधार हुआ है। ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में कमी आई है। जिसके कारण मार्च के अंतिम समय में भी तापमान कम है। अस्थमा से पीड़ित लोगों के लिए माहौल अच्छा है। सड़कें भी शांत है। वायु प्रदूषण के साथ ध्वनि प्रदूषण भी कम हुआ है। इससे वन्यजीव अंगड़ाई ले रहे हैं।

प्रकृति ने दिखा दिया है आईना

प्रो. यशवंत राय ने हिन्दुस्तान को बताया कि स्टेट ऑफ ग्लोबल एयर 2019 की रिपोर्ट के अनुसार 2017 में 12 लाख लोगों की मौत वायु प्रदुषण से हुई। कहा कि प्रकृति ने आईना दिखा दिया है कि यदि हमें जीना है तो बेजुबान जीवों के बारे में सोचना होगा, क्योंकि आने वाले समय में जलीय जीवों के साथ साथ स्थलीय जीवों पर खतरा होगा। यही खतरा मानव जीवन को लील लेगा। चिकनगुनिया हो या कोरोना इम्यूनसिस्टम वनस्पति ही बढ़ाती है। ड्राई फ्रूट, तुलसी, अदरक, कालीमिर्च, इलायची, आवंला, नीबू, कपूर आदि सब वनस्पति से मिलता है। जिसे हम उजाड़ रहे हैं।

शक्ति का संतुलन बन रहा

आज हम घरों में रहकर दुआ कर रहे हैं कि प्रकृति इस महामारी से बचाए। उन्होंने कहा 'प्रकृति हमें याद दिला रही है कभी केदारनाथ तो कभी प्लेग के रूप में वह शक्ति का संतुलन करना जानती है। अभी तो वो दिन भी देखना है जब लोग प्राण वायु व शुद्ध जल के लिये तरसेंगे। जल जमीन व जंगल बचाएंगे तभी हम बचे रह पाएंगे।'

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