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भ्रष्टाचार का आरोपी सिपाही दंड कम कराने पहुंचा, डीआईजी ने बढ़ा दी सजा

Meerut News - मेरठ में एक यूपी पुलिस के सिपाही को भ्रष्टाचार के आरोप में गिरफ्तार किया गया। एसएसपी ने उसे परिनिंदा लेख की सजा दी, लेकिन सिपाही ने अपील की। डीआईजी ने सजा बढ़ाने का निर्देश दिया और कहा कि विभागीय दंड...

Newswrap हिन्दुस्तान, मेरठSat, 22 Feb 2025 05:09 AM
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भ्रष्टाचार का आरोपी सिपाही दंड कम कराने पहुंचा, डीआईजी ने बढ़ा दी सजा

मेरठ। यूपी पुलिस का सिपाही भ्रष्टाचार के आरोप में गिरफ्तार किया गया था और एसएसपी मेरठ ने जांच के बाद उसे परिनिंदा लेख की सजा देकर दंडित किया था। एसएसपी द्वारा दी गई सजा के खिलाफ सिपाही ने डीआईजी कार्यालय पर अपील की। मामला भ्रष्टाचार से जुड़ा था, इसलिए डीआईजी ने सजा माफ करने की जगह सजा बढ़ाने का निर्देश एसएसपी को दिया है। निर्देश देने के बाद फाइल मेरठ एसएसपी को लौटाई गई है। पूरी रेंज के जिलों में भ्रष्टाचार से जुड़े तमाम मामलों में त्वरित कार्रवाई का आदेश दिया है। परीक्षितगढ़ की चौकी चितवाना पर वर्ष 2023 में यूपी पुलिस का आरक्षी फूल कुमार तैनात था। 19 नवंबर 2023 को सिपाही को चार गैर जमानती वारंट मुजीब, रहीस, जफर और इमरार निवासी सौदात गांव के प्राप्त हुए थे। आरोप है 23 दिसंबर और 25 दिसंबर 2023 को सिपाही ने आरोपियों के घर जाकर धमकाते हुए 20 हजार रुपये रिश्वत मांगी। 10 हजार रुपये देना तय किया गया। 29 दिसंबर को सरताज ने चौकी चितवाना पहुंचकर 10 हजार रुपये सिपाही फूलकुमार को दिए। इसी दौरान एंटी करप्शन टीम ने आरोपी सिपाही को गिरफ्तार कर लिया और भावनपुर थाने में सिपाही फूल कुमार के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया। सिपाही के खिलाफ 21 फरवरी 2024 को पुलिस ने चार्जशीट कोर्ट भेज दी थी।

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एसएसपी ने भी दिया दंड

इस मामले में एसएसपी की ओर से सिपाही के खिलाफ सस्पेंशन की कार्रवाई करते हुए विभागीय जांच का आदेश दिया गया। जांच एसपी ट्रैफिक कर रहे थे। जांच रिपोर्ट के आधार पर एसएसपी ने आरोपी सिपाही के खिलाफ परिनिंदा लेख की सजा से दंडित किया। इस सजा के खिलाफ सिपाही फूल कुमार ने रेंज कार्यालय पर अपील की थी। भ्रष्टाचार जैसे आरोप के चलते डीआईजी मेरठ कलानिधि नैथानी ने सजा माफ नहीं की, बल्कि पुलिस विभाग की छवि खराब करने और दुराचरण के चलते सिपाही की फाइल पर कमेंट दिया है। डीआईजी ने लिखा है जो विभागीय दंड सिपाही को दिया गया है, वह किए गंभीर अपराध की तुलना में समानुपातिक नहीं है। एसएसपी ने मात्र लघुदंड दिया है, जबकि इस मामले में बर्खास्तगी या न्यूनतम वेतन जैसी सजा दी जानी चाहिए।

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