बारिश ने अन्नदाता पर बरपाया कहर, गेहूं की फसल भीगी
समुद्री तूफान तौकते के चलते 24 घंटे लगातार हुई बारिश से खेतों में कटी और खड़ी गेहूं की फसल भीग गई। किसानों का कहना है कि बारिश से गेहूं का दाना...
मवाना। संवाददाता
समुद्री तूफान तौकते के चलते 24 घंटे लगातार हुई बारिश से खेतों में कटी और खड़ी गेहूं की फसल भीग गई। किसानों का कहना है कि बारिश से गेहूं का दाना मुलायम हो गया है। अब इसे सूखने में एक सप्ताह लगेगा। इसके बाद ही फसलों की कटाई हो सकेगी।
बुधवार से गुरुवार सुबह तक लगातार हुई बारिश ने मवाना तहसील क्षेत्र के किसानों को काफी नुकसान पहुंचाया है। दरअसल मौसम विभाग की बारिश होने की भविष्यवाणी के बाद किसान गेहूं की फसल की कटाई और थ्रेसिंग कराने में जुटे थे, ताकि वे समय रहते कटी फसल को सुरक्षित स्थान पर ला सके पर ऐसा नहीं हो पाया। बारिश के कारण खेतों में कटी और खड़ी हजारों बीघा फसल भीग गई।
किसानों का कहना है कि बारिश के कारण फसल के दाने और बाली टूटने से खासा नुकसान हुआ है। जो फसल अभी खेतों में खड़ी है उसके सूखने तक कटाई नहीं हो सकेगी। कटी फसल की पूली दोबारा खोलकर सुखानी पड़ेगी। सूखने के बाद ही फसल की थ्रेसिंग कराई जा सकेगी। फसल भीगने की वजह से गेहूं का दाना काला पड़ने की आशंका है। इसके बाद उन्हें फसल के पूरे दाम नहीं मिल पाएंगे। किसान बताते हैं कि अप्रैल और मई के पहले हफ्ते तक मजदूर पंचायत चुनाव के कारण व्यस्त रहा। खेतों पर मजदूरी करने नहीं गया। इस कारण गेहूं की कटाई का काम देरी से हो पाया।
60 सालों में 24 घंटे बारिश नहीं हुई
सीना गांव निवासी किसान वीरसिंह और मवाना निवासी ओमपाल सिंह बताते हैं कि उनकी याद में मई में 24 घंटे लगातार बारिश नहीं हुई। मई में आंधी और हल्की बारिश होना एक आम बात है लेकिन इस बार 24 घंटे हुई बारिश ने अन्नदाताओं की कमर तोड़ दी।
किसानों से खरीदा गेहूं बरामदे में रखा है
मवाना। हस्तिनापुर रोड नवीन सब्जी मंडी मवाना परिसर में पीसीएफ, यूपीएसएस और खाद एवं रसद विभाग के गेहूं खरीद केंद्र हैं। यहां गेहूं भंडारण के लिए खुले बरामदे हैं। तीनों खरीद केन्द्रों पर रोजाना गेहूं खरीद हो रही है। गुरुवार सुबह भी किसान ट्रैक्टर-ट्रॉली पर पॉलीथीन लगाकर गेहूं बेचने आए। दोपहर बाद मौसम साफ होने के बाद ही तीनों केंद्रों पर गेहूं की खरीद शुरू हो सकी। भारतीय खाद्य निगम के वरिष्ठ विपणन अधिकारी प्रमोद शर्मा ने बताया कि तीनों केन्द्रों पर गेहूं खरीद का काम चलता रहा। खरीदा हुआ गेहूं ट्रकों से भेज दिया गया। किसी भी केंद्र पर बारिश में गेहूं नहीं भीगा है।
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