भारत में अंग्रेजों ने बनाया हिन्दू-मुस्लिम का भेद
Meerut News - वाणी की शक्ति मनुष्य के लिए अल्लाह का उपहार है। उर्दू और अन्य भाषाओं की स्वतंत्रता आंदोलन में भूमिका पर सेमिनार हुआ। प्रो.तनवीर चिश्ती ने कहा कि सच्चा देशभक्त वह है जो अपनी धरती और लोगों से प्यार करता...
वाणी की शक्ति मनुष्य के लिए अल्लाह का उपहार है। कविता हमारे जीवन का अभिन्न अंग है। दुनिया की पुरानी भाषा संस्कृत और नई भाषा उर्दू भी यहीं मौजूद है। यानी भारत में हिंदू-मुस्लिम का भेद अंग्रेजों ने बनाया था। फ़ारसी लिपि में लिखी जाने वाली भाषा उर्दू है और देव नागरी लिपि में हिंदी। सच्चा देशभक्त वही है जो इस धरती के साथ-साथ यहां के लोगों से भी प्यार करता है। सीसीएसयू कैंपस के उर्दू विभाग में तहरीके आजादी और शायरी विषय पर सेमिनार में यह बात बतौर मुख्य अतिथि प्रो.तनवीर चिश्ती ने कही। प्रो. असलम जमशेदपुरी ने कहा कि आजादी में उर्दू एवं अन्य भाषाओं की क्या भूमिका थी, इसे नई पीढ़ी तक पहुंचाया जाना चाहिए। एनआईओएस के सहायक निदेशक डॉ.शोएब रजा वारसी ने कहा कि पाठ्य पुस्तकों में एनसीईआरटी का वास्तविक पाठ्यक्रम इस्माइल मेरठी के साथ भी याद किया जाता है। उनकी किताबें सभी उर्दू विद्वानों और छात्रों के लिए अवश्य पढ़ी जानी चाहिए। एनआईओएस ऐसा पाठ्यक्रम है जिसमें सभी भाषाओं में किताबें होती हैं। उर्दू किसी एक राष्ट्र की भाषा नहीं बल्कि पूरे भारत की भाषा है। प्रो.फारूक अंसारी ने कहा कि आज की युवा पीढ़ी के लिए अपने बुजुर्गों की सेवाओं को याद रखने के लिए स्वतंत्रता आंदोलन और शायरी जैसे विषय महत्वपूर्ण हैं। स्वतंत्रता आंदोलन में महिलाओं की भूमिका पुरुषों से कम नहीं है। समापन सत्र में मुशायरा हुआ। वारिस वारसी, डॉ.रामगोपाल भारतीय, असरारुल हक असरार, तलत सिरोहा, दिल ताज महली, नुजहत अख्तर, मो. कादिर, दीपक शर्मा, फखरी मेरठी, अदना इश्काबादी एवं प्रो.तनवीर चिश्ती ने अपनी शायरी पेश की। उज़मा सहर, डॉ.नवेद खान, डॉ.इरशाद सयानवी, डॉ.इब्राहिम अफसर, डॉ.वसी आज़म अंसारी, डॉ.आसिफ अली, आफाक अहमद, डॉ.अलका वशिष्ठ, सरताज अहमद एडवोकेट और डॉ.इफ्फत जकिया सहित सभी शिक्षक, शोधार्थी एवं छात्र मौजूद रहे।
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