अंतरमुखी युवाओं में अवसाद बढ़ा रही सोशल मीडिया की लत
Meerut News - विश्व अंतरमुखी दिवस -अवसाद पीड़ित अधिकतर मरीजों का स्वभाव अंतरमुखी -मानसिक स्वास्थ्य खराब कर रही
अंतरमुखी युवाओं को सोशल मीडिया की लत अवसाद के दलदल में ढकेल रही है। मन की बात किसी से साझा न करने और हर समस्या का हल गूगल के जरिये ढूंढने की प्रवृत्ति ऐसे युवाओं पर भारी पड़ती है। डॉक्टरों के पास आने वाले मानसिक अवसाद से पीड़ित अधिकतर मरीजों का स्वभाव अंतरमुखी पाया जाता है। विशेषज्ञों का कहना है कि अंतरमुखी लोग आमतौर पर अकेले रहना पसंद करते हैं। वह किसी से ज्यादा बात नहीं करते, अपनी समस्या भी दूसरे से साझा नहीं करते। ऐसे लोग टीवी या मोबाइल पर समय अधिक बिताते हैं। ऐसे लोग किसी भी बीमारी का इलाज फोन और इंटरनेट पर खोजने लगते हैं। उन्हें वहां पर समुचित इलाज नहीं मिलता तो उनमें चिड़चिड़ापन आ जाता है। वे बाहरी दुनिया से विमुख हो जाते हैं। वह अपनी व्यक्तिगत समस्या का हल ढूंढने की जद्दोजहद में मोटिवेशनल स्पीकर्स की लिस्ट बढ़ाते जा रहे हैं। स्पीच सुनकर भी अपनी परेशानी का हल नहीं मिलने पर वह गंभीर अवसाद में पहुंच रहे हैं।
अपने मन की बात साझा नहीं करने की प्रवृत्ति मानसिक अवसाद का बड़ा कारण बन रही है। अंतरमुखी लोगों का किसी समस्या का हल ही नहीं हो पाने की धारणा पाल लेना गंभीर समस्या है। ऐसे लोगों में अपनी समस्या का हल गूगल और सोशल मीडिया के जरिये ढूंढने की प्रवृत्ति बढ़ रही है।
-डॉ. रवि राणा, मनोरोग विशेषज्ञ
सोशल मीडिया की लत अवसाद और तनाव दे रही है। जब लोग किसी से आमने-सामने मिलते हैं, तो उसके चेहरे के हावभाव, बॉडी लैंग्वेज से उसे समझते हैं। वर्चुअल दुनिया में रहने वाला व्यक्ति लोगों को समझना और दुनियादारी नहीं सीख पाता। इससे भी मानसिक स्वास्थ्य खराब होता है।
-डॉ. तरुण पाल, मानसिक रोग विभागाध्यक्ष मेडिकल
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