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मेरठ बिलेश्वरनाथ की धरती, यहां शिवपुराण कहना सौभाग्य की बात

Meerut News - शिवपुराण की कथा सुनना एक सौभाग्य की बात है, खासकर मेरठ जैसे पावन स्थल पर जहां भगवान शिव का वास है। प्रसिद्ध कथा वाचक प्रदीप मिश्रा ने मेरठ का गुणगान करते हुए कहा कि यहां के गजक और रेवड़ी का स्वाद ठंड...

Newswrap हिन्दुस्तान, मेरठMon, 16 Dec 2024 02:01 AM
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शिवपुराण की कथा कहना और सुनना सौभाग्य की बात है लेकिन यदि यह कथा ऐसी धरती पर हो जिसके कण-कण में भगवान शिव विद्यमान हों तो अमृतपान करने वाला परम सौभाग्यशाली होता है। मेरठ भी ऐसी धरती है। बिलेश्वरनाथ और बाबा औघड़नाथ की इस धरती पर राजा मय जैसा शिवभक्त भी हुआ है। इसलिए यहां शिवपुराण कथा सुनने वालों पर भगवान शिव की विशेष कृपा है। उन्होंने बाबा औघड़नाथ और बिलेश्वरनाथ का स्मरण करते हुए कथा की शुरुआत की। सुप्रसिद्ध कथा वाचक प्रदीप मिश्रा ने रविवार को अपनी कथा में मेरठ का खूब बखान किया। उन्होंने कहा कि मेरठ का वर्णन सिर्फ सतयुग में ही नहीं मिलता बल्कि त्रेता और द्वापर युग में भी इसका वर्णन मिलता है। मेरठ का नाम राजा मय के नाम पर है। राजा मय ने सतयुग में भगवान शिव की आराधना की। उनकी पुत्री मंदोदरी भी भगवान शिव की बड़ी भक्त थी। बिलेश्वरनाथ मंदिर आज भी इसका प्रमाण है। बाबा औघड़दानी का पौराणिक मंदिर भी यहां है। ऐसी पावन धरती पर शिवपुराण कथा सुनना अमृतपान से कम नहीं है। उन्होंने कहा कि मेरठ के एक ओर हरिद्वार है तो दूसरी ओर हस्तिनापुर नगरी है। बीच में शिव कथा हो रही है।

मेरठ की गजक और रेवड़ी का भी जिक्र किया

कथा वाचक प्रदीप मिश्रा ने अपनी कथा में मेरठ की गजक और रेवड़ी का भी जिक्र किया। कहा कि इन दिनों कड़ाके की ठंड पड़ रही है लेकिन मेरठ में कुछ अधिक ठंड है। ऐसी ठंड में गजक और रेवड़ी खाने का आनंद कुछ और ही होता है। मेरठ की गजक और रेवड़ी दूर दूर तक प्रसिद्ध है। ठंड में शिवपुराण की कथा सुनने से भक्त भोले बाबा की भक्ति से ऐसे चिपक जाता है कि उसे ठंड का एहसास नहीं होता। इसी तरह गजक रेवड़ी के सेवन से भी ठंड दूर होती है।

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