गोवा मुक्ति संग्राम में खाई लाठियां, बटों की मार
-क्रांतिकारी शांति त्यागी के नेतृत्व में किया था गोवा में जत्थे ने प्रवेश -पुर्तगालियों ने
बात 1947 में मेरठ कॉलेज के प्रथम दीक्षांत समारेाह की है। सेठ गूजरमल मोदी ने कॉलेज में 40 हजार रुपये की शर्त पर समारोह को संबोधित करने का अधिकार मांग लिया। लेकिन शांति त्यागी ने साथियों सहित इसका विरोध कर दिया। शांति त्यागी ने कहा कि वह अनपढ़ सेठ से डिग्री नहीं लेंगे। उस वक्त शांति त्यागी मेरठ कॉलेज में बीए अंतिम वर्ष के विद्यार्थी थे। अपने क्रांतिकारी विचारों और अटूट देशभक्ति के दम पर शांति त्यागी ने 1955 में गोवा मुक्ति संग्राम में उत्तर प्रदेश के साथियों के जत्थे का नेतृत्व करते हुए गोवा में प्रवेश किया। ऐसा करने पर पुर्तगाली सैनिक, शांति त्यागी पर टूट पड़े और उन्हें लाठियों और राइफल की बटों से मारते हुए गंभीर यातनाएं दी। उनके शरीर का ऐसा कोई हिस्सा नहीं बचा जहां घाव नहीं था। सीसीएसयू कैंपस में इतिहास के विभागाध्यक्ष प्रो.केके शर्मा ने उत्तर प्रदेश का स्वतंत्रता संग्राम: मेरठ पुस्तक में शांति त्यागी के देश की आजादी और गोवा मुक्ति संग्राम में उनके अद्वितीय योगदान का विस्तार से वर्णन किया है।
इंदिरा गांधी से हुए प्रभावित, कांग्रेस में शामिल हुए
शांति त्यागी, इंदिरा गांधी की प्रगतिशील नीतियों एवं विचारों से प्रभावित हुए और 1971 में कम्युनिस्ट पार्टी से त्याग पत्र देकर कांग्रेस में शामिल हो गए। 1982 में इंदिरा गांधी ने शांति त्यागी को राज्यसभा के लिए मनोनीत किया। राजीव गांधी ने पुन: शांति त्यागी को राज्यसभा का सदस्य नामित किया। तत्कालीन उप राष्ट्रपति डॉ.शंकर दयाल शर्मा के नेतृत्व में शांति त्यागी सरकारी प्रतिनिधिमंडल में शामिल होकर कोरिया एवं मंगोलिया गए। उन्होंने चीन, हांगकांग एवं रूस की यात्रा की।
विद्यार्थी खादी लीग की स्थापना
1939 में बीए में प्रवेश लेकर शांति त्यागी छात्रावास में रहने लगे। यहां उन्होंने साथी मिट्ठन लाल त्रिवेदी, मुलिदेव त्यागी, भूपाल सिंह, उत्तम सिंह और प्रेमनाथ गर्ग के साथ मिलकर विद्यार्थी खादी लीग की स्थापना की।
और निकल पड़े रूस के लिए...
शांति त्यागी रूसी क्रांति के विचारों से बहुत अधिक प्रभावित हो गए और रूस पहुंचने के लिए जमनादत्त ब्रह्मचारी के साथ ब्लूचिस्तान के क्वेटा नगर पहुंच गए। वहां कैथवाड़ी के नकली सिंह रहते थे, लेकिन गुप्तचर पुलिस के पीछा करने के कारण शांति त्यागी अफगानिस्तान का रास्ता नहीं पकड़ सके और वापस लौट आए। शांति त्यागी मेरठ जिले के कैथवाड़ी गांव में 1920 में जन्मे थे। इसके बाद शांति त्यागी कम्युनिस्ट बन गए। उनके साथ कामरेड मुसद्दी लाल, भगत सिंह, भारत सिंह, रामदास थे। यह समूह कम्युनिस्ट नेता सज्जद जहीर, मनमंथ गुप्त, पं.रामानंद एवं हरमेंद्र सिंह सोढ़ी के साथ विचारों का आदान-प्रदान करता था।
कम्युनिस्ट होते हुए भी भारत छोड़ो आंदोलन के थे समर्थक
1942 में पं.जवाहर लाल नेहरू मेरठ आए थे। शांति त्यागी से उनकी मुलाकात जत्तीवाड़ा में हुई थी। नेहरू शांति त्यागी से प्रभावित हुए और उन्हें कांग्रेस में शामिल करने को कहा। शांति त्यागी कम्युनिस्ट होते हुए भी भारत छोड़ो आंदोलन के कट्टर समर्थक थे।
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।