ऑक्सीजन के लिए भागते रहे, मां को नहीं बचा पाए
दिन-रात भागते रहे। कभी गैस एजेंसी पर तो कभी अस्पताल में बेड के लिए। अंतिम प्रयास तक मां की जिंदगी बचाने के लिए बच्चे भागे, लेकिन फिर भी मां की ममता...
दिन-रात भागते रहे। कभी गैस एजेंसी पर तो कभी अस्पताल में बेड के लिए। अंतिम प्रयास तक मां की जिंदगी बचाने के लिए बच्चे भागे, लेकिन फिर भी मां की ममता का आंचल छूट गया। कोरोना के प्रकोप में ऐसे केस भी सामने हैं, जिन्होंने अपनी मां को बचाने के लिए काफी प्रयास किया, लेकिन तमाम कोशिश के बाद भी मां का जीवन नहीं बच पाया।
केस नंबर एक :
प्रहलाद नगर निवासी रितिक व उनका भाई अपनी मां को बचाने के लिए रातभर खाली सिलेंडर भरवाने के लिए दौड़ते रहे। परतापुर से मोहिउद्दीनपुर भी गए। पूरी रात फोन पर बातचीत व भागदौड़ के बाद भी सिलेंडर नहीं भरा जा सका। इस बीच उनकी मां ने दम तोड़ दिया।
केस नंबर दो :
नेहरूनगर निवासी विजय भार्गव पहले खुद पॉजिटिव आए। इसके बाद उनकी माता, पिता, पत्नी को संक्रमण हुआ। इस बीच पूरे परिवार की देखरेख में मां की तबीयत खराब हो गई। आक्सीजन भी लगवाई लेकिन दूसरी ऑक्सीजन सिलेंडर का इंतेजाम बहुत देर में हुआ। जब हाथ में सिलेंडर आया, तभी उनकी मां ने प्राण त्याग दिए। ऐसे स्थिति में विजय ने खुद को टूटा हुआ महसूस किया और मां के अंतिम संस्कार की प्रक्रिया को पीपीई किट पहनकर पूरा किया।
केस नंबर तीन :
मुल्तान नगर निवासी योगेंद्र कुमार की माता गढ़ रोड के एक अस्पताल में भर्ती थी। उन्हें ऑक्सीजन लगी थी। रात के समय आक्सीजन की कमी हुई और उनकी माता ने उनका साथ छोड़ दिया। इस घटना के बाद वह फिर भागदौड़ करते रहे। उन्हें विश्वास ही नहीं हुआ। उन्हें लगा शायद सूचना गलत है। आज मां को न बचा पाने का गम अलग है और आंखों से आंसू बंद नहीं हैं।
केस नंबर चार :
ईव्ज के पास रहने वाले दीपक लोधी की माता अस्पताल में भर्ती थी। उन्हें ऑक्सीजन की जरूरत थी। बेटा दीपक दोपहर से गैस एजेंसी पर खड़ा रहा, लेकिन ऑक्सीजन नहीं मिली। इतने में दीपक की मां ने दम तोड़ दिया। बेटा मां को बचाने के लिए गैस एजेंसी पर भागता रहा।
केस नंबर पांच :
परतापुर निवासी मोनिका का दर्द भी बहुत गहरा है। अपने कोरोना संक्रमित माता पिता को बचाने के लिए वह दिन रात भागती रहीं। व्हाटसप ग्रुप पर मदद मांगी, लेकिन ऑक्सीजन नहीं मिल सका। थोड़ी देर बाद सूचना मिली कि पहले पापा चल बसे। इसके बाद मां ने भी दम तोड़ दिया। दोनों दुनिया छोड़कर चले गए।
केस नंबर छह :
पीवीएस के पास रहने वाले मयंक शर्मा अपनी मां की तबीयत खराब होने पर मेरठ से बाहर भी भागे, लेकिन इधर उधर भागदौड़ करने के बाद मां को मेडिकल लेकर आए और ऑक्सीजन की जरूरत पड़ी, लेकिन फिर भी मां की सांसों को नहीं बचा पाए। कई दिन बाद उन्होंने दम तोड़ दिया।
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