बेटी को दहेज में अच्छी शिक्षा दें : पंडित प्रदीप मिश्रा
Meerut News - मेरठ में शिव महापुराण कथा के दूसरे दिन कथावाचक प्रदीप मिश्रा ने बेटियों की शिक्षा और संस्कार पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि दहेज देने की बजाय शिक्षा और अच्छे संस्कार देना आवश्यक है। परिवार और समाज के...
मेरठ। शिव महापुराण कथा में सोमवार को दूसरे दिन सुप्रसिद्ध कथावाचक प्रदीप मिश्रा ने बेटियों की शिक्षा और संस्कार पर बल दिया। कहा कि बेटियों को दहेज में अच्छी शिक्षा दें और उन्हें संस्कारवान बनाएं। यदि बहन, बेटी की नजर नीचे रहेगी तो पिता और भाई का सिर हमेशा गर्व से ऊंचा रहेगा। जिस घर में अच्छे संस्कार नहीं होते वहां की आने वाली नस्लें खराब हो जाती हैं। इसलिए बच्चों को शुरू से अच्छी शिक्षा और संस्कार देकर श्रेष्ठ इंसान बनाएं। भगवान शिव की महिमा सुनाकर लोगों को आनंदित और आह्लादित करने वाले विश्वप्रसिद्ध कथावाचक प्रदीप मिश्रा ने सोमवार को अपनी कथा में परिवार और समाज के विघटन पर चिंता जताई। इसे एक सूत्र में पिरोने पर बल दिया। मेरठ के शताब्दीनगर में चल रही कथा में सोमवार को उन्होंने सामाजिक समरसता पर बल दिया। बिखरते परिवार, बिगड़ते सामाजिक ताने बाने को सहेजने की अपील की। उन्होंने बेटियों की शिक्षा पर बल दिया।
उन्होंने कहा कि सतयुग, त्रेतायुग और द्वापर युग में खूब दान दहेज देने का चलन था, लेकिन कलियुग में दहेज नहीं शिक्षा देने की जरूरत है। राजा दक्ष ने बेटी सती के विवाह में खूब धन दौलत दिया लेकिन वह किसी काम नहीं आया। जबकि हिमालयराज ने अपनी बेटी पार्वती को दहेज नहीं श्रेष्ठ संस्कार दिए थे। संस्कार अच्छे होंगे तो परिवार अच्छा होगा। परिवार अच्छा होगा तो समाज अच्छा बनेगा।
रुद्राक्ष धारण करो न करो, लेकिन वाणी में मधुरता जरूर रखो
प्रदीप मिश्रा ने रुद्राक्ष और वाणी का महत्व बताया। कहा कि रुद्राक्ष धारण करने से शारीरिक और मानसिक विकारों से मुक्ति मिलती है, लेकिन वाणी की मधुरता बड़े से बड़ा द्वेष मिटा देती है। इसलिए रुद्राक्ष धारण करो न करो, लेकिन वाणी में मधुरता जरूर रखो। उन्होंने प्रसंग जोड़ा कि मां जगतजननी ने अपने हाथों से शिव की आंख को बंद कर लिया था, उस समय शिव की आंखों से जो अश्रु गिरे वही रुद्राक्ष है। इसलिए इसे शिव का ही स्वरूप माना गया है। रुद्राक्ष धारण करने से सभी शारीरिक व्याधियों से मुक्ति मिल जाती है। इसी तरह मधुर वाणी का भी विशेष महत्व है। दो मीठे बोल बड़े से बड़े द्वेष को दूर करने की शक्ति रखते हैं। कहा कि पानी को वाणी से अमृत बनाओ। जिस तरह मधुर वाणी से आराध्य देव की स्तुति करते हो, उसी तरह बूढ़े मां-बाप से प्रेम से बोलो। घर में सभी मधुर वचन बोलें तो घर मंदिर बन जाएगा, परिवार टूटने से बच जाएगा। समाज और परिवार के टूटने का सबसे बड़ा कारण वाणी की कटुता है। वाणी की मधुरता ही व्यक्ति को श्रेष्ठ बनाती है।
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जेवर और तेवर घर में रखकर कथा में आओ
पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहा कि शिव को दौलत या शोहरत से नहीं, उनकी भक्ति से पाया जा सकता है। इसलिए कथा में आने से पहले जेवर और तेवर दोनों को घर पर रखकर आओ। शिव की आराधना में ये दोनों बाधक हैं। इनके त्याग से ही शिवभक्ति संभव है। कोई कितना भी अमीर या गरीब हो, श्मशान में पहुंचकर सभी एक बराबर हो जाते हैं। शिव किसी के साथ भेद नहीं करते। उन्होंने कहा कि जन्म से मृत्यु के बीच जीवन में कम से कम सौ बार मृत्यु जैसा गंभीर संकट आता है, इसे सत्कर्म और देवाधिदेव महादेव की आराधना टाल देती है। इसलिए अपने अंदर शिवतत्व को जगाएं।
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भक्ति में लगाना ही तन-मन, धन का श्रेष्ठ उपयोग
प्रदीप मिश्रा ने कहा कि तन-मन और धन को ईश्वर की भक्ति में लगाना ही उसका श्रेष्ठ उपयोग है। तन की शुद्धता और मन कर एकाग्रता के बिना ईश्वर की भक्ति नहीं मिलती। इसी तरह धन का उपयोग भी वही श्रेष्ठ माना जाता है, जो धर्म के लिए खर्च किया जाए। जो तन-मन और धन ठाकुर जी में नहीं लगता वह ठेके पर लगता है। इसलिए इसे परमात्मा में लगाओ। उन्होंने कहा कि आज सबसे सुखी व्यक्ति वही है जिसके कमरे में नींद की गोली नहीं है।
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संभल में मंदिर का सच सामने आ गया
पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहा कि संभल में जो मंदिर वर्षों से बंद पड़ा था अब वह खुल गया है। वर्षों तक इस मंदिर को दबाने और छुपाने की कोशिश की गई लेकिन अब सच सामने आ गया है। कहा कि सच को दबाया जा सकता है लेकिन ज्यादा दिनों तक छिपाया नहीं जा सकता। उन्होंने इसके लिए प्रदेश सरकार को धन्यवाद भी दिया।
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