सनातन धर्म को बदनाम करने का हो रहा षड्यंत्र : प्रदीप मिश्रा
Meerut News - -विश्वप्रसिद्ध कथावाचक ने सनातन विरोधियों पर निशाना साधा -कहा, प्रलोभन देकर सीधे-साधे लोगों को बहलाया
विश्व प्रसिद्ध कथावाचक प्रदीप मिश्रा का कहना है कि सनातन धर्म को बदनाम करने का षड्यंत्र रचा जा रहा है। इसके पीछे कुछ देश और धर्म विरोधी ताकतें काम कर रही हैं। लेकिन इससे परेशान होने की जरूरत नहीं है। बस धर्म के मार्ग पर चलते रहें और अपने बच्चों को भी सनातन धर्म की शिक्षा दें, उससे जोड़ें। मेरठ के शताब्दीनगर में रविवार को शिव महापुराण की कथा करते हुए प्रदीप मिश्रा ने सनातन विरोधियों पर निशाना साधा। उनसे सावधान रहने को सचेत किया। कहा कि देश में ऐसी ताकतें गुपचुप तरीके से काम कर रही हैं। उनका ध्येय सनातन धर्म को कमजोर कर अपने धर्म को स्थापित करना है। इसके लिए चुपचाप प्रचार प्रसार किया जा रहा है। प्रलोभन देकर सीधे साधे लोगों का मन-मस्तिष्क परिवर्तित किया जा रहा है। उन्हें भड़काया जा रहा है। गलत संदेश प्रसारित किए जा रहे हैं। धर्मग्रंथों के बारे में झूठी जानकारी दी जा रही है। ऐसे लोगों से डरें नहीं, परेशान न हों। सावधान रहें। धर्म के मार्ग पर अडिग रहें। बच्चों को भी सनातन धर्म की शिक्षा दें, उससे जोड़ें। जब हम सनातन धर्म से जुड़े रहेंगे तो कोई भी ताकत हमारा कुछ नहीं बिगाड़ पाएगी। उन्होंने कहा कि जब कोई सच्चे मन से भगवान की पूजा करता है तो विरोधियों में बेचैनी बढ़ जाती है। उन्हें डर सताने लगता है कि पता नहीं ईश्वर उन पर क्या कृपा कर दें।
शिव को सांसों से जोड़ना ही शिवपुराण कथा का असली प्रसाद
शिव महापुराण कथा संपूर्ण विश्व का कल्याण करने वाली है। इस कथा के श्रवण मात्र से मनुष्य का उद्धार हो जाता है। शिव की भक्ति में खुद को लीन कर लेना, अपनी सांसों को शिव से जोड़ लेना ही शिवपुराण की कथा का असली प्रसाद है। जिसने इस प्रसाद को प्राप्त कर लिया उसे जीवन में कोई कष्ट नहीं हो सकता। सुप्रसिद्ध कथावाचक प्रदीप मिश्रा ने रविवार को शताब्दीनगर में शिव महापुराण कथा के पहले दिन कथा करते हुए ये बातें कहीं।
कथा वाचक प्रदीप मिश्रा ने कहा कि भगवान शिव की अराधना करने वाले भक्त कभी भी दुखी नहीं होते हैं। भगवान भोलेनाथ हर भक्त की सुनते हैं। भोले की भक्ति में शक्ति होती है। इसलिए वह कभी भी किसी भी भक्त की किस्मत पलट सकते हैं। बस भक्तों को भगवान शिव पर विश्वास करना चाहिए और हर दिन उनकी अराधना करनी चाहिए। उन्होंने बताया कि भगवान शिव नित्य स्मरण, भजन व मंत्रजाप करने वाले का कल्याण निश्चित ही करते हैं। जिस भाव और चित से भक्त भगवान शिव को रिझाता है, वह त्रिकालदर्शी उसको उसी रूप में स्वीकार करते हैं। भगवान शंकर की कथा कहती है कि अगर भक्त किसी भी तरह से भगवान शिव के मंदिर के सामने से निकल जाए तो यह मानकर चलें कि मेरा शिव दया जरूर करेगा। आप शिवालयों में न जाकर केवल घर के नजदीक के शिवालय के सामने से भी हृदय भाव से भी निकल गए तो शिव आपकी झोली खुशियों से भर देंगे। मन को स्थिर कर शिव महापुराण से जोड़ना पड़ता है ताकि मन विचलित न हो। जब यह मन शिव महापुराण से बंध जाएगा तब औघड़दानी आपकी झोली भी भर देगा।
शिव दिखावे से परे
शिव की महिमा का बखान करते हुए कथा वाचक प्रदीप मिश्रा ने कहा कि जिस तरह सच्चा भक्त प्रभु के दर्शन का भूखा होता है उसी प्रकार भगवान भी भक्त के निष्काम भाव से की गई पूजा से खुश होते हैं। शिव सृष्टि के संहारक कहे जाते हैं लेकिन उनकी पूजा में बलि का विधान नहीं है। उन्हें पशुपतिनाथ की संज्ञा दी गई है। जिस तरह छोटी सी गोली बड़े से बड़ा दर्द मिटा देती है, उसी प्रकार सात दिन शिवपुराण कथा का अमृतपान करने से हर कष्ट कट जाता है। इसीलिए हर काम छोड़कर शिव का स्मरण करो।
चिकित्सक भी शिव का रूप
कथा वाचक प्रदीप मिश्रा ने कथा सुनाते हुए चिकित्सकों को भी शिव का रूप बताया। कहा कि शिव अपने भक्त का हमेशा कल्याण करते हैं। वह हमेशा भक्त का कल्याण चाहता है। यदि कोई पापी भी सच्चे मन से शिव की आराधना करता है तो औघड़दानी फल जरूर देते हैं। इसी तरह चिकित्सक भी अपने मरीज का हमेशा कल्याण चाहता है। सच्चा चिकित्सक कभी अपने दुश्मन का भी गलत नहीं कर सकता है। वह उसका जीवन बचाने के लिए पूरे जतन करता है।
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