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बोले मेरठ : डीजे पर निकलने लगी बारात, जीना दुश्वार

Meerut News - शादियों में डीजे के तेज शोर से आसपास के लोग परेशान हैं। रात 10 बजे के बाद डीजे बजाने पर प्रतिबंध है, लेकिन इसका उल्लंघन हो रहा है। लोग पुलिस से शिकायत कर रहे हैं क्योंकि तेज आवाज से बच्चों की पढ़ाई...

Newswrap हिन्दुस्तान, मेरठMon, 17 Feb 2025 01:20 PM
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बोले मेरठ : डीजे पर निकलने लगी बारात, जीना दुश्वार

शादी यानी बरातियों को मस्ती करने का पूरा मौका। बैंड-बाजा और डीजे पर खूब धमाल, घंटों आतिशबाजी। जब सब इसमें डूबे हों तो भला घड़ी कौन देखे। आधी रात के बाद तक चलने वाला उनका यह धमाल आसपास कॉलोनी-मुहल्लों में रहने वालों की मुसीबत की वजह बन गया। वे रात को सो नहीं पा रहे। बच्चों की पढ़ाई नहीं हो रही। परेशान होकर वह पुलिस से शिकायत कर रहे है। रात दस बजे के बाद डीजे नहीं बजना चाहिए। कोर्ट ने पर्यावरण को ध्वनि प्रदूषण के कुप्रभावों से मुक्त करने के लिए किसी व्यक्ति के द्वारा रात दस बजे से सुबह छह बजे तक डीजे, साउंड आदि को प्रतिबंधित किया हुआ है, लेकिन इस आदेश के बावजूद शादी-समारोह एवं अन्य कार्यक्रमों में रात 12 बजे के बाद भी पूरी आवाज में डीजे बजाया जा रहा है। शिकायत पुलिस तक पहुंच रही है। पुलिस के पहुंचने पर डीजे की आवाज कम हो जाती है और पुलिसकर्मियों के वहां से आते ही फिर डीजे का शोर उच्च स्तर पर पहुंच जाता है।

शादी विवाह के मौके पर गीत व संगीत का आयोजन आम बात है पर, आजकल शादी में बैंडबाजा की जगह डीजे के प्रचलन ने लोगों को परेशान कर रखा है। लगन के इस मौसम में डीजे के कानफाड़ू संगीत व उस पर बजने वाले अश्लील गानों ने लोगों का जीना मुहाल कर रखा है। लोग कहते है कि डीजे को पूरी तरह प्रतिबंधित कर देना चाहिए, कारण डीजे के शोरगुल से ध्वनि प्रदूषण फैल रहा है। शहर में गढ़ रोड, रुड़की रोड, हापुड़ रोड पर सबसे ज्यादा मंडप, लॉन और मैरिज हॉल हैं। इन जगहों पर वेडिंग सीजन में रोजाना कई-कई बारात एक साथ निकलती हैं। इससे पूरे एरिया में शोर शराबा होता है। डीजे-बैंडबाजा के साथ ही जमकर तेज आवाज वाले पटाखे बजते हैं। जिससे लोगों को काफी दिक्कतें होती हैं। कुछ इलाकों में तो लोग सड़क पर ही टैंट लगाकर रात में दावत और शादी करते हैं और देर रात तक तेज आवाज में डीजे बजाकर अपनी खुशी जाहिर करते हैं। ऐसा करके आसपास के रहने वालों का नींद हराम कर देते हैं।

हालात यह है कि शहरी क्षेत्र हो अथवा ग्रामीण इलाका, शादियों में बजाये जाने वाले डीजे ने लोगों का जीना मुहाल कर रखा है। विशेषज्ञों का मानना है कि शादियों के मौसम में डीजे की तेज आवाज बीमार लोगों के लिए खतरनाक साबित हो सकती है। कमजोर दिल वालों के लिए रोगियों के लिए तो यह जानलेवा है। डीजे से 120 से 130 डेसीबल तक शोर पैदा होता है जो खतरनाक ध्वनि प्रदूषण की श्रेणी में आता है। चिकित्सक मान रहे हैं कि डीजे की आवाज से सुनने की क्षमता तेजी से कम हो रही है तथा दिल के रोगियों की संख्या में बेतहाशा वृद्धि हो रही है। लोगों के अनुसार जिम्मेदार इस पर अंजान बने बैठे हैं और कोई कदम नहीं उठाया जा रहा है। शहर का इलाका हो या फिर गांव का क्षेत्र में डीजे की शोर से लोग परेशान है। इसका सबसे अधिक असर वृद्धों और और बच्चों पर पड़ रहा है। बच्चों की पढ़ाई भी इससे काफी प्रभावित हो रही है। 10 बजे रात के बाद शोरगुल न करने के लिए शासन-प्रशासन के नियम और निर्देशों का खुलेआम उल्लंघन होता दिखाई देता है। शादी विवाह के मौसम में मंडपों के आसपास के लोगों का जीना मुहाल हो गया है। इस समय सीबीएसई और आईसीएसई की परीक्षाएं शुरू हो चुकी है। यूपी बोर्ड की हाईस्कूल और इंटर की परीक्षाएं शुरू होने को है। ऐसे में परीक्षा की तैयारी करने वाले छात्र-छात्राएं भी परेशान है। चिकित्सकों कहते है कि 23 डेसीबल से अधिक आवाज से मनुष्य के शरीर पर बहुत असर पड़ता है। आज डीजे के अत्याधिक शोर से लोग अपनी सुनने की क्षमता खो सकते है। करीब 120 डेसीबल से अधिक शोर वाले डीजे आज खुलेआम बजाये जा रहे हैं। इससे इंसान की सुनने की क्षमता में ह्रास के साथ-साथ ब्लड प्रेशर बढ़ने से डिप्रेशन बढ़ने से हार्ट के रोग से ग्रसित होने वालों की संख्या बढ़ने लगी है। डॉक्टरों की मानेंतो ध्वनि प्रदूषण से सर्वाधिक प्रभावित कम उम्र के बच्चे एवं वृद्ध हो रहे हैं। इससे जहां जहां बच्चों में कम सुनाई देने की बीमारी बढ़ी है। वहीं वृद्धों के हर्ट एवं ब्लडप्रेसर पर इसका प्रभाव देखने को मिल रहा है। हालांकि पुलिस अफसरों का कहना है कि ध्वनि विस्तारक यंत्रों से अधिक शोर शराबे की शिकायत मिलने पर सीधे कार्रवाई की जा रही है। शिकायत आने पर कार्रवाई होगी। यदि कहीं शोर-शराबा हो रहा है तो पुलिस को सूचना दें। इस संबंध में ध्वनि विस्तारक यंत्रों से जुड़े लोगों को भी हिदायत दी गई है।

जमीन में कंपन सा महसूस होता है

डीजे के लिए पहले सामान्य जनरेटर का उपयोग किया जाता था। समय के साथ इसमें भी बदलाव हो गया है। बड़े-बड़े साउंड बॉक्स के जरिए बजने वाले गानों की धुन भी कुछ अलग अंदाज की होती है। डीजे की तेज आवाज ऐसी होती है कि घरों की दीवारें, दीवारों पर टंगे बर्तन और जमीन में कंपन सी महसूस होती है।

एक ही जगह खड़े होकर घंटेभर नाचते रहते है

सबसे खतरनाक स्थिति तो तब हो है जब डीजे की धुन पर नाचने वाले घंटों एक ही जगह पर खड़े होकर मनोरंजन करते हैं। विवाह समारोह में डीजे बजाना फैशन हो गया है। अब त्योहार में ही नहीं, शादी-विवाह के मौके पर भी तेज आवाज में डीजे का शोर सुनाई देगा। शादी है तो कान फोड़ू डीजे बजने तय हैं। डीजे 120-150 डेसिबल बजने के साथ वाइब्रेट भी करता है। जबकि, विशेषज्ञ का मानना है कि 15 से 20 डेसिबल तक की आवाज से कान को कोई नुकसान नहीं होता है।

शोर इतना खड़कती हैं खिड़कियां, आतिशबाजी का भी होता है शोर

लोगों की शिकायत है कि रात दस बजे तक तो डीजे की कानफोड़ू आवाज किसी तरह से बर्दाश्त कर लें लेकिन जैसे-जैसे रात बढ़ती है, डीजे वाले साउंड की आवाज बढ़ा देते हैं। शोर इस कदर तेज होता है कि छत पर शेड से लेकर कमरों की खिड़कियां और कांच तक खड़कने लगते हैं। डीजे, बैंड के साउंड के साथ ही देर रात तक आतिशबाजी भी इस शोर में इजाफा करता है। रात तक पटाखों का शोर होता है तो सुबह छतों पर आतिशबाजी के टुकड़े बिखरे मिलते हैं।

विशेषज्ञों की सलाह :

120 डेसीबल और इससे ज्यादा ध्वनि प्रदूषण खतरनाक स्तर का है। ध्वनि प्रदूषण होने की स्थिति में हृदय की धड़कन बढ़ जाती है और दिल तेजी से धड़कने लगता है। इससे भय के साथ बेचैनी होने लगती है। अगर दिल के बीमारी से पहले से ग्रस्त हैं तो शादी और पार्टी में जा रहें तो डीजे बचने वाले स्थान से दूर रहें। जहां आवाज कम पहुंचे वहां रहें। उन लोगों को और अधिक सतर्क रहने की जरूरत है जो अभी इस बीमारी की गिरफ्त में नहीं हैं।

यह हैं मानक:

डीजे की आवाज को लेकर मानक तय है। इसमें औद्योगिक क्षेत्र में दिन में 75 तो रात में 70 डेसिबल, वाणिज्यिक क्षेत्र में दिन में 65 डिसेबल और रात में 55 डिसेबल निर्धारित है। आवासीय क्षेत्र में दिन में 55 और रात में 45 डिसेबल होना चाहिए। इसका पालन जिले में कहीं नहीं हो रहा है।

क्या है नियम :

ध्वनि प्रदूषण से डिस्टर्बेंस की शिकायत मिलने पर तत्काल कार्रवाई की जाएगी। तेज आवाज से परेशानी होने पर कोई भी यूपी डायल-112 नंबर पर शिकायत दर्ज करा सकता है। पुलिस रिस्पांस व्हीकल (पीआरवी) तत्काल मौके पर पहुंचेगी। शोर-शराबा करने वाला अगर पुलिस के कहने पर शोर बंद कर देगा तो उसे चेतावनी देकर छोड़ दिया जाएगा। अन्यथा उसके खिलाफ थाना स्तर पर वैधानिक कार्रवाई की जाएगी। सबसे पहले यूपी 112 की टीम वीडियो बनाएगी, इसके बाद कार्रवाई करेगी।

जेल भी हो सकती है :

ध्वनि प्रदूषण को लेकर नियम सख्त हैं। यदि इसमें पुलिस ने कार्रवाई करनी शुरू कर दी तो जेल जाने तक का भी प्रावधान है। यही नहीं जेल जाने के साथ-साथ जुर्माना भी लगाया जा सकता है। एडवोकेट अनूप चौबे ने बताया कि पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 व ध्वनि प्रदूषण नियम 2000 के उल्लंघन पर पांच साल तक जेल या एक लाख रुपये तक का फाइन या दोनों हो सकते हैं।

बोले लोग

पुलिस और प्रशासन की कार्यवाही के बावजूद भी डीजे का शोर खूब हो रहा है। खासकर रिहायशी क्षेत्रों में बने मैरिज हाल में। बोर्ड की परीक्षा शुरू होने वाली है। सीबीएसई और आईसीएसई बोर्ड की परीक्षा शुरू हो चुकी। ऐसे में छात्र-छात्राओं को पढ़ाई में दिक्कत आ रही है। इस पर अंकुश लगना चाहिए।

रवि कुमार, वैशाली कॉलोनी गढ़ रोड

आतिशबाज और डीजे संचालक नियम-कानून का उल्लंघन करें तो ऐसे लोगों पर कड़ी कार्रवाई की जाए। प्रशासन से अनुमति लेकर एक निश्चित आवाज में ही ध्वनि विस्तारक यंत्रों का उपयोग किया जा सकता है, पर इस नियम का उल्लंघन शहर से लेकर ग्रामीण इलाकों में उल्लंघन हो रहा है।

जानू चौधरी, हापुड़ रोड

चाहे दिन हो या रात निर्धारित मापदंड से अधिक आवाज में डीजे और बैंडबाजा पार्टी का शोर सुना जा सकता है। सामाजिक और धार्मिक आयोजनों में खुलकर ध्वनि विस्तारक यंत्रों का उपयोग हो रहा है। तेज आवाज के कारण लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। लोग परेशान है।

अमित रस्तोगी, शास्त्रीनगर

डीजे के शोरगुल पर पूर्णतः रोक लगनी चाहिए। चाहे दिन हो या रात शहर में डीजे के तेज शोर के कारण जीना मुहाल हो गया है। तेज शोर करने वाले यंत्रों को जब्त किया जाना चाहिए। प्रशासन लोगों की शिकायत करने पर ही सामान को जब्त करने पहुंचती है। स्वयं संज्ञान लेकर कार्रवाई करनी चाहिए।

आदिल सिद्दीकी, भूमिया का पुल

शादियों के दौरान तेज आवाज में डीजे बजाने से आसपास के मोहल्ले में रहने वाले लोगों को काफी परेशानी होती है। ध्वनि प्रदूषण लोगों का सुकून छीन रहा है। रात दस बजे के बाद डीजे बंद होना चाहिए, लेकिन रात में 12 बजे बाद तक भी तेज आवाज में डीजे बजता रहता है। अब परीक्षार्थियों को परेशानी हो रही।

निरंजन सिंह, जाग्रति विहार

गढ़ रोड पर 20 से अधिक मैरिज हॉल, मंडप और लॉन हैं, जहां पर मांगलिक कार्यक्रम होते हैं। कुछ जगहों पर अगल-बगल में तीन से चार मैरिज हॉल हैं, जहां लगन के समय एक साथ कार्यक्रम होते हैं। वहां तेज आवाज में देर रात डीजे बजने से लोग परेशान हो जाते हैं। रात में तेज आवाज के कारण लोग सो नहीं पाते हैं।

हेमलता, जाग्रति विहार

तेज आवाज में डीजे बजाने पर रोक लगनी चाहिए। यह तो किसी के लिए भी ठीक नहीं है। डीजे बजता है तो रात में नींद नहीं आती है। इसमें तो सभी को जागरूकता दिखानी चाहिए। तेज आवाज नहीं होगा तो सभी को राहत मिलेगी। कानफोड़ू आवाज में डीजे सेहत के लिए ठीक नहीं है। यह पूरी तरह से बंद होना चाहिए।

करन प्रताप, बागपत रोड

डीजे को लेकर पहले से बने नियम का पालन कराया जा रहा है। निर्धारित क्षमता में ही आवाज होनी चाहिए। पुलिस सख्त रहेगी तो समस्या नहीं होगी। वैसे भी लोगों को स्वयं दूसरों के हित की बात को ध्यान में रखने की जरूरत है। कान फोड़ू आवाज से लोगों की धड़कने बढ़ने लग रही हैं।

गणेश अग्रवाल, कंकरखेड़ा

तेज ध्वनि के स्पीकर का शोर सेहत के लिए खतरनाक है। ब्लड प्रेशर व ह्रदय रोगियों की समस्या बढ़ रही है। सहालग में वाहनों पर लगे डीजे की आवाज से कान भी कुछ देर तक सुन्न हो जा रहा है। इससे लोग अनिद्रा के शिकार भी हो रहे हैं। तीव्र गति की ध्वनि कमजोर दिल के लोगों की जान पर भी बन आती है।

मनीष कुमार, कंकरखेड़ा

सड़क पर बजने वाले डीजे की गूंज से आसपास के घरों की खिड़कियां और दरवाजे तक हिल रहे हैं। कानफोड़ू आवाज सीधे आने पर कान के परदे भी कंपन करने लगते हैं। तेज धमक से बुजुर्ग, बच्चों व गर्भवती महिलाओं की भी बेचैनी बढ़ जाती है। प्रशासन को डीजे के शोर पर सख्ती करते हुए रोक लगानी चाहिए।

एसपी मिश्रा, दिल्ली रोड

डीजे के शोर से बच्चों की परीक्षाओं की तैयारी करने में दिक्कत हो रही है। देर रात तक शोर के चलते बच्चे ने तो परीक्षा की तैयारी कर पा रहे है और न ही पूरी नींद सो पा रहे है। नींद न पूरी होने के कारण जगाने पर बच्चे चिड़चिड़ाने लगे हैं। पुलिस-प्रशासन को चाहिए की आतिशबाजों और डीजे संचालकों पर कार्यवाही हो।

हर्षित गुप्ता, दिल्ली रोड

उत्सव और शादी, समारोह तो हमारी संस्कृति समाज का अंग हैं, लेकिन इसकी आड़ में रातभर डीजे बजाने और शोर से दूसरों को परेशानी नहीं हो। बच्चों को स्कूल के लिए जगाओ तो वह नींद पूरी न होने पर रोते हैं, गुस्सैल हो जाते हैं। आधी रात के बाद तक बजने वाले डीजे जैसे साउंड तकलीफ देते हैं।

शोएब अंसारी, हापुड़ अड्डा

यह हैं खुले में साउंड उपयोग के मानक

-प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की गाइड लाइन के मुताबिक सुबह छह से रात 10 बजे तक लाउडस्पीकर या अन्य साउंड सिस्टम का प्रयोग किया जा सकता है

-सांस्कृतिक समारोह में साउंड और डीजे आदि बजाने की मंजूरी भी रात 10 बजे तक ही मान्य

-प्रदर्शन, धरना या अधिवेशन आदि सार्वजनिक समारोह के लिए सक्षम मजिस्ट्रेट के स्तर से पूर्व में अनुमति लेनी जरूरी

-साइलेंस जोन में समारोह, धरना, डीजे बजाने की पूर्व अनुमति जरूरी

-अस्पताल, नर्सिग होम के 100 मीटर की परिधि में पूर्ण रूप से और कोर्ट, विद्यालय की कार्यालय अवधि में पूर्व अनुमति के बिना साउंड, लाउडस्पीकर पर रोक

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आतिशबाजों, डीजे संचालकों के लिए बने नियमावली

मेरठ मंडप एसोसिएशन पदाधिकारी कहते हैं कि शासन-प्रशासन की नियमावली का मंडप-बैंक्वेट हॉल स्वामी पालन करते हैं, लेकिन आतिशबाजों, डीजे संचालक और आयोजन करने वालों के लिए भी नियमावली बने। शादी-समारोह में हर्ष फायरिंग करने वालों को प्रशासन की ओर से पहले चेतावनी जारी हो जाए। हर्ष फायरिंग हो तो शस्त्र लाइसेंस निरस्त हो।

एसोसिएशन अध्यक्ष मनोज गुप्ता एवं महामंत्री विपुल सिंघल कहते है कि रात दस बजे के बाद डीजे बंद होना चाहिए, लेकिन बंद होता नहीं है। आतिशबाजी भी होती है। इसलिए डीजे संचालकों का प्रशासन में पंजीकरण हो। रात में होने वाली शादियों में जो आतिशबाज अथवा डीजे संचालक नियम तोड़े उन पर कार्रवाई हो।

एसोसिएशन वरिष्ठ उपाध्यक्ष श्रीकृष्ण गुप्ता, कोषाध्यक्ष नवीन कुमार अग्रवाल कहते है कि कुछ लोग शादी-समारोह के लिए दो-दो मंडप बुक कर लेते हैं। फिर बुकिंग की तिथि को शिफ्ट करने को कोशिश करते हैं। इसके बाद जमा अग्रिम धनराशि को लौटाने के लिए दबाव बनाते हैं। कहा कि कुछ मंडपों पर पार्किंग की समस्या है। इससे यातायात में व्यवधान आता है। रात में दस बजे चढ़त शुरू होती है, जिससे जाम लगता है। कहा कि सहागल के दौरान शहर के भीतर वाहनों की नो एंट्री रात में 12 बजे के बाद खोली जाए।

अपार मेहरा, विकास मित्तल, सुबोध गुप्ता, सुभाष चंद गर्ग कहते है कि मंडप एसोसिशन महीने भर की शादियों की तिथि पुलिस और प्रशासन को महीने के पहले सप्ताह में उपलब्ध करा सकते है। इसके बाद यातायात आदि की व्यवस्था को प्रशासन सदृढ़ करें। कहा कि बाईपास पर काफी संख्या में बैंकट हॉल, मंडप हैं। लेकिन वहां भी जाम लगता है। बाईपास पर साइड़ लेन बननी चाहिए। यह कार्य टोल कंपनी को करना चाहिए। ताकि हाईवे पर भी जाम लगे ही नहीं। पदाधिकारियों ने कहा कि आतिशबाजी, डीजे, हर्ष फायरिंग पर सख्ती हो। शासन-प्रशासन की ओर से कराई जाने वाले सामूहिक विवाह में होने वाली शादियां का रजिस्ट्रेशन हो, प्रमाण पत्र जारी किया जाए।

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