मेडिकल में बेड नहीं, निजी अस्पतालों में ऑक्सीजन-वेंटीलेटर नहीं
मेरठ में कोरोना से हालात बेकाबू होते जा रहे हैं। लेवल-3 के मेडिकल कॉलेजों में बेड नहीं हैं। लेवल-1 और 2 के निजी अस्पतालों में न ऑक्सीजन, न वेंटिलेटर...
मेरठ में कोरोना से हालात बेकाबू होते जा रहे हैं। लेवल-3 के मेडिकल कॉलेजों में बेड नहीं हैं। लेवल-1 और 2 के निजी अस्पतालों में न ऑक्सीजन, न वेंटिलेटर और न पर्याप्त स्टाफ है। वह भी मरीजों को भर्ती नहीं कर रहे। ऐसे में चहुंओर मारामारी है। हालात ये हैं कि खुद स्वास्थ्य विभाग के अफसर भी गंभीर मरीजों को बेड मुहैया नहीं करा पा रहे।
मेरठ में एल-3 के चार अस्पताल हैं। इसमें मेरठ मेडिकल कॉलेज, सुभारती, मेडिकल कॉलेज खरखौदा व जिला अस्पताल हैं। चारों में बेड उपलब्ध नहीं हैं। एलएलआरएम में 250 बेड के सापेक्ष पौने तीन सौ मरीज पहुंच गए हैं। इसमें भी तकरीबन डेढ़ सौ मरीज ऑक्सीजन-वेंटीलेटर पर हैं। अन्य तीनों अस्पतालों में अब ऑक्सीजन दिक्कत शुरू हो गई है, इसलिए वह मरीजों को भर्ती नहीं कर रहे हैं। एल-2 और एल-1 में आने वाले ज्यादातर निजी अस्पतालों में पहुंचने वाले कोरोना मरीजों का सबसे पहले ऑक्सीजन लेवल मापा जा रहा है। 90 से नीचे ऑक्सीजन होते ही उन्हें एडमिट न कर मेडिकल के लिए रेफर किया जा रहा है। इन अस्पतालों में मरीजों को एडमिट न करने की एक और वजह है। इनके पास पर्याप्त स्टाफ नहीं है। न ही ऑक्सीजन आपूर्ति ठीक हो पा रही है। वेंटिलेटर भी कोविड मरीजों की संख्या के सापेक्ष पूरे नहीं हैं। कुल मिलाकर स्वास्थ्य विभाग ने इन्हें कोविड हॉस्पिटल तो बना दिया, लेकिन उस लायक व्यवस्थाएं नहीं हैं।
- 22 अस्पतालों में कोविड का इलाज
- 3000 बेड होने का स्वास्थ्य विभाग का दावा
- 2569 मरीज हैं होम आइसोलेट
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