बिना कोच कैसे बनें नीरज चोपड़ा
टोक्यो ओलंपिक के बाद पेरिस ओलंपिक में नीरज चोपड़ा ने जैवलिन थ्रो में रजत पदक जीता। मेरठ की अनु रानी पदक जीतने से चूक गईं। जिले में एथेलेटिक्स का क्रेज बढ़ रहा है, लेकिन कोच और एकेडमी की कमी है।...
टोक्यो ओलंपिक के बाद अब पेरिस ओलंपिक में भारत के नीरज चोपड़ा ने जैवलिन थ्रो में रजत पदक जीता। हालांकि मेरठ की बेटी अनु रानी इस बार भी जैवलिन थ्रो में पदक जीतने से चूक गईं। इसके बावजूद जिले के खिलाड़ियो में क्रिकेट के साथ अब एथेलेटिक्स का क्रेज भी बढ़ा है। जैवलिन थ्रो में लगातार खिलाड़ी उत्साह दिखा रहे हैं लेकिन यहां इस खेल के लिए अभी तक कोच और एकेडमी नहीं है। कैलाश प्रकाश स्टेडियम में एथलेटिक्स कोच को ही जेवलिन के खिलाड़ियेां को प्रशिक्षण देना पड़ रहा है। भाला फेंक में अपना करियर बनाने के लिए खिलाड़ियों को अभ्यास करने के लिए दूसरे जिलों की ओर रुख करना पड़ रहा है।
एथलेटिक्स में लगातार बढ़ रहे पंजीकरण
एथलेटिक्स के विभिन्न इवेंट जैसे दौड़, जैवलिन थ्रो, डिस्कस थ्रो, शाटपुट, पैदल चाल जैसे खेलों में पिछले तीन वर्गों से लगातार पंजीकरण बढ़े हैं। इस बार के पंजीकरण की बात करें तो सत्र 2024-25 में 700 से अधिक खिलाड़ियों ने एथलेटिक्स में पंजीकरण कराया है। इनमें से 60 खिलाड़ी जैवलिन थ्रो में पंजीकृत हैं। इसके बावजूद स्टेडियम में जैवलीन का विशेषज्ञ कोच नहीं है। खेलो इंडिया के कोच गौरव त्यागी ही जैवलिन खिलाड़ियों को अभ्यास करा रहे हैं।
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