बोले मेरठ : सेवा करने वाला समाज सुविधाओं से दूर
Meerut News - मेरठ का सिख समाज अपनी मेहनत और व्यापारिक कौशल के लिए जाना जाता है। यह न केवल अपने व्यवसाय में सफल है, बल्कि दूसरों को रोजगार भी प्रदान करता है। हालाँकि, इस समाज को कई सुविधाओं और सरकारी योजनाओं की कमी...
मेरठ। शहर की धड़कनों में एक ऐसा समुदाय रहता है, जो अपनी मेहनत, ईमानदारी और व्यावसायिक कौशल के लिए जाना जाता है। यह है मेरठ का सिख समाज। यह समाज न केवल अपने व्यवसाय में सफल है, बल्कि दूसरों को भी रोजगार और व्यवसाय के अवसर प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। चाहे लघु उद्योग हो, रिटेल बिजनेस हो या सेवा क्षेत्र। सिख समाज ने हमेशा मेरठ के आर्थिक विकास में योगदान दिया है। आज उपेक्षाओं के शिकार सिख समाज को अपेक्षाओं की दरकार है। व्यापार के क्षेत्र में निभा रहा महत्वपूर्ण भूमिका
सिख समाज न केवल अपनी धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं को संजोए हुए है, बल्कि व्यापार के क्षेत्र में भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। सिख समाज अपनी उद्यमशीलता और परिश्रम के लिए जाना जाता है। मेरठ में कई सिख व्यापारियों ने कपड़ा, ऑटोमोबाइल, होटल और रेस्टोरेंट जैसे क्षेत्रों में सफल व्यवसाय खड़े किए हैं। यह समाज न केवल अपने परिवारों के लिए आजीविका का साधन बना रहा है, बल्कि हजारों लोगों को रोजगार भी दे रहा है। ऐसे में पूरा सिख समाज आज खुद की पहचान और आयाम के साथ अपेक्षा व सुविधाओं की मांग कर रहा है। शहर में कई जगह ऐसी हैं, जहां सिख समाज की आबादी बहुत अधिक हुआ करती थी, लेकिन सुविधाओं के अभाव में सिख समाज के लोग विस्थापित भी हो चुके हैं।
रंजीत सिंह नंदा, रंजीत सिंह जस्सल और हरप्रीत सिंह का कहना है कि गुरुद्वारों में लंगर सेवा और अन्य सामाजिक कार्यों के माध्यम से सिख समाज जरुरतमंदों की सहायता करता आया है। ‘सेवा सिख समाज की पहचान है और यह भावना हमारे व्यवसाय में भी झलकती है। हम अपने कर्मचारियों को सम्मान और बेहतर कार्य वातावरण देने में विश्वास रखते हैं लेकिन सिख समाज को शिक्षा से लेकर सरकारी योजनाओं में उपेक्षाओं का सामना करना पड़ता है। ऐसे में समाज की सभी समस्याओं का हल हो तो बात बन जाए।
थापरनगर से विस्थापित होते सिख
जसवीर सिंह खालसा और अमनदीप सिंह का कहना है कि शहर में थापर नगर सिख समुदाय के लोगों का पुराना क्षेत्र है। यहां मौजूद गुरुद्वारा अंग्रेजों के जमाने का बना हुआ है। अब हालात ये हो गए हैं कि बहुत सारी बुनियादी सुविधाओं के अभाव में इस इलाके से बड़ी संख्या में लोग विस्थापित हो चुके हैं। यहां अब कुछ ही परिवार बचे हैं। वह भी इलाके में गंदगी और अतिक्रमण जैसी समस्याओं से जूझ रहे हैं। सिख समाज के लोगों की बात करें तो दशमेश नगर, गुरुनानक नगर और थापर नगर में सबसे ज्यादा आबादी है जहां आज भी बुनियादी समस्याओं की जरूरत है।
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मिले सुविधाएं तो बने बात
हालांकि मेरठ के सिख समाज ने व्यापार में अपनी मजबूत पहचान बनाई है, लेकिन उन्हें कई चुनौतियों का सामना भी करना पड़ता है। सोहन सिंह और गुरमिंदर का कहना है कि सिख समाज को प्रशासनिक सहयोग की कमी के कारण कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। छोटे व्यापारियों के साथ ही छोटा-मोटा काम करने वाले लोगों को सरकारी योजनाओं और ऋण सुविधाओं का लाभ कम मिल पाता है। शहर में चाबी बनाने वाले बहुत सारे गरीब परिवार हैं, जिन तक योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाता।
शिक्षा के क्षेत्र में चाहिए मजबूती
जसमीत सिंह और तेजिंदर सिंह का कहना है कि मेरठ में सिख समाज के लिए स्कूल तो बहुत हैं, लेकिन हायर एजुकेशन के लिए एक यूनिवर्सिटी भी बन जाए तो दूसरी जगह जाने की जरूरत ना पड़े। ऐसे में बच्चे यहीं रहकर अपनी शिक्षा पूरी करेंगे और रोजगार की तैयारी करेंगे। कई जगहों पर सिख समाज के लोगों को उपेक्षाओं का शिकार होना पड़ रहा है। सिख समाज के गरीब तबके के लोगों को शिक्षा की व्यवस्था भी खुद ही करनी पड़ रही है। खरखौदा के पास नालपुर गांव में रहने वाले कई परिवारों के बच्चों को गुरुद्वारे से पढ़ाने की व्यवस्था की जाती है। यहां अच्छी शिक्षा की व्यवस्था की जाए।
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थापरनगर गुरुद्वारे के आसपास हो सुधार
मनप्रीत, दिनेश सिंह और जोगा सिंह का कहना है कि शहर में करीब 27 गरुद्वारे हैं। इनमें थापर नगर गुरुद्वारा मुख्य है और बहुत पुराना भी है, जहां आसपास कई सुविधाओं की दरकार है। यहां से जाने वाले रास्ते के दोनों ओर गेट लगाने की मांग नगर निगम से की गई है, जो पास भी हो गए हैं, लेकिन आज तक लगे नहीं हैं। वहीं थापर नगर में साफ-सफाई की व्यवस्था सुचारू होनी चाहिए, ताकि लोगों को दिक्कत ना हो। इस पूरे इलाके से सिख लोगों के विस्थापन का कारण भी आसपास होने वाली गंदगी है।
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सुविधा के साथ जारी हो गाइडलाइन
सिख समाज के लोगों का कहना है कि शहर से युवा पीढ़ी का पलायन लगातार बढ़ रहा है। सिख समाज के कई युवा विदेशों में बसने के लिए मेरठ छोड़ रहे हैं, जिससे पारंपरिक व्यवसायों को नुकसान हो रहा है। यहां समाज के लोगों के अल्पसंख्यक प्रमाण पत्र भी नहीं बन रहे, जिससे उनको शिक्षा और अन्य जगहों पर लाभ मिल सके। वहीं स्कूलों में एग्जाम के दौरान कड़ा और कृपाण उतारने के लिए कहा जाता है, जबकि यह सिख समाज का अभिन्न अंग है। सभी एग्जामों में इसके लिए गाइडलाइन जारी होनी चाहिए, ताकि समाज के लोगों को छूट मिल सके।
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मिले एक सामाजिक दर्जा
सिख समाज के लोगों का कहना है कि उन्हें सरकारी योजनाओं की जानकारी समय-समय पर दी जानी चाहिए। व्यापार के लिए सरकारी योजनाओं की जानकारी लेकर उसका अधिकतम लाभ उठाया जा सकता है। वहीं, समाज के लिए एजुकेशन लेवल को बढ़ाया जाए, साथ ही यूपी में सामाजिक दर्जा मिले और सिख बच्चों को स्कॉलरशिप मिले। उन्हें भी संबंधित सर्टिफिकेट जारी किए जाएं, जिससे सरकारी योजनाओं का लाभ मिल सके। सिख आबादी वाले क्षेत्रों में वैक्सीनेशन के लिए कैंप लगाए जाएं, ताकि लोगों को सुरक्षा मिल सके। समाज के बच्चों को फ्री कोचिंग दी जाए, ताकि वो भी सरकारी और अन्य विभागों में अपनी उपस्थिति दर्ज करा सकें।
मिले राजनीतिक प्रतिनिधित्व
सिख समाज के लोगों का कहना है कि उन्हें भी राजनीतिक प्रतिनिधित्व मिले। शहर में 90 वार्ड हैं और उनमें एक भी सिख समाज से पार्षद नहीं है। शहर में बनी सिख कमेटियों की सामाजिक व्यवस्था सुचारू और बेहतर की जाए। पहले डीएम कंपाउंड में प्रकाश पर्व यानि गंगा स्नान पर कार्यक्रम हुआ करते थे, जो अब नहीं होते, इस दिन को भी अहमियत दी जाए। शहीद दिवस यानि गुरु तेग बहादुर जी की पुण्यतिथि पर अवकाश घोषित किया जाए।
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500 साल पुराने गुरुद्वारे का हो पुनर्निर्माण
समाज के लोगों का कहना है कि सूरजकुंड पर 500 साल पुराना गुरुद्वारा है। इस पर कुछ लोगों ने अतिक्रमण कर कब्जा कर लिया है। सिख समाज के अध्यक्ष रंजीत सिंह नंदा का कहना है कि यह ऐतिहासिक गुरुद्वारा है, जिसको कब्जा मुक्ता कराया जाना चाहिए। इस गुरुद्वारे में अंग्रेजों द्वारा लिखा एक पत्थर आज भी मौजूद है। यहां बसंत पंचमी को मेला भी लगता था, लेकिन अब कब्जे के कारण नहीं लगता। यह गुरुद्वारा गुरुनानक देव जी के पुत्र श्रीचंद जी के नाम पर है, जिसको फिर से पुनर्निर्माण कर पूजा-पाठ के लिए शुरू किया जाए।
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समस्याएं
- समाज के लोगों तक सरकारी योजनाएं नहीं पहुंचतीं
- युवाओं की शिक्षा के लिए बेहतर व्यवस्था नहीं है
- सिख समाज के लिए हायर एजूकेशन संस्थान नहीं
- गंदगी और सुविधाओं के अभाव में हो रहा पलायन
- शिक्षा, स्वास्थ्य और अन्य सुविधाओं से हैं वंचित
सुझाव
- सिख समाज के लोगों तक सरकारी योजनाएं पहुंचें
- युवाओं की शिक्षा के लिए बेहतर व्यवस्था की जाए
- समाज के युवाओं के लिए हायर एजूकेशन का संस्थान हो
- आबादी वाले इलाकों में साफ-सफाई हो और सुविधा मिले
- बड़े स्तर पर शिक्षा, स्वास्थ्य और अन्य सुविधा मिलें
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सिख समाज के लोगों को भी दूसरों की भांति सुविधाएं मिलें और गुरुद्वारे के आसपास साफ-सफाई की व्यवस्था की जाए।
- रंजीत सिंह नंदा, अध्यक्ष
थापर नगर में मुख्य गुरुद्वारा है, जिसके सामने से जाने वाले रास्तों के दोनों ओर गेट लगवाया जाए, ताकि सुरक्षा व्यवस्था रहे।
- रंजीत सिंह जस्सल, उपाध्यक्ष
सिख समाज के लोगों के भी सर्टिफिकेट बनाए जाएं और उनको भी योजनाओं का लाभ मिले, ताकि मुख्य धारा में पहुंच सकें।
- हरप्रीत सिंह, थापर नगर
सिख समाज के लोगों के लिए हायर एजूकेशन में व्यवस्था की जाए, ताकि बच्चे बाहर जाने के बजाय यहीं शिक्षा प्राप्त करें।
- अमनदीप सिंह, थापर नगर
एग्जाम के दौरान सिख समाज के बच्चों के लिए कड़े और कृपाण पहने रखने के लिए छूट दी जाए, क्योंकि ये सिखों के अभिन्न अंग हैं।
- सोहन सिंह, बेगमबाग
सिख समाज के गरीब तबके के लोगों के लिए शिक्षा और स्वास्थ्य की व्यवस्था हो, उनको भी योजनाओं का लाभ मिले ताकि समाज बेहतर हो।
- गुरमिंदर सिंह, माधवपुरम
समाज की उपेक्षाओं के कारण मेरठ से बहुत सारे होटल भी बंद हो गए हैं, जबकि बिजनेस और कृषि तक में समाज अग्रणी रहा है।
- जसमीत सिंह चड्ढा, गुरुनानक नगर
सिख समाज तक योजनाओं का लाभ नहीं पहुंच पाता, इसलिए योजनाओं को सभी तक पहुंचाया जाए, ताकि हम लोग भी लाभ उठा सकें।
- तेजिंदर सिंह, बेगमबाग
बहुत सारे गरीब लोगों को मकान नहीं मिल पाते और उनके बच्चे शिक्षा से दूर रहते हैं, इसकी व्यवस्था शासन और प्रशासन की ओर से की जाए।
- गुरप्रीत सिंह, हस्तिनापुर
प्रदेश में सामाजिक दर्जा मिले और सिख समाज के बच्चों को भी स्कॉलरशिर व अन्य व्यवस्थाएं की जाएं, ताकि बेहतर जीवन जी सकें।
- दिनेश सिंह, हापुड़
राजनीतिक प्रतिनिधित्व भी हो ताकि समाज के लोग अपनी बातें रख सकें। समाज के लोगों को बुनयादी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएं।
- जसवीर सिंह खालसा, सोतीगंज
सिख आबादी वाले इलाकों में बुनियादी सुविधाओं के साथ वैक्सीनेशन की व्यवस्था हो, इसके लिए कैंप लगाए जाएं, जिनका समाज लाभ ले।
- जोगा सिंह, लतीफपुर
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