धूल-धुआं घोट रहा मेरठ की सांस
मेरठ में सात प्रदूषकों की निगरानी के बावजूद, पीएम-10 और पीएम-2.5 ही मुख्य प्रदूषक बने हुए हैं। 15-19 नवंबर के दौरान, हवा की खराब गुणवत्ता के लिए ये प्रदूषक जिम्मेदार हैं। खुले में कूड़ा जलाने और...
सात प्रदूषकों की 24 घंटे हो रही निगरानी के बीच मात्र दो प्रदूषक मेरठ की सांसों को घोंट रहे हैं। 15-19 नवंबर तक मेरठ के तीन केंद्रों पर सबसे ज्यादा एक्यूआई के बावजूद पीएम-10 और पीएम-2.5 ही उच्च स्तर पर रिकॉर्ड हुए। उक्त अवधि में दमघोंटू हवा के बावजूद अमोनिया, नाइट्रोजन ऑक्साइड, सल्फर डाई ऑक्साइड, कॉर्बन मोनो ऑक्साइड और ओजोन जैसे पांच प्रदूषक तय सीमा में बने रहे। मेरठ में पीएम-10 एवं पीएम-2.5 ही मुख्य प्रदूषक हैं और यही हवा की गुणवत्ता को खराब करने को जिम्मेदार हैं। आखिर कौन हैं पीएम-10, पीएम-2.5 के जिम्मेदार
इन दोनों प्रदूषकों का मुख्य स्रोत धूल और धुआं है। पीएम-10 में धूल कण और पीएम-2.5 में धुएं के महीन कण हैं। सीपीसीबी वेबसाइट के दर्ज रिकॉर्ड के अनुसार धुएं के लिए खुले में जलता कूड़ा, वाहन एवं उद्योग मुख्य स्रोत हैं, जबकि धूल के लिए निर्माण कार्य और सड़कों पर उड़ती धूल।
नहीं लग रहा कूड़ा जलाने पर ब्रेक
प्रमुख प्रदूषकों के लिए जिम्मेदार धुएं के बावजूद शहर में खुले में कूड़ा जलाने, उद्योग एवं वाहनों से निकलने वाले धुएं पर लगाम नहीं लग रही। सुबह और शाम, शहर के अधिकांश हिस्सों में खुलेआम कूड़ा जलाया जा रहा है। निगम एवं कैंट के डंपिंग ग्राउंड में भी आग लगाई जा रही है। कॉलोनियों के बाहर अवैध रूप से डाले जा रहे कूड़े को भी जलाकर नष्ट किया जा रहा है। मेरठ में दो लाख 66 हजार वाहन ऐसे हैं, जिनके पास पॉल्युशन अंडर कंट्रोल सर्टिफिकेट (पीयूसी) नहीं है। यानी ये वाहन प्रदूषण का स्रोत हैं। इसी तरह उद्योगों में प्रदूषक नियंत्रित करने वाले उपकरणों का अभाव पीएम-2.5 में इजाफा कर रहा है। जैसे ही तापमान गिरता है और हवा धीमी होती है, ये प्रदूषक एकत्र होकर सांस घोंटने लगते हैं।
शहर का एक्यूआई प्रदूषण की सही तस्वीर नहीं
दिल्ली सहित आसपास के जिलों में दमघोंटू एवं जहरीली हवा के बीच मेरठ में बीते 72 घंटे से प्रदूषक नियंत्रित दिख रहे हैं। हालांकि यह शहर ही वास्तविक तस्वीर नहीं है। लगभग 23 किमी की परिधि में फैले मेरठ में केवल तीन प्रदूषण निगरानी केंद्र हैं। प्रदूषण नियंत्रित करने के लिए संस्थाओं को शहरभर में लगातार पानी का छिड़काव करने और मशीन से सड़कों की सफाई के आदेश हैं लेकिन मेरठ में पानी के छिड़काव का मुख्य दायरा निगरानी केंद्रों से अधिकतम पांच किमी के बीच है। निरंतर पानी छिड़काव से प्रदूषक एवं धूल के कण नीचे बैठ जाते हैं और यह निगरानी केंद्रों के सेंसर तक नहीं पहुंच पाते। इससे निगरानी केंद्रों पर प्रदूषकों का ग्राफ तो नीचे दिखता है, लेकिन पूरे शहर में ऐसा नहीं होता।
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।