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बोले मेरठ : सीवर न सफाई, 15 साल से बदहाली झेल रहे कॉलोनीवासी

Meerut News - मेरठ की कांशीराम कॉलोनी में एमडीए द्वारा विकसित कॉलोनियों की हालत बहुत दयनीय है। 14 साल बाद भी बुनियादी सुविधाओं की कमी के कारण 5000 से अधिक लोग नरक जैसी जिंदगी जीने को मजबूर हैं। सड़कें, नालियां और...

Newswrap हिन्दुस्तान, मेरठTue, 25 Feb 2025 10:45 AM
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बोले मेरठ : सीवर न सफाई, 15 साल से बदहाली झेल रहे कॉलोनीवासी

मेरठ। शहर में नगर निगम के वार्डों में पड़ने वाली एमडीए की कुछ कॉलोनी राम भरोसे हैं। जहां एमडीए द्वारा बनाई गई ये कॉलोनियां अपने विकास के इंतजार में नरक से बदतर हो चुकी हैं। मानो एमडीए इनको बनाकर भूल गया कि इनकी व्यवस्था में सुधार की भी जरूरत पड़ती है। यहां रहने वाले लोगों को भी बुनियादी सुविधाओं की आवश्यकता है, पीने का पानी, गंदे पानी की निकासी के लिए नालियां और सीवर, चलने के लिए सड़क की भी आवश्यकता होती है। हम बात कर रहे हैं वार्ड 33 में काजीपुर गांव से सटी कांशीराम कॉलोनी की। जहां रहने वाले लोग नरक से भी बेकार जिंदगी जीने को मजबूर हैं।

कांशीराम कालोनी की स्थिति ज्यादा ही दयनीय

शहर की एमडीए कॉलोनियों की बदहाली किसी से छिपी नहीं है, लेकिन वार्ड 33 में स्थित कांशीराम कॉलोनी की स्थिति कुछ ज्यादा ही दयनीय है। 2010 में जब इस कॉलोनी के 2512 मकानों का एलॉटमेंट हुआ था, तब यहां रहने वाले परिवारों ने नए सपनों के साथ कदम रखा था। उम्मीद थी, कि एक बेहतर जिंदगी मिलेगी, बुनियादी सुविधाएं होंगी और प्रशासन उनकी सुध लेगा। लेकिन 14 साल बाद भी यह कॉलोनी बदहाल है, और यहां रहने वाले 5000 से अधिक लोग नरक से भी बदतर हालात में जीने को मजबूर हैं।

इस कॉलोनी में रहने वाले लोग आज भी पानी, सड़क, सीवर और साफ-सफाई जैसी मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं। यहां बिन बरसात के पानी सड़कों पर भरा रहता है। गंदा पानी कॉलोनी की सड़कों पर ऐसा भर जाता है कि मानो बरसात के बाद पानी भर गया हो। हालात ये हैं कि कॉलोनी में रहने वालों के रिश्तेदार भी यहां आने से कतराते हैं। वहीं अगर बरसात हो जाए तो कॉलोनी में जलभराव इतना हो जाता है कि लोगों को घरों से निकलना मुश्किल हो जाता है। गंदे पानी की निकासी के लिए पर्याप्त व्यवस्था नहीं होने के कारण यहां नालियां और सीवर ओवरफ्लो होना यहां आम बात है।

सड़कें बन जाती हैं नालियां

वार्ड 33 में पड़ने वाली कांशीराम कॉलोनी में रहने वालीं पिंकी, शांति शर्मा और सोनिया का कहना है कि इस कॉलोनी को कोई देखने वाला नहीं है। हम लोग नरक से भी बदतर जिंदगी जी रहे हैं। पूरी कॉलोनी में सड़कें तो एकदम खत्म हो चुकी हैं, जो चलने लायक नहीं बची हैं। वहीं कॉलोनी में बनी सभी नालियां पूरी तरह टूट चुकी हैं, इनमें बहने वाला पानी सड़कों पर बहता है। सभी सड़कें शाम होते-होते नालियां बन जाती हैं। इसके चलते यहां रहने वाले लोग सड़कों पर निकल भी नहीं पाते।

टूटे पाइप और गंदगी का अंबार

कॉलोनी में रहने वाली आशा, ऊषा और सुनीता यहां की बदहाल हालत दिखाती हैं। जहां बने फ्लैटों के गंदे पानी की निकासी वाले पाइप पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो चुके हैं। जो धीरे-धीरे टूटकर नीचे गिर रहे हैं। सभी घरों का गंदा पानी बंद पड़ी नालियों में जाकर इकट्ठा हो जाता है और यही पानी सीवर में जाने के बजाय सड़कों पर इकट्ठा होता है। वहीं इन मकानों के बीच इतनी गंदगी बरपी हुई है कि लोगों का रहना मुश्किल हो गया है। चारों ओर गंदगी और बदबू के अलावा कुछ नजर नहीं आता।

शुरू से अंत तक नरक

इस कॉलोनी में रहने वाले राहुल, मुनेश और राजकुमार यहां की बदहाली को दिखाते हैं और कहते हैं कि यहां शुरू से लेकर अंत तक नरक ही नजर आएगा। कॉलोनी के चारों तरफ की सड़के टूटी पड़ी हैं। नालियों की गंदगी सड़कों के किनारे पड़ी हुई है। सीवर टूटे पड़े हैं और उनमें पानी बहता नजर नहीं आता, बल्कि गंदगी भरी हुई दिखती है। गंदे पानी की निकासी तो एकदम बंद है। ऐसे में गंदा पानी कॉलोनी की सड़कों पर बहता है। यहां रहने वाले लोगों का कहना है कि पिछले पंद्रह साल से इस कॉलोनी को कोई देखने तक नहीं आया, साफ-सफाई तो दूर की बात है।

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पार्क खेलने लायक नहीं

कॉलोनी में बच्चों के लिए पार्क भी बनाए गए हैं, जिनकी हालत देखते ही बनती है। पार्कों की दीवारें ही नहीं बचीं, चारों ओर गंदगी का अंबार नजर आता है। पार्क के चारों ओर की सड़कें मानों पूरी तरह खत्म हो चुकी हैं। कीचड़ और गंदगी इतनी है कि कोई चल भी नहीं सकता, बच्चों के खेलने की बात तो दूर की है। लोगों का कहना है कि इस कॉलोनी को कोई देखने वाला नहीं है। यहां हजारों की संख्या में लोग रहते हैं। वोटर अपने मतों का प्रयोग भी करते हैं। जब चुनाव आते हैं, तो नेता यहां आकर बड़े-बड़े वादे करते हैं, फिर वो इस कॉलोनी को पूरी तरह भूल जाते हैं।

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कभी भी गिर सकती हैं बिल्डिंग

इस कॉलोनी में तीन-तीन मंजिला बिल्डिंग बनी हैं, जिनमें हजारों महिला, पुरूष और बच्चे रहते हैं। यहां गंदे पानी की निकासी नहीं होने के कारण हालात बहुत खराब हो चुके हैं। पूरी बिल्डिंग मानों छतिग्रस्त स्थिति में पहुंच चुकी हैं। कॉलानी में जमा गंदा पानी बिल्डिंगों की नींव को कमजोर कर रहा है। साथ ही बिल्डिंगों की दीवारों में पेड़ उग चुके हैं और प्लास्टर टूट-टूटकर नीचे गिर चुका है। दीवारों की ईंटे साफ दिखाई देने लगी हैं। लोगों का कहना है कि ये बिल्डिंगें कब गिर जांएगी और बड़ा हादसा हो जाए, पता नहीं।

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संक्रमण का बड़ा खतरा

कॉलोनी के लोगों का कहना है कि यहां गंदगी की इतनी भयंकर स्थिति है, कि लोग आए दिन संक्रमण से पीड़ित होते रहते हैं। गंदगी में मच्छर, मक्खी और कीड़े पनप जाते हैं। ऐसे में यहां रहने वाले महिला, पुरुष और बच्चों को कई बीमारिया होती रहती हैं, बुखार, चर्म रोग सहित गंभीर बीमारियों से यहां के लोगों का कभी पीछा नहीं छूटता। लोगों का कहना है कि कॉलोनी में गंदगी और जलभराव की स्थिति का किसी तरह समाधान होना चाहिए, नहीं तो आने वाले समय में बहुत बड़ी महामारी इस कॉलोनी में फैल सकती है।

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सड़कों पर अंधेरा, घरों से बिजली गायब

कॉलोनी के लोगों का कहना है कि रात में सड़कों पर अंधेरा बरपा रहता है। एक तो सड़क पर गंदा पानी बहता है ऊपर से खंभों पर लाइटें नहीं हैं। वहीं कॉलोनी के कई घरों की बिजली ही काटी जा चुकी है। बिजली का बिल जमा नहीं करने के कारण विभाग के लोग उनके मीटर ही उखाड़कर ले गए हैं। पूरी कॉलोनी के लोग छोटा-मोटा काम करके अपना जीवन यापन करते हैं, ऐसे में बिजली का बिल नहीं दे पाते। वहीं कॉलोनी में सड़कों पर गंदे पानी की वजह से कीचड़ जम चुकी है, जिसमें लोग आए दिन गिरकर घायल होते रहते हैं।

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शादी विवाह के दौरान होती है दिक्कत

यहां रहने वाली शांति और आशा का कहना है कि गंदगी के कारण इस कॉलोनी में लोग रिश्ता करने से भी कतराते हैं। रिश्तेदार इस कॉलोनी में आने से बचते हैं। कोई आता है तो यही कहता है कि इस नरक में कैसे रह रहे हो। शांति शर्मा का कहना है कि हमारी बेटी की शादी है और पूरी कॉलोनी में गंदा पानी भरा पड़ा है। पार्क और सड़क की सफाई कराने के लिए पैसे देने पड़ते हैं। बिना पैसे तो यहां कोई कूड़ा भी नहीं उठाता।

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कोई तो बने रखवाला

यहां के लोगों का कहना है कि एमडीए ने इस कॉलोनी को गरीब लोगों के लिए बनाया था। 2010 में एलॉटमेंट होने के बाद कभी एमडीए या उसके अधिकारियों ने यहां आकर नहीं झांका। पिछले लगभग पंद्रह साल से यहां के लोग नरक की जिंदगी जी रहे हैं, जिनको कोई देखने वाला नहीं है। यह कॉलोनी आजतक नगर निगम को हैंडओवर नहीं की गई है। ऐसे में इसकी व्यवस्था एमडीए देखता नहीं है और नगर निगम वाले कुछ करते नहीं। जबकि यहां नगर निगम वार्डों में पार्षद का चुनाव होता है तो वोट जरूर डालते हैं।

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हादसों को दावत देते टूटे सीवर

इस कॉलोनी में सड़कों पर सीवरों के ढक्कन टूटे पड़े हैं। वहीं पास में वार्ड 33 में ही आने वाले काजीपुर और कॉलोनी के एंट्री वाली सड़कों पर भी सीवर के ढक्कन पूरी तरह क्षतिग्रस्त हैं। जिनमें आए दिन कोई ना कोई गिरता रहता है। इन सीवरों के ढक्कन भी कोई सही कराने वाला नहीं हैं, जबकि कांशीराम कॉलोनी के बाहर सीवरों की मरम्मत नगर निगम करा सकता है। क्योंकि कॉलोनी एमडीए की है और इसके बाहरी सड़कें नगर निगम के अंतर्गत आती हैं।

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लोगों का दर्द, कोई सुनने वाला नहीं

इस कॉलोनी में रहने वाले लोग लगातार प्रशासन से गुहार लगा रहे हैं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही। स्थानीय पार्षद और नगर निगम के अधिकारी सिर्फ चुनाव के समय वादे करते हैं और फिर गायब हो जाते हैं। यहां रहने वाले लोगों का कहना है कि वे कई बार शिकायत कर चुके हैं, लेकिन समस्या जस की तस बनी हुई है। कॉलोनी के लोग दर्द बयां करते हैं कि "हमने सोचा था कि सरकार हमें मकान दे रही है तो हमें एक अच्छा जीवन भी मिलेगा, लेकिन यहां रहना किसी सजा से कम नहीं है। पानी नहीं मिलता, गंदगी से बीमारियां फैल रही हैं, और कोई भी हमारी सुनवाई नहीं करता।"

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समस्याएं

- कॉलोनी में चारों और गंदगी का अंबार लगा है

- कॉलोनी की सभी सड़कें क्षतिग्रस्त हो चुकी हैं

- कॉलोनी की बिल्डिंग भी टूटकर गिरने लगी हैं

- नालियों की जगह सड़कों पर गंदा पानी भरा रहता है

- सीवर बंद हैं और नालिंया पूरी तरह खत्म हो चुकी हैं

- पार्कों की दीवारों गायब हो चुकी है, वहां गंदगी रहती है

- कॉलोनी में संक्रमण फैला रहता है और महामारी का डर है

- खंभों पर लगी लाइटें भी खराब हो चुकी हैं

समाधान

- एमडीए या नगर निगम कॉलोनी में सफाई कराए

- कॉलोनी की सभी टूटी सड़कों की मरम्मत होनी चाहिए

- कॉलोनी की क्षतिग्रस्त हो चुकी बिल्डिंगों की मरम्मत हो

- घरों से निकलने वाले गंदे पानी की व्यवस्था सुचारू हो

- सालों से बंद सीवर और नालिंया सही की जानी चाहिएं

- पार्कों की दीवारों बनाकर उनका सौंदर्यकरण किया जाए

- कॉलोनी में संक्रमण ना फैले इसके लिए व्यवस्था की जाए

- खंभों पर लगी लाइटें ठीक कराई जाएं, ताकि अंधेरा से मुक्ति मिले

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सीवर लाइन सालों से बंद पड़ी है और कई जगह नालियां टूटी हुई हैं, और कई जगह पर नालियां हैं ही नहीं। जिस कारण गंदा पानी सड़कों पर बहता है। - गौरव गुर्जर, काजीपुर

कॉलोनी पूरी तरह नरक बनी पड़ी है। जिधर भी देखो गंदगी ही मिलेगी, कोई इस कॉलोनी को देखने वाला नहीं है, गंदगी का अंबार लगा रहता है। - पिंकी, कांशीराम कॉलोनी

कॉलोनी में घरों का गंदा पानी नालियों की जगह सड़कों पर भरा रहता है। यहां नाली तो एकदम खत्म हो चुकी हैं, सड़कें निकलने लायक नहीं रहतीं। - नसीम, कांशीराम कॉलोनी

कॉलोनी की हालत इतनी खराब है कि हमारे रिश्तेदार भी आने से डरते हैं। जो भी आता है वह यही कहता है कि इस नरक में तुम लोग कैसे रह रहे हो। - शांति शर्मा, कांशीराम कॉलोनी

पूरी कॉलोनी में गंदगी की इतनी भयंकर है, कि लोग आए दिन लोग संक्रमण से पीड़ित होते रहते हैं। गंदगी में मच्छर, मक्खी और कीड़े पनप जाते हैं। - सोनिया, कांशीराम कॉलोनी

पूरी कॉलोनी में सड़कों पर गंदे पानी की वजह से कीचड़ जम चुकी है, जिसमें लोग आए दिन गिरकर घायल होते रहते हैं, कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है। - आशा, कांशीराम कॉलोनी

कॉलोनी की सभी बिल्डिंगों की दिवारों का प्लास्टर टूटकर गिर चुका है। घरों से पानी की निकासी वाले पाइप टूट चुके हैं और पानी दीवारों में घुसता रहता है। - ऊषा, कांशीराम कॉलोनी

कॉलोनी में फैली गंदगी से मच्छर, मक्खी और कीड़े हो रहे हैं। ऐसे में यहां रहने वाले महिला, पुरुष और बच्चों को कई बीमारिया होती रहती हैं। - काजल, कांशीराम कॉलोनी

यहां शुरू से लेकर अंत तक नरक ही नजर आएगा। कॉलोनी के चारों तरफ की सड़कें टूटी हुई पड़ी हैं। नालियों की गंदगी सड़कों के किनारे पड़ी रहती है। - सुमन, कांशीराम कॉलोनी

पार्क के चारों ओर की सड़कें पूरी तरह खत्म हो चुकी हैं। कीचड़ और गंदगी इतनी है कि कोई चल भी नहीं सकता, बच्चों के खेलने की बात तो दूर है। - सुनीता, कांशीराम कॉलोनी

सोचा था कि हमें मकान मिले हैं तो एक अच्छा जीवन भी मिलेगा, लेकिन यहां रहना किसी सजा से कम नहीं है। यहां गंदगी से बीमारियां फैल रही हैं। - आशा, कांशीराम कॉलोनी

पिछले लगभग पंद्रह साल से यहां के लोग नरक की जिंदगी जी रहे हैं, जिनको कोई देखने वाला नहीं है। नगर निगम और एमडीए में से कोई यहां नहीं आता। राहुल कुमार, कांशीराम कॉलोनी

कांशीराम कॉलोनी ही नहीं आसपास के सीवर भी टूटे पड़े हैं और पूरी तरह बंद हो गए हैं। ऐसे में गंदे पानी की निकासी नहीं है और सड़कों पर पानी भरता है। - मुनेश कुमार, काजीपुर

यहां साफ-सफाई की कोई व्यवस्था नहीं है। हर गली-चौराहे पर कूड़े का ढेर लगा रहता है। नगर निगम की गाड़ी नहीं आतीं, बीमारियों का खतरा बना रहता है। - राजकुमार, काजीपुर

कॉलोनी से सटे काजीपुर गांव में भी सीवर लाइन बंद पड़ी हैं। कई जगहों पर सीवर के ढक्कन टूट चुके हैं और लोग आए दिन गिरकर चोटिल होते रहते हैं। - मधु धामा, काजीपुर

सड़कों और गली मोहल्ले में गंदगी बहुत अधिक रहती है। साफ सफाई की कोई व्यवस्था नहीं है। नालियां भी टूटी पड़ी हैं, जिनको जल्द ठीक कराया जाना चाहिए। - रिंकू भड़ाना, काजीपुर

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