चले आइये मां मंशा देवी मंदिर, यहां होती है हर मुराद पूरी
जागृति विहार में स्थित मां मंशा देवी का मंदिर श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है। यह मंदिर सौ साल पुराना है और यहां नवरात्रि के दौरान नौ दिन मां के अलग-अलग रूपों का दर्शन कराया जाता है। पुजारी की चार...
जागृति विहार स्थित वर्षों पुराना मां मंशा देवी का मंदिर श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है। मान्यता है कि मंदिर से मां किसी को भी खाली हाथ नहीं लौटने देतीं। ऐसा मानना है कि भगवान के आगे शीश झुकाकर, आंखें बंद कर जो भी मांगों वह मनोकामना पूरी होती है लेकिन मां मंशा देवी मंदिर में श्रद्धालु आंखें खोलकर मां से मनोकामना करते हैं। मंदिर के पुजारी अनिल गिरी ने बताया कि उनकी चार पीढ़ियां मंदिर में माता रानी की सेवा कर रही हैं। यह सौ साल से भी ज्यादा पुराना मंदिर है। साढ़े चार बीघा जमीन में यह मंदिर बना है। मंदिर के अंदर छोटे द्वार भी हैं, जिनमें झुककर प्रवेश करना पड़ता है। मुख्य मंदिर के अलावा 25 अन्य मंदिर बने हैं।
पहले घना जंगल था अब है मंदिर
मां मंशा देवी के मंदिर को मरघट वाली माता का मंदिर भी कहते हैं। पुराने समय में यहां जंगल था। पुजारी भगवत गिरी ने बताया कि यहां पहले जंगल हुआ करता था। जंगल के पास ही औरंगशाहपुर डिग्गी की श्मशान भूमि थी, जिसके बीच में मूर्ति हुआ करती थी, इसलिए इसे मरघट वाली मां का मंदिर भी कहते हैं।
नौ दिन अलग-अलग शृंगार
नवरात्र में मंदिर में नौ दिन लगातार माता का अलग-अलग शृंगार होता है। मंदिर की विशेषता है कि यहां श्रद्धालुओं को नवरात्र के नौ दिन मां के नौ रूपों के दर्शन कराए जाते हैं। बुधवार को मां को हरे रंग के चोले, गुरुवार को पीले, शुक्र को जामुनी और शनिवार को नीले रंग के चोले से सजाते हैं।
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