जग सुभाष को आदर से अब तक नेता जी कहता है ...

नेताजी सुभाष चंद बोस की जयंती गुरुवार को शहरभर में जोश और उत्साह के साथ मनाई गई। पीएल शर्मा स्मारक में बच्चों ने रंगारंग व देशभक्ति के सांस्कृतिक कार्यक्रमों ने समां बांधा। शाम को कवि सम्मेलन में ओज...

Newswrap हिन्दुस्तान, मेरठThu, 23 Jan 2020 08:32 PM
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नेताजी सुभाष चंद बोस की जयंती गुरुवार को शहरभर में जोश और उत्साह के साथ मनाई गई। पीएल शर्मा स्मारक में बच्चों ने रंगारंग व देशभक्ति के सांस्कृतिक कार्यक्रमों ने समां बांधा। शाम को कवि सम्मेलन में ओज और वीर रस की वर्षा ने सभी को रोमांच से भर दिया। डॉ. हरिओम पंवार ने एक से बढ़कर एक कविता का पाठ कर सभी को जोश से भर दिया।

कवि सम्मेलन की अध्यक्षता वासु ऑटोमोबाइल्स के एमडीए अजय गुप्ता ने किया। मुख्य अतिथि बागपत के सांसद डॉ. सत्यपाल सिंह, स्वागत अध्यक्ष बिजेंद्र अग्रवाल रहे। नेताजी जन्म दिवस समारोह के महासचिव बीएन पाराशर ने नेताजी के दिखाए मार्ग पर चलने की अपील की। मुख्य अतिथि डा. सत्यपाल सिंह ने कहा कि युवा पीढ़ी को राष्ट्रनायक नेताजी के जीवन से प्रेरणा लेनी चाहिए।

कवि सम्मेलन का आरंभ नीता गुप्ता द्वारा प्रस्तुत वंदना से हुआ। संयोजक अजय प्रेमी, सुमनेश सुमन व समारोह प्रभारी श्याम मोहन गुप्ता, भंवर सिंह तोमर रहे। देवास इंदौर से आए विख्यात कवि शशिकांत यादव ने ‘जंग घनघोर हुई आजादी की भोर हुई, राष्ट्रवादी ध्वज लहराया था सुभाष ने, जाती पथ भाषा भेदभाव को भुलाकर, जागरण का बिगुल बजाया था सुभाष ने ... के जरिए देशभक्ति का संचार किया। लखनऊ से आए ओज के प्रखर कवि हस्ताक्षर कवि प्रख्यात मिश्रा ने देशप्रेम से परिपूर्ण काव्य पाठ से श्रोताओं को प्रभावित किया।

उन्होंने ‘बूढ़ी ममता ने देख ली, चिताए लाडलों की, बूढ़े कंधों को भी अर्थियां उठानी पड़ी हैं, चरखा चलाने से या सूत कातने से नहीं, आजादी के लिए गर्दने कटानी पड़ी हैं .... से सभी को झकझोरा। दिल्ली से आए यशभारती व पदमश्री सम्मानित कवि डा. सुनील जोगी ने ‘याद आएं तो खून जोश के साथ रगों में बहता है। जग सुभाष को आदर से अब तक नेता जी कहता है ... से तालियां बटोरीं। उन्होंने जननायक सुभाष चंद्रबोस को भावपूर्ण स्मरण करते हुए विभिन्न विषयों पर अपने कविताओं से राष्ट्रीय प्राथमिकताओं को इंगित किया।

डा. हरिओम पंवार ने ओज और वीर रस में भीगे शब्दों के बाण चलाए तो सभी मुग्ध हो गए। हॉल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। विशेषतौर पर उन्होंने ‘संविधान में आज तुम्हारी सबसे ऊंची थाती है, दिया तुम्हारा तेल तुम्हारा जोर तुम्हारा, आज तुम्हारे कर कमलों में टूटी हुई कमान नहीं, और पगों के नीचे को गिरता हुआ, आज तुम्हारे ऊपर नभ है, नीचे ठोस धरातल है .... पर सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया।

नीता गुप्ता ने नेताजी के जीवन आदर्शों पर आधारित गीत से समारोह को सार्थकता प्रदान की। कवि सम्मेलन का सफल संचालन ओजस्वी कवि डा. हरिओम पंवार ने किया। श्रोताओं ने भारत माता की जय व नेताजी अमर रहे के नारों से कवियों का उत्साहवर्धन किया। समारोह को सफल बनाने में महेंद्र गुप्ता, अभय गुप्ता, संदीप अग्रवाल, डा. सुशील कुमार सूरी, अजय रस्तोगी, राजकुमार शर्मा राज का विशेष सहयोग रहा। डा. आरके भटनागर, डा.देशराज सिंह, ब्रजमोहन माहेश्वरी, पर्यावरणविद गिरीश शुक्ला, जनार्दन शर्मा, अजय तोमर, अंशुल गुप्त, अंकुर राणा, और आशीष पाराशर की विशेष उपस्थिति रही। अध्यक्षता कर रहे अजय गुप्ता ने अपने संबोधन में कहा कि वर्तमान परिस्थितियों में नेताजी सुभाष के सिद्धांतों की प्रासंगिकता का उल्लेख किया। समारोह समिति के कार्यवाहक महासचिव अरुण जिन्दल ने सभी का आभार जताया।

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