चल वैजयन्ती आरजी कॉलेज को, रुबी बनीं विजेता
मेरठ। चौ. चरण सिंह विवि में 'देवाधर्मरता' विषय पर वाद-विवाद प्रतियोगिता हुई। आरजी पीजी कॉलेज की रूबी ने प्रथम स्थान प्राप्त किया। समारोह में संस्कृत कवि सम्मेलन भी हुआ, जिसमें विद्वानों ने अपने काव्य...
मेरठ। चौ. चरण सिंह विवि कैंपस में जारी व्यास समारोह के दूसरे दिन सोमवार को ‘देवाधर्मरता: नित्यं अर्थात देवगण हमेशा धर्म में रहते हैं विषय पर हुई वाद-विवाद प्रतियोगिता में छात्रों ने अपनी मन की बात रखी। उक्त प्रतियोगिता में आरजी पीजी कॉलेज से रूबी प्रथम, सीसीएसयू कैंपस से सृष्टि द्वितीय रही। तीसरा स्थान आरजी कॉलेज की छात्रा काजल को मिला। अंतरविश्वविद्यालय चल वैजयन्ती में आरजी पीजी कॉलेज विजेता रहा। प्रो.कमला पांडेय ने देव एवं आसुरि शक्ति में भेद बताते हुए देवत्व के मार्ग पर चलने को प्रेरित किया। अभिराजराजेन्द्र मिश्र ने वेद में प्राप्त देवाधारित मन्त्रों में भेद बताते हुए कहा कि जो दिव्य शक्ति सम्पन्न थे वे देव हैं। डेजी ने भगवान विष्णु के अवतारों की प्रस्तुति दी। समारोह में संस्कृत कवि सम्मेलन हुआ। इसमें संस्कृत मनीषियों ने पञ्चचामर छन्द में काव्य पाठ किया। प्रो.अभिराज राजेंद्र मिश्र ने कहा कि भारत निरंतर प्रगति के पथ पर अग्रसर है। प्रो.वागीश दिनकर ने वीर रस में आधुनिक भारत के शौर्य को प्रस्तुत कर भारत की यशो गाथा सुनाई। डॉ.संतोष कुमारी ने भ्रूणहत्या जैसी सामाजिक कुरीति पर प्रहार किया। संचालन डॉ.अरविन्द तिवारी ने किया।
कुलपति प्रो.संगीता शुक्ला एवं एमएलसी डॉ.धर्मेन्द्र भारद्वाज ने कवियों को सम्मानित करते हुए संस्कृत को जीवन का हिस्सा बनाने की अपील की। कहा कि संस्कृत ज्ञान-विज्ञान का भंडार है। समन्वयक प्रो.वाचस्पति मिश्र ने कहा कि संस्कृत में रोजगार की व्यापक संभावनाएं हैं। दुनिया में संस्कृत विशेषज्ञों की मांग है। प्रो. पूनम लखनपाल, डॉ. राजबीर, डॉ. नरेन्द्र कुमार, डॉ. ओमपाल, डॉ. विजय बहादुर, तुषार गोयल, डॉ. हरिदत्त शर्मा, डॉ. विजय नारायण, अंकित वर्मा आदि रहे।
इन कवियों ने देववाणी में सुनाई कविताएं
काव्यसंध्या में अभिराजराजेंद्र मिश्र, प्रो.उमाकांत शुक्ल, प्रो.सुधाकराचार्य त्रिपाठी, प्रो.कमला पांडेय, प्रो.वीएल गौड़, डॉ.चिंतामणि जोशी, डॉ. राजकुमार मिश्र, डॉ.शशिकान्त तिवारी, डॉ.युवराज भट्टराई, ईशान तिवारी, ऋषिराज पाठक, तुषा शर्मा, पूजा झा, प्रो.कमला पांडेय, प्रो.भारतेन्दु पाण्डेय, प्रो.सूर्यकान्त त्रिपाठी, ऋषिराज पाठक सहित विभिन्न कवियों ने संस्कृत में अपनी कविताएं प्रस्तुत की।
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