यज्ञ और शोभायात्रा संग हुआ व्यास समारोह का शुभारंभ
चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय में श्री कालीचरण पौराणिक पद्मावती निधि द्वारा 33वें अखिल भारतीय व्यास समारोह का उद्घाटन हुआ। मुख्य अतिथि प्रो. श्रीनिवास बरखेड़ी ने संस्कृत के महत्व पर प्रकाश डाला। समारोह...
चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय में रविवार को संस्कृत विभाग में श्री कालीचरण पौराणिक पद्मावती निधि द्वारा केन्द्रीय संस्कृत विवि और उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान के सहयोग से 33वें अखिल भारतीय व्यास समारोह का उद्घाटन हुआ। सबसे पहले यज्ञ हुआ और शोभायात्रा निकाली गई। शोभायात्रा के स्वागत कर्ता व यज्ञ के मुख्य यजमान विधायक अमित अग्रवाल रहे। उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि केन्द्रीय संस्कृत विवि दिल्ली के कुलपति और संस्कृत के विद्वान प्रो. श्रीनिवास बरखेड़ी रहे। सारस्वत अतिथि पद्मश्री से सुशोभित सम्पूर्णानन्द संस्कृत विवि वाराणसी के पूर्व कुलपति एवं विश्वप्रसिद्ध संस्कृत कवि प्रो. अभिराज राजेन्द्र मिश्र ने मंच को अपनी उपस्थिति से अलंकृत किया। स्वागत अध्यक्ष ऊर्जा राज्य मंत्री डॉ. सोमन्द्र तोमर रहे। आयोजन-निदेशक के रूप में हिन्दी विभागाध्यक्ष नवीन लोहनी, कार्यक्रम समन्वयक आचार्य वाचस्पति मिश्र रहे। प्रकल्पक आचार्य सुधाकराचार्य त्रिपाठी ने पञ्चचामर छन्द से समारोह का शुभारम्भ किया। ऊर्जामंत्री डॉ. सोमेन्द्र तोमर ने संस्कृत के विस्तार के बारे में विचार रखे। मुख्य अतिथि प्रो. श्रीनिवास बरखेड़ी ने कहा कि हम भारतीयों का जन्म केवल स्वभोग के लिए नहीं, अपितु राष्ट्रोन्नति एवं विश्वकल्याण के लिए हुआ है। संस्कृत केवल भाषा नहीं, अपितु आध्यात्मिक रूप में भारत की अखंडता का सूत्र है। राज्यों की भाषा तो राज्यों पर आधारित है, लेकिन समस्त भारतीयों की भाषा भारती अर्थात संस्कृत है। इसलिए भारतीय होने के लिए हमें अपनी भाषा संस्कृत को अपनाना होगा।
महर्षि वेद व्यास भारतीय परंपरा के सबसे बड़े इतिहासकार
पद्मश्री प्रो. अभिराज राजेन्द्र मिश्र ने छंदोबद्धपवाणी में डॉ. संतोष कुमारी द्वारा किये जा रहे संचालन की प्रशंसा की। उन्होंने भी छन्दोबद्धवाणी में भारत के गौरव का वर्णन किया। बताया कि किस प्रकार के विचार वाले व्यक्ति भारतीय होने के अधिकारी नहीं हैं। उन्होंने बताया कि महर्षि वेद व्यास भारतीय परंपरा के सबसे बड़े इतिहासकार हैं। उनके द्वारा रचित वांग्मय से ही भारत के प्राचीन इतिहास को जाना जा सकता है। व्यास समारोह की पूर्व संयोजयत्री डॉ०पूनम लखन पाल ने समारोह के इतिहास को बताया। आचार्य वाचस्पति मिश्र ने सभी का धन्यवाद प्रकट किया। उद्घाटन सत्र का संचालन डॉ. सन्तोष कुमारी ने किया।
गणेश वंदन व हरिवंदन सुन सभी हुए मंत्रमुग्ध
समारोह के दूसरे सत्र में दिल्ली के दौलत राम पीजी कॉलेज के संगीत विषय की विभागाध्यक्षा प्रो. दीप्ति बंसल व मनस्वनी बंसल ने छन्दोबद्ध राग एवं ताल में संगीत संध्या का प्रस्तुतिकरण किया। तबले पर उनके साथ अश्विनी कुमार, हारमोनियम संगत महराज खां रहे। हरिवंश पुराण से गणेश वंदन व हरि वंदन आदि की प्रस्तुति ने सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। इस अवसर पर डॉ. राजबीर, डॉ. नरेन्द्र कुमार, डॉ. ओमपाल सिंह, डॉ. विजय बहादुर, तुषार गोयल, डॉ. सुमित, डॉ. हरिदत्त शर्मा, डॉ. विजय नारायण, गौतम साहिल, डॉ. रक्षिता, सृष्टि, अंशिका, वैशाली, शिवानी, अदिति, गौतम, टीना, प्राची प्रताप, अनुज, सुमित, मोहित, विष्णु, आयुषी, सुमित, बबलू आदि रहे।
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