संस्कृत को गंभीरता से पढ़े-समझें, व्यवहार में लाएं
सीसीएसयू कैंपस में व्यास समारोह के दौरान अपर पुलिस महानिदेशक ध्रुवकान्त ठाकुर ने संस्कृत विषय की उपयोगिता पर जोर दिया। उन्होंने छात्रों को संस्कृत को गंभीरता से पढ़ने और समझने की सलाह दी। इस अवसर पर...
संस्कृत विषय की उपयोगिता अन्य विषयों की समान ही है। संस्कृत को कमतर ना आंकें। प्रतियोगिता परीक्षाओं में संस्कृत के माध्यम से सफलता पाई जा सकती है। छात्र संस्कृतकों गंभीरता से पढ़ें, समझें और व्यवहार में लाएं। सीसीएसयू कैंपस में जारी व्यास समारोह के पांचवें दिन यह बात अपर पुलिस महानिदेशक ध्रुवकान्त ठाकुर ने विद्यार्थियों से कही। गुरुवार को अन्तर्विश्वविद्यालय संस्कृतवादविवाद प्रतियोगिता, शोध संगोष्ठी, कथा एवं सांस्कृतिक प्रस्तुतियां हुई। अन्तर्विश्वविद्यालय संस्कृत वाद-विवाद प्रतियोगिता में प्रो.विश्वनाथ स्वाईं ने देवा धर्मरता नित्यं को दार्शनिक दृष्टि से स्पष्ट किया। दिव्या ने बलि यज्ञ कथा प्रस्तुत की। डॉ.नरेन्द्र कुमार ने हरिवंशपुराण में सृष्टि प्रक्रिया को समझाया। स्वाति ने बलराम स्वरुप, अनिका गोला ने सृष्टि का आधार नाभिपद्म शीर्षक पर शोधपत्र प्रस्तुत किए। प्रो.छाया रानी ने हरिवंशपुराण में योग की महत्ता बताई। बतौर मुख्य अतिथि सांसद अरुण गोविल ने संस्कृत भाषा के संवर्धन एवं संरक्षण के लिए केंद्र सरकार एवं राज्य सरकार द्वारा किये जा रहे कार्यों को साझा किया। उन्होंने रामायण के धनुष यज्ञ प्रसंग में आये लक्षमण संवाद को प्रस्तुत करते हुए सभागार को रोमांचित कर दिया। शिवांगी संगीत महाविद्यालय ने रामायण कथा एवं भगवन श्रीकृष्ण लीला आधारित मनमोहक प्रस्तुतियां दी। प्रो.सुधाकराचार्य त्रिपाठी को उनके संस्कृत संवर्धन के लिए किये गए कार्यों के लिए सम्मानित किया गया। प्रो.वाचस्पति मिश्र, डॉ.संतोष कुमारी, प्रो.भूपेन्द्र राणा, प्रो.वीरपाल सिंह, प्रो.जयमाला, प्रो.नवीन लोहनी, प्रो.रवीन्द्र शर्मा, प्रो.राकेश शर्मा, प्रो.जितेन्द्र गोयल, प्रो.हरे कृष्णा, प्रो.पूनम लखनपाल, डॉ.राजबीर, अमरपाल आर्य, डॉ.विजय बहादुर सहित सभी विद्यार्थी मौजूद रहे।
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