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बोले मेरठ : उम्मीद जगी लेकिन शिक्षामित्रों की बुनियादी जरूरतें भी पूरी हों

Meerut News - शिक्षामित्रों की समस्याओं का समाधान ढूंढने की कोशिश की जा रही है। मानदेय बढ़ने की घोषणा के बाद, शिक्षामित्रों में उम्मीद जगी है। वे स्थायी नौकरी और बेहतर वेतन की मांग कर रहे हैं। शिक्षा मित्रों की...

Newswrap हिन्दुस्तान, मेरठSun, 16 Feb 2025 03:44 PM
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बोले मेरठ : उम्मीद जगी लेकिन शिक्षामित्रों की बुनियादी जरूरतें भी पूरी हों

स्कूल का ताला खोलने से लेकर बंद करने तक का जिम्मा शिक्षामित्र का होता है। चुनाव से लेकर अन्य सरकारी कार्यों को बखूबी करते हैं। इसके बावजूद आज शिक्षामित्र कई बड़ी समस्याओं से जूझ रहे हैं। वहीं मानदेय बढ़ाए जाने की घोषणा के बाद से शिक्षामित्रों में एक उम्मीद की किरण जागी है। यह सभी भविष्य में कुछ बेहतर होने की एक आस लिए अपने काम को अंजाम तो दे रहे हैं, साथ ही बुनियादी समस्याओं का समाधान चाहते हैं। शिक्षामित्रों की नियुक्ति 2000 के दशक में प्राथमिक शिक्षा को मजबूत करने के लिए की गई थी। नियुक्ति के बाद सभी शिक्षामित्रों ने दो वर्षीय बेसिक ट्रेनिंग कोर्स (बीटीसी) पूरा किया। कुछ शिक्षा मित्रों ने बीएड तक भी कर लिया। इसके बाद काफी संख्या में शिक्षा मित्र यूपीटेट, सीटेट और सुपर टेट करके अध्यापक भी बन गए लेकिन अभी भी बड़ी संख्या में शिक्षा मित्र अपनी मंजिल से दूर हैं। इनकी वर्तमान में स्थिति अत्यंत दयनीय होती जा रही है। बेसिक शिक्षा के क्षेत्र में एक लंबे अर्से से काम कर रहे कई हजार शिक्षामित्रों को मानदेय बढ़ाए जाने की घोषणा के बाद उम्मीद की किरण दिखाई दी है। इसके साथ ही वे अपनी अन्य समस्याओं का भी समाधान चाहते हैं।

शिक्षामित्रों की समस्या केवल नौकरी की नहीं, बल्कि मानवीय गरिमा की भी है। बेसिक शिक्षा को मजबूत करने में उनके योगदान को नकारा नहीं जा सकता। मेरठ के सैकड़ों शिक्षामित्र चाहते हैं कि उनकी समस्याओं के मुद्दे पर गंभीरता से विचार कर एक स्थाई समाधान निकालना चाहिए, ताकि न केवल उनका भविष्य सुरक्षित हो, बल्कि शिक्षा व्यवस्था भी मजबूत हो। शिक्षामित्र अपना दर्द बयां कर कहते हैं कि शिक्षा को समाज की रीढ़ कहा जाता है और उस रीढ़ को मजबूत करने वाले कहीं ना कहीं शिक्षामित्र भी हैं। जिन्होंने एक लंबा समय सरकारी स्कूलों के बच्चों के भविष्य को संवारने में लगा दिया। हालांकि सरकार ने उन्हें कुछ राहत दी है, लेकिन उनकी समस्याएं न केवल आर्थिक है, बल्कि मानसिक और भावनात्मक भी है।

हल्की राहत का अहसास

शिक्षामित्र संघ के अध्यक्ष धर्मेंद्र कुमार का कहना है कि काफी समय से हम एक उम्मीद में थे कि उनके लिए कुछ किया जाएगा। हालांकि सरकार ने कुछ राहत दी है, लेकिन अभी उन्हें कुछ और बेहतर की उम्मीद है। धर्मेंद्र का कहना है कि वह बीस साल से भी ज्यादा समय से बच्चों को पढ़ा रहे हैं। उनके पढ़ाए हुए बच्चे आज अच्छी जगहों पर हैं, उनकी तनख्वाह और ओहदे कहीं ज्यादा बेहतर हैं। हम चाहते हैं कि इस विषय पर गंभीरता से विचार कर एक स्थाई समाधान निकालना होगा, जिससे शिक्षामित्रों को न्याय मिले और शिक्षा व्यवस्था भी सुदृढ़ हो।

आज भी उम्मीदें बाकी हैं

शिक्षामित्रों का कहना है कि आज खुद और अपने परिवार के जीवन यापन को लेकर चिंता में रहते हैं। इतने लंबे समय में उन्होंने कई डिग्रियां भी ले लीं। बहुत से शिक्षामित्र एमएससी, बीएससी, बीएड, यूपी टेट, सीटेट पास करने बावजूद यह नौकरी कर रहे हैं। आज भी वे एक उम्मीद के साथ प्राइमरी में अध्यापक बनने की राह देख रहे हैं। उनका कहना है कि मानदेय तो बढ़ गया लेकिन उन्हें स्थायित्व चाहिए, ताकि आगे उनको समस्या का सामना ना करना पड़े।

वेतन में और किया जाए सुधार

शिक्षा मित्रों का कहना है कि बढ़ाया गया मानदेय उनको जल्द ही दिया जाए, साथ ही उनके वेतन की असमानता में सुधारा किया जाए। हालांकि इस बढ़ोत्तरी से उनको कुछ राहत मिलेगी, लेकिन वे चाहते हैं, कि दूसरे प्रदेशों की तरह, जहां शिक्षामित्रों को स्थाई कर दिया गया है, उनको भी स्थाई कर दिया जाए, ताकि वे किसी दूसरे पर निर्भर ना रहें। परिवार की जिम्मेदारी बढ़ रही है, ऐसे में सरकार कुछ और राहत दे तो हालत सुधर जाएगी।

बढ़ रहीं जिम्मेदारियां

शिक्षामित्र तीरथ सिंह अपना दर्द बयां करते हैं कि कभी मवाना तहसील में अमीन का काम करते थे, लेकिन शिक्षामित्र बन बैठे। कई जगह सलेक्शन भी हुआ, लेकिन घर के पास में ही शिक्षामित्र से शिक्षक बनने की आस में दूसरी नौकरी नहीं की। आज बच्चे बड़े हो गए हैं और मां-बाप भी बूढ़े हो गए। जिम्मेदारियां बढ़ती जा रही है।

शिक्षामित्रों की व्यथा

जो मानदेय बढ़ाया गया है, वह जल्द ही मिलना शुरू हो जाए तो कुछ राहत मिलेगी। एक लंबे समय से एक उम्मीद बांधे बैठे हैं।

- धर्मेंद्र सिंह, प्रा, शिक्षामित्र संघ जिलाध्यक्ष

सभी शिक्षामित्रों को नई शिक्षा नीति में शामिल कर स्थाई किया जाए। आजकल बढ़ रही महंगाई को देखते हुए थोड़ी और वृद्धि की जाए।

- तीरथ सिंह, शिक्षामित्र

जो शिक्षा मित्र अपने मूल विद्यालय में नहीं हैं, उन्हें वहां भेजा जाए, ताकि वह राहत की सांस ले सकें, साथ ही अपने काम को अंजाम दें।

- करतार सिंह, शिक्षामित्र

हम चाहते हैं कि सभी शिक्षा मित्रों को ईपीएफ योजना में शामिल किया जाए, ताकि सभी अपने भविष्य के लिए कुछ पैसा जमा कर सकें।

- तशरीफ अली, शिक्षामित्र

सभी शिक्षा मित्रों को आयुष्मान योजना का लाभ मिलना चाहिए और मेडिकल सुविधा भी प्रदान की जाए। इससे उनको काफी हद तक राहत मिलेगी।

- विजय गोपाल, शिक्षामित्र

बोर्ड परीक्षा से लेकर चुनावों तक में हम लोग ड्यूटी करते हैं। सुबह स्कूल खोलना और बंद करना भी हमारे जिम्मे होता है, ऐसे में सुविधाएं मिलनी चाहिए।

- रविंद्र कुमार तोमर, शिक्षामित्र

काफी संख्या में शिक्षा मित्र अध्यापक भी बन गए हैं, लेकिन अभी बड़ी संख्या में बाकी हैं। सभी को एक बार और मौका मिलना चाहिए।

- इकबाल शाहिद, शिक्षामित्र

जल्द ही बढ़ाया हुआ मानदेय सभी शिक्षामित्रों को मिलना शुरू हो। एक बार फिर सरकार भर्तियां निकालें और सभी को मौका दें।

- जनक सिंह, शिक्षामित्र

शिक्षा मित्रों के हालात देखते हुए सभी के लिए बुनियादी सुविधाएं दी जाएं। स्वास्थ्य, ईपीएफ और अन्य सुविधाएं मिलें।

- चंचल त्यागी, शिक्षामित्र

समस्या

- मानदेय बढ़ाने की घोषणा के बाद जीओ अभी जारी नहीं

- ईपीएफ और आयुष्मान की सेवा में सम्मिलित नहीं हैं

- शिक्षामित्रों के वेतन को लेकर बड़ी समस्या, समान वेतन

- मृतक आश्रितों के लिए विशेष सहायता पैकेज नहीं

समाधान

- जीओ जारी कर बढ़ाया गया मानदेय दिया जाए

- ईपीएफ और आयुष्मान की सेवा में सम्मिलित किया जाए

- नई शिक्षा नीति के तहत प्रशिक्षित शिक्षामित्रों का स्थायीकरण हो

- उचित वेतनमान और भत्तों का निर्धारण किया जाए

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