यूनिवर्सिटी छात्रों को एकसाथ नहीं देगी हिन्दी-उर्दू
28 फरवरी से प्रस्तावित स्नातक प्रथम वर्ष प्राइवेट के परीक्षा फॉर्म में छात्रों को एकसाथ हिन्दी और उर्दू पढ़ने को नहीं मिलेगी। छात्र किसी भी स्थिति में तीन साहित्यिक विषय एकसाथ नहीं ले सकेंगे।...
28 फरवरी से प्रस्तावित मुख्य परीक्षाओं के लिए स्नातक प्रथम वर्ष प्राइवेट के परीक्षा फॉर्म में छात्रों को एकसाथ हिन्दी और उर्दू पढ़ने को नहीं मिलेगी। छात्र किसी भी स्थिति में तीन साहित्यिक विषय एकसाथ नहीं ले सकेंगे। अर्थशास्त्र एवं दर्शनशास्त्र भी साथ-साथ पढ़ने को नहीं मिलेंगे। जिन छात्रों ने यूपी बोर्ड या विश्वविद्यालय के बाहर से इंटर या स्नातक किया है उन छात्रों को फीस के अलावा 55 सौ रुपये अतिरिक्त देने होंगे। यूनिवर्सिटी से उत्तीर्ण छात्रों को ही सिंगल सब्जेक्ट में पेपर देने की छूट रहेगी।
यूनिवर्सिटी ने मंगलवार को बीए-बीकॉम और एमए-एमकॉम प्राइवेट फॉर्म के लिए नियम जारी कर दिए। सोमवार से यूनिवर्सिटी में प्राइवेट परीक्षा फॉर्म शुरू हुए हैं। यूनिवर्सिटी के अनुसार किसी भी छात्र को प्राइवेट फॉर्म एकसाथ तीन साहित्यिक विषय लेने की अनुमति नहीं दी जाएगी। यानी छात्र हिन्दी, अंग्रेजी, उर्दू या संस्कृत में से कोई तीन विषय एकसाथ नहीं ले सकेंगे। इसी तरह अर्थशास्त्र-दर्शनशास्त्र तथा हिन्दी-उर्दू विषय भी एकसाथ नहीं मिलेगा। यूनिवर्सिटी के अनुसार यदि कोई छात्र ऐसा करता है तो उसे पेपर में बैठने की अनुमति नहीं मिलेगी। यूनिवर्सिटी के अनुसार पर्यावरण अध्ययन 008 का क्वालीफाइंग कोर्स केवल प्रथम वर्ष के छात्र-छात्राओं के लिए अनिवार्य है। यदि छात्र इस पेपर को प्रथम वर्ष में पास नहीं कर पाते तो वे इसे प्रथम वर्ष की बैक तथा द्वितीय या तृतीय वर्ष के साथ दे सकते हैं। इसी तरह क्वालीफाइंग पेपर में ही सामान्य जागरुकता के पेपर कोड 010 केवल द्वितीय वर्ष के छात्रों के लिए अनिवार्य है। यदि छात्र इस पेपर को द्वितीय वर्ष में पास नहीं कर पाते तो वे इसे द्वितीय वर्ष के बैक या तृतीय वर्ष के साथ देकर पास हो सकते हैं। यूनिवर्सिटी के अनुसार बिना माइग्रेशन छात्रों को परीक्षा में बैठने की अनुमति नहीं मिलेगी। छात्रों को प्रथम वर्ष के फॉर्म के साथ कॉलेज में माइग्रेशन की मूल कॉपी जमा कराना अनिवार्य है। फॉर्म के साथ माइग्रेशन की फोटो कॉपी मान्य नहीं होगी। माइग्रेशन की यह बाध्यता यूपी बोर्ड के अतिरिक्त अन्य बोर्ड से इंटर पास करने वाले सभी छात्रों के लिए लागू होगी।
ये छात्र भी भर सकते हैं प्राइवेट फॉर्म
राष्ट्रीय ओपन स्कूल से उत्तीर्ण या सेकेंडरी एवं सीनियर सेकेंडरी परीक्ष 10+2 पद्धति से पांच विषयों के साथ उत्तीर्ण छात्र बीए या बीकॉम प्रथम वर्ष प्राइवेट के फॉर्म भर सकते हैं। संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय वाराणसी से उत्तर मध्यमा एवं शास्त्री की परीक्षा उत्तीर्ण छात्र बीए तथा एमए संस्कृत की परीक्षा में शामिल हो सकते हैं। साहित्य सम्मेलन प्रयाग (इलाहाबाद) से उत्तीर्ण छात्र सीसीएसयू की परीक्षा में शामिल नहीं हो सकते। बीबीए-बीसीए की परीक्षा क्रमश:बीकॉम या बीएससी गणित की स्नातक उपाधि के समकक्ष मानी जाएगी। यूनिवर्सिटी के अनुसार जिन छात्रों ने आबिद एवं कामिल परीक्षा जामिया-ए-उर्दू अलीगढ़ से पास की है वे छात्र भी सीसीएसयू की परीक्षा में शामिल नहीं हो सकते।
ऐसे होगा यूजी-पीजी में डिविजन इंप्रूवमेंट
जिन छात्रों ने नेट, स्लेट, एमफिल या पीएचडी उत्तीर्ण कर ली है और वे यूजी में अपनी श्रेणी सुधारना चाहते हैं तो ऐसे छात्र नेट, स्लेट, एमफिल या पीएचडी की उपाधि लेने के दो साल के अंदर यूजी में डिविजन इंप्रूवमेंट का फॉर्म भर सकते हैं। यदि कोई छात्र एमए या एमकॉम में डिविजन इंप्रूवमेंट करना चाहते हैं तो वे भी पीजी की उपाधि पूरी करने के दो साल के अंदर किसी एक वर्ष की परीक्षा में शामिल हो सकते हैं।
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