गूगल डॉक्टर ने पैदा किए देश में ऐसे हालात
प्रत्येक मेडिकल सिस्टम की अच्छाई और बुराइयां हैं। कोई भी तंत्र संपूर्ण नहीं है। वर्तमान में देश में जो हालात हैं वह महामारी नहीं बल्कि डर से पैदा...
प्रत्येक मेडिकल सिस्टम की अच्छाई और बुराइयां हैं। कोई भी तंत्र संपूर्ण नहीं है। वर्तमान में देश में जो हालात हैं वह महामारी नहीं बल्कि डर से पैदा हुए हैं। यह डर फॉर्मा लॉबी ने निहित स्वार्थों से खड़ा किया है। मध्यम श्रेणी में संक्रमित प्रत्येक व्यक्ति हॉस्पिटल दौड़ रहा है। डर में वह ऑक्सीजन और रेमडेसिविर इंजेक्शन मांग रहा है। वे गूगल डॉक्टर बन गए हैं और डॉक्टर से विशेषीकृत दवाइयां एवं उपचार मंगा रहे हैं। खुद को भर्ती करने के लिए दबाव डाल रहे हैं।
शोभित विवि में कोरेाना प्रबंधन पर हुई अंतरराष्ट्रीय मीट में विशेषज्ञों ने उक्त बातें कहीं। कुलपति प्रो.एपी गर्ग, यूनेस्को की पूर्व प्रो. एमिना एथर, यूएसए में क्लीनिकल डायरेक्टर बाजीराव पाटिल, जर्मनी से यूरोपियन इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के डॉ.सुनील नायक, मेरठ मेडिकल कॉलेज से डॉ.तुंगवीर सिंह आर्य, एम्स पटना से जेनेटिक्स एंड पैथोलॉजी के हेड प्रो.अजित सक्सेना और इजराइल एवं चीन में वैज्ञानिक रह चुके डॉ.सुदेश के.शुक्ला मीट में शामिल रहे।
यह निकला निष्कर्ष
-सभी संक्रमितों को हॉस्पिटल में एडमिट होने की जरूरत नहीं है। यदि वे डायबिटीज, मोटापा, हृदय, किडनी, फेफड़े एवं रक्तचाप जैसी बीमारियों से न जूझ रहे हों तो।
-30-40 फीसदी व्यक्ति रिपोर्ट पॉजिटिव आने पर पैनिक अटैक से गुजर रहे हैं।
-एक ही समय में पांचों उंगलियों के ऑक्सीजन का स्तर अलग-अलग आ सकता है जो 84-98 फीसदी तक हो सकता है। ऐसे में घबराएं नहीं।
-रेमडेसिविर और स्टेरॉयड्स सभी मरीजों को हर समय देने की जरूरत नहीं है।
-डबल मास्क आपको 90-95 फीसदी सुरक्षा देता है और इससे ऑक्सीजन का स्तर नहीं गिरता।
-बुखार किसी भी स्थिति में 99 से ऊपर और ऑक्सीजन का स्तर 90 फीसदी से नीचे नहीं जाना चाहिए।
-खुद अपने आप गूगल डॉक्टर मत बनिए। दिन में दो बार भाप, नमक या फिटकरी के साथ गर्म पानी के गरारे गले के संक्रमण से बचाते हैं। गर्म पानी पीएं। कोल्ड ड्रिंक और आइसक्रीम बिल्कुल ना खाएं। सात घंटे की नींद लें। विटामिन-सी और जिंक की प्रचुरता वाला भोजन लें।
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