अपने हुए बेगाने तो दूसरो ने दिया सहारा
Meerut News - गंगोल रोड स्थित खेड़ाखानपुर गांव में वृद्धजनों ने मदर्स डे पर अपने दर्द को साझा किया। उन्होंने बताया कि बच्चों की परवरिश के लिए उन्होंने संघर्ष किया, लेकिन अंत में अपने ही बच्चे उन्हें वृद्ध आश्रम...

गंगोल रोड स्थित खेड़ाखानपुर गांव में दादा-दादी वृद्ध आश्रम में हिन्दुस्तान ने मदर्स डे पर वृद्धजनों से उनका हाल जाना तो उन्होंने अपना दर्द साझा करते हुए बताया कि हमने अपने पूरे जीवन में संघर्ष कर अपने बच्चों की अच्छी परवरिश करने के लिए कड़ी धूप में पसीना बहाकर पेट भरा और लोगों से कर्ज लेकर भी शिक्षा पूरी कराई। बच्चों को काबिल होता देख मां बाप भी अपने बच्चों से यही उम्मीद रखते हैं कि उनके बच्चे बड़े हो गए हैं और मां बाप के बुढ़ापे का सहारा बनेंगे। बच्चों की नौकरी लगने पर मां-बाप कर्ज लेकर बच्चों की समय पर शादी करते हैं।
शादी के कुछ दिनों बाद ही घर की बहू आए दिन खाना-पीना देने के लिए लड़ाई झगड़ा करती है जिससे घर में क्लेश रहता है। आखिर में बच्चे अपने मां-बाप को बोझ मानने लगते हैं और एक दिन वृद्ध आश्रम में छोड़ आते हैं। मोहकमपुर निवासी 68 वर्षीय सोमवती ने बताया कि उनके तीन बच्चे हैं और हंसता खेलता पूरा परिवार है। तीनों बहूओं के कारण आ दिन गृह क्लेश रहने लगा। बहूओं के कहने पर बच्चे वृद्ध आश्रम में छोड़ गए। कुछ दिन तो मन नहीं लगा लेकिन बाहर से आए लोगों के साथ ऐसा मन लग गया कि अब घर की याद नहीं आती है। उड़ीसा निवासी 65 वर्षीय शोभावती ने बताया कि उनके पति की मौत के बाद उन्होंने जैसे-तैसे अपनी दोनों बेटियों की शादी कर दी। परिवार के लोगों ने उनकी जमीन पर कब्जा कर लिया। जिससे वह बेघर हो गई। जिसके बाद वह आश्रम में रहने लगी।
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