अब पास होने तक छात्रों को बैक पेपर देने के मौके
चौ. चरण सिंह विवि ने स्नातक और स्नातकोत्तर स्तर पर सेमेस्टर सिस्टम में छात्रों के लिए बैक पेपर देने की बाध्यता समाप्त कर दी है। इससे छात्रों को एक विषय में फेल होने पर कई बार बैक पेपर देने का मौका...
चौ. चरण सिंह विवि कैंपस और संबद्ध कॉलेजों में छात्रों को स्नातक एवं स्नातकोत्तर स्तर पर सेमेस्टर सिस्टम में किसी विषय में फेल होने पर बैक पेपर के लिए प्रयासों की अधिकतम बाध्यता खत्म हो गई है। विवि के यूजी एनईपी, पीजी एनईपी एवं सेमेस्टर सिस्टम के नियमों को समान रूप से स्वीकार करने हुए छात्रों को यह राहत मिलेगी। यूजी-पीजी प्रोफेशनल कोर्स के सेमेस्टर सिस्टम में यह विकल्प छात्रों को पहले से मिल रहा था, लेकिन अब ट्रेडिशनल कोर्स में भी इसका लाभ मिल सकेगा। यूजी-पीजी प्राइवेट के चुनिंदा छात्रों पर केवल एक बार ही बैक पेपर देने का नियम अभी लागू रहेगा, लेकिन दिसंबर में प्रस्तावित दूरस्थ एवं मुक्त शिक्षा के बाद इसमें भी बदलाव की उम्मीद है।
इसलिए पास होने तक बार-बार पेपर दे सकेंगे छात्र
विवि में किसी विषय में फेल होने पर इसे पास करने को बैक पेपर का नियम है। स्नातक वार्षिक में एक बार फेल होने के बाद यदि छात्र बैक परीक्षा में भी फेल हुआ तो उसे पूरे वर्ष की परीक्षा देनी होती थी। इसमें केवल एक बार ही बैक पेपर देने की छूट थी। लेकिन विवि स्नातक एनईपी में सेमेस्टर सिस्टम अपना चुका है। इसमें किसी सेमेस्टर में पेपर में फेल होने पर छात्र इसके पास होने तक कई बार बैक पेपर दे सकते हैं। हालांकि बैक पेपर की यह सुविधा समान सेमेस्टर के साथ मिलेगी। यानी सम के साथ सम और विषम के साथ विषम सेमेस्टर। कॉलेजों में भी विवि सेमेस्टर में पास होने तक बैक पेपर देने के नियम अपना चुका है। पीजी एनईपी में विवि ने सोमवार को नए नियमों को मंजूरी दे दी। विवि के अनुसार यदि कोई छात्र आंतरिक परीक्षा में पास है, लेकिन बाह्य परीक्षा में फेल हो गया तो वह इसे पास होने तक बैक पेपर दे सकता है।
केवल प्राइवेट के छात्र पुराने नियम में
विवि में स्नातक बीए, बीकॉम और स्नातकोत्तर में एमए-एमकॉम में ही प्राइवेट परीक्षा का विकल्प है। दिसंबर में यूजी-पीजी प्राइवेट प्रथम वर्ष दूरस्थ शिक्षा में शुरू होने की उम्मीद है। ऐसे में विवि में स्नातक प्राइवेट में द्वितीय-तृतीय वर्ष और पीजी में द्वितीय वर्ष में ही केवल एक बार बैक पेपर का नियम जारी रहेगा। बाकी रेगुलर कोर्स में स्नातक एवं स्नातकोत्तर के छात्र इस बाध्यता से बाहर हो गए हैं।
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