भरत हैं प्रेम रूपी अमृत के सागर
अयोध्यापुरी (भैसाली मैदान) में श्री राम कथा के सातवें दिन कथाव्यास अतुल कृष्ण भारद्वाज ने भक्तिरस से श्रद्धालुओं को सराबोर कर दिया। उन्होंने कहा कि राम और भरत में संपत्ति का बंटवारा नहीं किया बल्कि...
अयोध्यापुरी (भैसाली मैदान) में श्री राम कथा के सातवें दिन कथाव्यास अतुल कृष्ण भारद्वाज ने भक्तिरस से श्रद्धालुओं को सराबोर कर दिया। उन्होंने कहा कि राम और भरत में संपत्ति का बंटवारा नहीं किया बल्कि विपत्ति का बंटवारा किया और केवट ने समर्पित भाव से भगवान राम के पैर धोए थे। हमें इनसे प्रेम व त्याग की प्रेरणा लेनी चाहिए।
कथाव्यास ने बताया कि वनगमन के समय श्रीराम की भेंट उनके प्रिय सखा निषाद राज गुहा से कराई, तत्पश्चात गंगा नदी पार करने के लिए भगवान केवट से मिले। याचना पर भगवान पैर धुलाने को तैयार हुए तब भगवान के चरण पकड़ने का अवसर केवट को मिला, जिससे उसके साथ साथ उसकी समस्त पीढ़ी तर गई। वह बोले, भरत प्रेम रूपी अमृत के सागर हैं। चरण पादुका को सिंहासन पर रखकर भगवान के अयोध्या वापस आने के पूर्व भी राम राज्य की स्थापना कर डाली।
देश के पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम ने गीता का सार अध्ययन करने के बाद अपनी योग्यता का विस्तार कर अपना पूरा जीवन राष्ट्र की उन्नति हेतु लगा दिया। स्वामी विवेकानंद ने अमेरिका में वेदांत का प्रचार कर अध्यात्म की दिशा में भारत को विश्व का सिरमौर बनाया। जो सच्चा ज्ञानी होता है वही समाज में ज्ञान का प्रकाश फैलाता है। उन्होंने कहा कि कनिष्ठ भी अपने गुणों से श्रेष्ठ हो सकता है क्योंकि श्रेष्ठता सदैव गुणों पर ही निर्भर करती है।
गुरुजी ने संस्कृत विद्यालय में जाकर छात्रों को संबोधित किया और बिलेश्वर मंदिर में महादेव के दर्शन किए। मुख्य यजमान मयंक मोहन गुप्ता, सांसद राजेन्द्र अग्रवाल, मुकेश सिंघल, अमित अग्रवाल, संघ परिवार से धनीराम, जतन स्वरूप, विनोद भारती, ईश्वर चंद कंसल, प्रदीप कुमार, अरुण सोलंकी, आदित्य दुबलिश, अनुज राठी, ललित नागदेव, संजय त्रिपाठी, संजीव गुप्ता, गौरव गोयल, आलोक सिसौदिया, अमन गुप्ता, मीडिया प्रभारी अमित शर्मा, राजेश दीवान का सहयोग रहा।
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