बीएड एंट्रेंस: कोरोना के बीच दस घंटे केंद्रों पर रुकेंगे छात्र
कोरोना संक्रमण के बीच प्रदेशभर के बीएड कॉलेजों में प्रवेश के लिए 29 जुलाई को प्रस्तावित एंट्रेंस में छात्रों को दस घंटे केंद्रों पर रुककर पेपर देना होगा। छह घंटे तक दो पालियों में पेपर और दो घंटे के...
कोरोना संक्रमण के बीच प्रदेशभर के बीएड कॉलेजों में प्रवेश के लिए 29 जुलाई को प्रस्तावित एंट्रेंस में छात्रों को दस घंटे केंद्रों पर रुककर पेपर देना होगा। छह घंटे तक दो पालियों में पेपर और दो घंटे के अंतराल के बीच छात्रों की केंद्रों पर रहने की मजबूरी होगी। सार्वजनिक परिवहन की सीमित उपलब्धता के बीच छात्रों का केंद्रों पर पहुंचकर परीक्षा देना किसी चुनौती से कम नहीं होगा। कॉलेजों ने शासन से बीएड में प्रवेश के लिए इस वर्ष वैकल्पिक व्यवस्था करने की अपील की है।
चुनौती: संक्रमण का बना रहेगा खतरा
बीएड प्रवेश परीक्षा दो पालियों में होती है। दोनों पाली में तीन-तीन घंटे के दो पेपर होते हैं। प्रत्येक छात्र के लिए ये दोनों पेपर में शामिल होना जरूरी है। केंद्रों पर छात्रों को एक से दो घंटे पहले पहुंचना अनिवार्य है। पहली पाली के बाद छात्रों को दो घंटे का ब्रेक मिलता है। इस दौरान स्टूडेंट केंद्रों के पास ही रहते हैं। चूंकि बीएड एंट्रेंस में 70 फीसदी लड़कियां शामिल होती हैं और उनके साथ परिजन भी आते हैं। ऐसे में कोरोना संक्रमण के बढ़ते खतरे के बीच स्टूडेंट का 10 घंटे केंद्र पर रुकना बेहद चुनौतीपूर्ण और खतरनाक हो सकता है।
कॉलेजों का तर्क: जब 33 फीसदी पर प्रवेश तो मेरिट क्यों नहीं
कॉलेजों के अनुसार शासन ने भले ही 29 जुलाई को एंट्रेंस तय कर दिया हो, लेकिन पांच लाख स्टूडेंट की परीक्षा कराना इतना आसान नहीं है। केंद्रों पर छात्रों की कैसे चेकिंग होगी। एंट्रेंस में प्रदेश में एक लाख कक्ष निरीक्षक, पर्यवेक्षक और सेक्टर एवं नोडल मजिस्ट्रेट तथा पुलिसकर्मियों की ड्यूटी लगती है। ऐसे में सवाल है कि स्टूडेंट की जांच कैसे संभव होगी। कॉलेजों के अनुसार एंट्रेंस के बाद ही हर वर्ष 33 फीसदी तक के नंबर वालों के प्रवेश होते हैं। ऐसे में शासन स्नातक या स्नातकोत्तर स्तर के अंकों पर मेरिट बनाकर कॉलेज लॉक करा दे।
'नो एग्जाम' ट्विटर पर टॉप में ट्रेंड
मेरठ। 30 जून के बाद विवि में परीक्षाएं कराने और 29 जुलाई को बीएड एंट्रेंस की घोषणा के बाद प्रदेश स्तर पर विरोध भी तेज हो गया है। सोमवार को ट्विटर पर हैशटैग नो एग्जाम टॉप ट्रेंड में रहा। चौ. चरण सिंह विवि सहित प्रदेशभर से परीक्षाओं नहीं कराने के लिए एक लाख 19 हजार ट्वीट किए जा चुके हैं। शासन के परीक्षाओं की घोषणा के बाद से स्टूडेंट ट्विटर पर बहिष्कार के लिए ट्रेंड चला रहे हैं। छात्रों का तर्क है कि शासन परीक्षाओं का निर्णय करके उनके सुरक्षा की अनदेखी की जा रही है।
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