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बोले मेरठ : आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों के सामने चुनौतियां हजार

Meerut News - मेरठ की आंगनबाड़ी कार्यकत्रियां बच्चों, गर्भवती महिलाओं और माताओं के पोषण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। कठिन परिस्थितियों में कार्यरत ये महिलाएं सीमित संसाधनों के साथ कई चुनौतियों का सामना करती...

Newswrap हिन्दुस्तान, मेरठWed, 19 Feb 2025 06:09 PM
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बोले मेरठ : आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों के सामने चुनौतियां हजार

मेरठ। आंगनबाड़ी कार्यकत्री, समाज की वह आधारशिला हैं, जो बच्चों, गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं के पोषण और स्वास्थ्य की देखभाल में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। मेरठ की सैकड़ों कार्यकत्री कठिन परिस्थितियों में निस्वार्थ सेवा कर रही हैं लेकिन उनकी राह आसान नहीं है। कई चुनौतियां उनके सामने आती हैं। समाज के महत्वपूर्ण स्तंभों में से एक हैं आंगनबाड़ी कार्यकत्रियां

आंगनबाड़ी कार्यकत्रियां समाज के सबसे महत्वपूर्ण स्तंभों में से एक हैं। बच्चों के पोषण, महिलाओं के स्वास्थ्य और ग्रामीण शिक्षा के क्षेत्र में योगदान देने वालीं आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों की सेवा 1975 से जारी है। मेरठ समेत पूरे प्रदेश में लाखों आंगनबाड़ी कार्यकत्री अपनी जिम्मेदारियों को बखूबी निभा रही हैं लेकिन उनके सामने कई चुनौतियां भी हैं, जिनका समाधान होना बहुत जरूरी है।

आंगनबाड़ी कार्यकत्रियां कम वेतन पर भी पूरी मेहनत के साथ काम करती हैं। महंगाई के दौर में उन्हें अपने और अपने परिवार के भरण-पोषण में कठिनाई होती है, लेकिन वो सेवा से पीछे नहीं हटती हैं। कई बार समय पर वेतन न मिलने की समस्या से भी जूझती हैं।

मेरठ में महिला आंगनबाड़ी कार्यकत्री संघ की जिलाध्यक्ष संतोष परमार और साबिया खानम का कहना है एक आंगनबाड़ी कार्यकत्री को अपने क्षेत्र में बच्चों, गर्भवती महिलाओं की देखभाल, सरकारी योजनाओं का क्रियान्वयन और सर्वेक्षण आदि के साथ कई जिम्मेदारियां निभानी पड़ती हैं। इसके बावजूद उन्हें सीमित संसाधनों में काम करना पड़ता है। फिर भी उनके ऊपर आरोप-प्रत्यारोप लगाए जाते हैं। उनको ऑनलाइन डाटा मोबाइल से देना पड़ता है, लेकिन यह मोबाइल आज भी पुरानी तकनीक वाला है, जिसमें नेटवर्क तक नहीं आते। जो काम सौंपे गए हैं वे उनके भी अलावा कई और कामों में लगी रहती हैं। मानदेय बहुत कम मिलता है। अगर उनकी समस्याओं का स्थायी समाधान मिल जाए तो आसानी हो जाए।

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कई काम की जिम्मेदारी

आंगनबाड़ी कार्यकत्री कुसुम नवल, कविता शर्मा और सुमन का कहना है कि हमें छह सेवाएं प्रदान करने की जिम्मेदारी दी गई है। इनमें अन्नपूरक पोषाहार, स्कूल पूर्व शिक्षा, टीकाकरण, स्वास्थ्य जांच व पोषण, स्वास्थ्य शिक्षा और संदर्भ सेवाएं शामिल हैं। ड्यूटी सुबह दस से दो बजे तक रहती है और एक घंटे होम विजिट करती हैं। बहुत सी आंगनबाड़ी कार्यकत्री रिटायर हो गईं तो उनकी जगह मौजूदा कार्यकत्री को उनके केंद्र की जिम्मेदारी दे रखी है। एक कार्यकत्री बीएलओ, स्वास्थ्य विभाग, मातृत्व योजना, जनगणना, पल्स पोलियो के कार्यों के साथ कई केंद्र भी देखती हैं।

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चेहरा प्रमाणीकरण बन गया समस्या

कार्यकत्री नरेश चौहान, बबीता शर्मा और सविता का कहना है कि लाभार्थियों का चेहरा प्रमाणीकरण बड़ी समस्या बन गया है। गर्भवती और जच्चा या धात्री महिलाएं जो लाभार्थी होती हैं उनके चेहरा प्रमाणीकरण बहुत जरूरी है। अगर ऐसा ना किया जाए तो उनको पोषाहार नहीं मिल सकता। कई बार इन महिलाओं तक पोषाहार केवाईसी के कारण पहुंच नहीं पाता और इसकी शिकायत लोग ऑनलाइन पोर्टल पर कर देते हैं। अगर शिकायत की सुविधा लाभार्थियों के लिए है तो आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों के लिए भी तो होनी चाहिए।

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फ्रॉड होने का रहता है डर

सविता, संजीता और गीता रानी का कहना है कि चेहरा प्रमाणीकरण या केवाईसी के दौरान ओटीपी और लिंक लाभार्थी के मोबाइल पर जाता है, जिसके बाद आगे की प्रक्रिया की जाती है। लेकिन आजकल ऑनलाइन फ्रॉड की समस्याएं बढ़ गई हैं, साइबर अपराधी खुद को आंगनबाड़ी कार्यकत्री बताकर ओटीपी और लिंक भेजते हैं, जिसके बाद लोगों के खातों से पैसे साफ हो जाते हैं।

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एक-एक आंगनबाड़ी को देखने पड़ रहे कई केंद्र

आंगनबाड़ी कार्यकत्री नीमा, सुनीता और सरोज का कहना है बहुत सारी आंगनबाड़ी रिटायर हो गई हैं और लंबे समय से भर्ती नहीं हुई है। ऐसे में एक-एक आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों को कई-कई सेंटर देखने पड़ रहे हैं। खुद के केंद्र और दूसरी आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों के केंद्र देखने में पूरा दिन निकल जाता है, लेकिन मानदेय वही छह हजार रुपये मिलता है।

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ये काम भी इनके जिम्मे

आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों का कहना है कि अगर गांव में किसी की मृत्यु हो जाती है तो इंश्योरेंस वाले उनके पास रजिस्टर देखने आते हैं। जन्म मरण की जानकारी के लिए वह इंश्योरेंस वालों का भी काम करती हैं। जल मिशन से लेकर मातृत्व वंदना योजना तक की जिम्मेदारी उनकी होती है। जांच के दौरान उनको ही सबसे ज्यादा परेशान किया जाता है। पूछताछ भी उनके साथ ही की जाती है।

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परिवार के लोग करते हैं सहायता

आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों का कहना है कि उन्हें 5जी के जमाने में 2जी वाला मोबाइल दिया हुआ है। उसमें नेटवर्क सही से नहीं आता और रिचार्ज के पैसे भी नहीं मिलते। उनके कार्यों की फीडिंग के लिए परिवार वाले भी उनके साथ लगे रहते हैं। पूरे दिन काम करने के बाद परिवार वाले भी उनकी सहायता में लग जाते हैं। अगर स्थायीकरण हो जाए तो यह भी समस्या झेल लेंगे।

दूर-दराज के क्षेत्रों में जाकर करती हैं सेवा

आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों का कहना है उनको योगदान के अनुरूप सम्मान नहीं मिलता। कई बार उन्हें सिर्फ सामान्य कार्यकर्ता समझ लिया जाता है, जबकि वे समाज के सबसे निचले स्तर पर जाकर बदलाव लाने का प्रयास कर रही होती हैं। मेरठ जैसे शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में कई आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को अपने कार्यक्षेत्र तक पहुंचने के लिए लंबी दूरी तय करनी पड़ती है। कुछ इलाकों में सुरक्षा की समस्या होती है, जिससे वे असुरक्षित महसूस करती हैं।

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प्रशिक्षण और संसाधनों की कमी

सरकार समय-समय पर प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करती है, लेकिन कई बार उन्हें आधुनिक तकनीक और पोषण से जुड़ी नई जानकारियों की पूरी जानकारी नहीं मिल पाती। उन्हें कई बार जरूरी उपकरण, मेडिकल किट और पौष्टिक आहार सामग्री समय पर नहीं मिलती। उनके द्वारा महिलाओं, बच्चों और किशोरी लाभार्थियों को स्वास्थ्य व पौष्टिक आहार उपलब्ध कराया जाता है। इनमें दलिया, चावल, दाल और रिफाइंड ऑयल शामिल होता है।

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वित्तीय असुरक्षा

आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों का कहना है कि उनको बहुत कम मानदेय मिलता है, जो उनके परिवार का भरण-पोषण के लिए पर्याप्त नहीं होता। केंद्रों में बच्चों के लिए पर्याप्त पोषण सामग्री, शिक्षण उपकरण और स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी होती है, जिससे उनका कार्य प्रभावित होता है। सरकारी योजनाओं के प्रचार-प्रसार से लेकर सर्वेक्षण तक कई अतिरिक्त कार्य करने होते हैं, जिससे उनका मूल कार्य प्रभावित होता है।

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कार्यभार का संतुलन

आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों का कहना है कि उन पर अतिरिक्त कार्य का बोझ कम किया जाना चाहिए, ताकि वे अपने मुख्य कार्य पर अधिक ध्यान दे सकें। कार्यकत्रियों की सुरक्षा के लिए उचित कदम उठाए जाने चाहिए। समाज और प्रशासन को उनके कार्य की सराहना करनी चाहिए। नई योजनाओं और पोषण संबंधी जानकारियों के लिए नियमित प्रशिक्षण सत्र आयोजित किए जाने चाहिए।

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समस्या

- फोन के प्रयोग की सही ट्रेनिंग नहीं मिलने से समस्या होती है

- एक आंगनबाड़ी कार्यकत्री कई केंद्रों को देखती है

- महंगाई के दौर में मानदेय बहुत कम है

- पुष्टाहार वितरण के अलावा अन्य कई काम करती हैं

- चेहरा प्रमाणीकरण के दौरान कई समस्याएं होती हैं

- आने-जाने के दौरान असुरक्षा का डर रहता है

सुझाव

- बहुत सी आंगनबाड़ी पुरानी हैं जिन्हें सही ट्रेनिंग की जरूरत है

- एक आंगनबाड़ी कार्यकत्री के कार्यों को सीमित किया जाए

- मानदेय बढ़ाया जाए ताकि परिवार का पोषण हो सके

- चेहरा प्रमाणीकरण के दौरान आने वाली समस्याएं हल की जाएं

- आज 5जी का समय है तो उन्हें आधुनिक मोबाइल दिए जाएं

- आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों की सुरक्षा का ध्यान भी रखा जाए

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एक आंगनबाड़ी कार्यकत्री को अपने क्षेत्र में बच्चों, गर्भवती महिलाओं की देखभाल, सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन की जिम्मेदारी निभानी पड़ती है। लेकिन मानदेय के अनुसार ये जिम्मेदारियां अधिक हैं। - संतोष परमार, जिलाध्यक्ष, आंगनबाड़ी कार्यकत्री संघ

पुष्टाहार वितरण के साथ मृत्यु-जन्म रजिस्टर की जिम्मेदारी भी संभालनी पड़ती है, इसके साथ कई और जिम्मेदारियां आंगनबाड़ियों को दी गई हैं। अगर स्थायित्व मिल जाए तो सब काम आसान होगा। - साबिया खानम, जिलामंत्री, आंगनबाड़ी कार्यकत्री संघ

हम पर अतिरिक्त कार्य का बोझ कम किया जाना चाहिए, ताकि हम लोग अपने मुख्य कार्य पर अधिक ध्यान दे सकें। कार्यकत्रियों की सुरक्षा के लिए उचित कदम उठाए जाने चाहिए।

- कुसुम नवल, परीक्षितगढ़

एक-एक आंगनबाड़ी कार्यकत्री कई-कई केंद्रों की जिम्मेदारी उठा रही है, लंबे समय से भर्ती नहीं हुई, ऐसे में मानदेय में वृद्धि की जानी चाहिए, ताकि हमारे परिवार का भी पालन पोषण सही हो सके। - कविता शर्मा, ग्राम लोहिया

चेहरा प्रमाणीकरण के दौरान कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। गर्भवती महिलाएं और जच्चा महिलाएं आती नहीं हैं, जबकि प्रमाणीकरण के बाद ही उनको पुष्टाहार और अन्य सामान दिया जाता है। - सुमन देवी, महल गांव

कई बार प्रमाणीकरण के कारण बड़ी समस्या का सामना उठाना पड़ता है, कुछ फ्रॉड लोग महिलाओं के खाते से लिंक और ओटीपी भेजकर पैसे तक निकाल लेते हैं, इसलिए प्रमाणीकरण सावधानी से किया जाता है - नरेश चौहान, दुल्हैड़ा

लाभार्थियों को अगर सामान ना मिले तो सरकारी पोर्टल पर शिकायत कर दी जाती है। हमारी भी समस्या होती है, ऐसे में हमारे लिए भी शिकायत करने के लिए पोर्टल बनाया जाए, ताकि सही बात रखी जा सके। - बबीता शर्मा, दौराला

हमे जो मोबाइल दिया गया है वह 2जी है, जिस पर काम करना बड़ा मुश्किल होता है। इसका रिचार्ज तक का खर्चा हमें ही वहन करना पड़ता है। इसमें नेटवर्क की बहुत ज्यादा समस्या आती है। - संजीता देवी, मवीं मीरा

बहुत सारी आंगनबाड़ी काफी पुरानी हैं, उनको मोबाइल तक भी चलाना नहीं आता, ऐसे में उनको ट्रेनिंग की जरूरत है। उनको प्रशिक्षित किया जाए ताकि डाटा फीडिंग या अन्य जानकारी सही से दी जा सके। - गीता रानी, लोहिया गांव

मोबाइल में डाटा फीड करने के लिए परिवार के बच्चे भी कई बार सहायता करते हैं। छह हजार मानदेय में परिवार के लोग भी काम करते हैं, ऐसे में यह मानदेय बढ़ना चाहिए और स्थाई व्यवस्था की जाए - नीमा कांबोज, समौली

हम लोग क्षेत्र में लाभार्थी महिलाओं और बच्चों के लिए टेक होम राशन, वेट ग्रोथ जैसे कार्य भी करते हैं। इसके साथ सामुदायिक गतिविधियों का कार्य भी हमें ही देखना पड़ता है, इनमें काफी समय लगता है। - सुनीता चौहान, मटौर

अब तो गांव में कोई मर जाता है या जन्म प्रमाण चाहिए तो हमें ही उसके लिए बुलाया जाता है। इंश्योरेंस वाले भी हमारे पास आकर जन्म-मरण वाले रजिस्टर देखते हैं, इसके बाद आगे की कार्रवाई होती है। - सरोज बाला, पोहल्ली

हम लोग आशाओं के साथ मिलकर काम करती हैं। सुबह 10 से 2 बजे तक और उसके बाद एक घंटे होम विजिट भी करती हैं। दूसरे केंद्रों पर भी ड्यूटी करते हैं, ऐसे में हमारा मानदेय बढ़ाया जाना चाहिए। - प्रभात देवी, समौली

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