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मेरठ कॉलेज में यादों की बारात....दिल खोल गले मिले छात्र

Meerut News - मेरठ कॉलेज में सोमवार को पुरातन छात्र सम्मेलन 'स्मृतियां: 2024' का आयोजन हुआ। पुराने छात्र अपने अनुभव साझा करने पहुंचे। 90 वर्षीय मोहम्मद यामीन कुरैशी को उनके बेटे ने कैंपस का दौरा कराया। सांसद डॉ....

Newswrap हिन्दुस्तान, मेरठTue, 24 Dec 2024 02:14 AM
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मेरठ। वेस्ट यूपी के प्रमुख और ऐतिहासिक कॉलेजों में शुमार मेरठ कॉलेज में सोमवार का दिन खास रहा। कॉलेज से पढ़कर देश-दुनिया तक पहुंचे पुरातन छात्र यादों की बारात लेकर पहुंचे। कॉलेज के सबसे पुराने एल्युमिनी मोहम्मद यामीन कुरैशी भी पहुंचे। 90 साल के यामीन को उनके बेटे एडवोकेट इमरान कुरैशी ने लाइब्रेरी से लेकर पूरे कैंपस में घुमाया। उम्र के इस पड़ाव पर अपने कॉलेज को देख यामीन की आंखों में चमक बिखर गई। यामीन 1952 में कॉलेज के छात्र थे। कॉलेज के 29 विभागों में पुरातन विद्यार्थी अपनी यादों के साथ पहुंचे और पहली बार हुए पुरातन छात्र सम्मेलन स्मृतियां: 2024 का हिस्सा बने। सम्मेलन का शुभारंभ केंद्रीय लाइब्रेरी भवन में बागपत सांसद डॉ.राजकुमार सांगवान एवं जिला जज संजय मलिक ने चौ.चरण सिंह की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर किया। कॉलेज सेक्रेटरी विवेक गर्ग एवं प्राचार्य डॉ.मनोज रावत ने भी चौ.चरण सिंह को श्रद्धासुमन अर्पित किए। कॉलेज ने 23 दिसंबर चौ.चरण सिंह जयंती को प्रतिवर्ष पुरातन छात्र सम्मेलन के रूप में मनाने की घोषणा की। चर्चित शायर डॉ. नवाज देवबंदी भी पहुंचे।

ओपन थियेटर में गूंजे गाने..चलो एक बार फिर से

देश के विभिन्न हिस्सों से कॉलेज पहुंचे पुरानत छात्र अपने-अपने विभागों में पहुंचे। दशकों बाद भी कॉलेज को यथावत देख छात्र गदगद हो उठे। सभी पुरातन छात्र ओपन थियेटर पहुंचे। खुले आसमान के नीचे पुरातन छात्र-छात्राओं ने यादों को साझा किया। एल्युमिनी ने चलो एक बार फिर से अजनबी बन जाएं हम दोनों..सुनाकर तालियों की दाद पाई। शिक्षिका डॉ. निशा मनीष ने बाबू जी धीरे चलना, प्यार में जरा संभालना सुनाते हुए यादों को चार चांद लगा दिए। एल्युमिनी शिवांग ने गुलाबी आंखें जो देखी तेरी..सुनाकर महफिल लूट ली।

रेडियो पास नहीं था...गाना आता नहीं

बागपत सांसद डॉ.राजकुमार सांगवान मंच पर पहुंचे। उनके पहले डॉ.निशा मनीष गजल सुना रही थी। डॉ.सांगवान ने कहा कि उन्हें गाना तो आता नहीं है। कभी गाया भी नहीं। जिंदगी में रेडियो भी पास नहीं रहा। गांव से कॉलेज पढ़ने आए तो कुछ अंक से प्रवेश नहीं हुआ। एक छात्र नेता ने प्रवेश के लिए फॉर्म ले लिया। तीन महीने बाद उस छात्र नेता ने मेरा प्रवेश करा दिया। डॉ.सांगवान ने कहा हॉस्टल नहीं होता तो गांव जाकर फिर से गन्ने छीलने पड़ते। डॉ.सांगवान के अनुसार इसके बाद जिंदगी में उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा और लाखों के प्रवेश कराए। डॉ.सांगवान ने कहा मेरठ कॉलेज आकर ही उन्होंने जिंदाबाद-मुर्दाबाद सीखा। और इसी की बदौलत आज सांसद हूं। सांगवान ने कहा आज भी वे जिस कमरे में सोते हैं उसमें कुंडा नहीं है। 24 घंटे जनता के लिए दरवाजे खुले हुए हैं।

कॉलेज के लिए हमेशा तैयार, बताएं क्या चाहिए

राज्यसभा सांसद डॉ.लक्ष्मीकांत वाजपेयी भी कॉलेज पहुंचे। डॉ.वाजपेयी के अनुसार उन्होंने वह जगह भी देखी जहां कभी हम क्लास बंक कर चले जाते थे। आज वहां दीवार लग गई है। डॉ.वाजपेयी की इस बेबाकी पर साथी मुस्कारने लगे। डॉ.वाजपेयी के अनुसार वह कॉलेज के लिए हमेशा तैयार हैं। वह शहर में ऐसी लाइब्रेरी बनवाना चाहते हैं जहां गरीब, मजबूर छात्र दिन-रात किसी भी वक्त आकर पढ़ सकें। वाजपेयी के अनुसार इस लाइब्रेरी में कंप्यूटर, प्रिंटर सहित सभी सुविधाएं होंगी। छात्रों को उनकी जरूरत के अनुसार नोट्स मिलेंगे। वाजपेयी के अनुसार पहले वह इस लाइब्रेरी को सीसीएसयू कैंपस में बनवाना चाहते थे, लेकिन अब इस प्रस्ताव को वापस ले लिया गया है। वाजपेयी के अनुसार कॉलेज प्रबंधन अपनी जरूरतों की सूची बनाकर दे। वह इसे पूरा करएंगे और जो उनके दायरे से बाहर होगा, उसे पूरा कराएंगे। कॉलेज प्रबंधन ने वाजपेयी के प्रस्ताव पर काम करने का भरोसा दिया। कॉलेज के अनुसार वह ऐसी जगह तलाशेंगे जहां अर्हता को पूरा किया जा सके। वाजपेयी ने कंप्यूटर लैब में नए कंप्यूटर देने का भरोसा दिया।

मेरठ कॉलेज का छात्र होना गर्व की बात

आईएएस और मेरठ निवासी निशांत जैन ने कहा कि मेरठ कॉलेज में असीम संभावनाएं हैं। जैन के अनुसार उनके पूरे जीवन का निर्माण मेरठ कॉलेज ने किया है। यहां पढ़ाई के साथ दूसरी गतिविधियां भी होती थी। इन गतिविधियों ने ही मेरे व्यक्तित्व का निर्माण किया। निशांत जैन इस वक्त जयपुर विकास प्राधिकरण के सचिव हैं और 2015 बैच के आईएएस हैं। वे हिन्दी माध्यम में टॉपर भी रहे। निशांत जैन ने कॉलेज से बीए, एमए किया। निशांत जैन के अनुसार वह आज जहां भी हैं मेरठ कॉलेज की वजह से हैं और कॉलेज ने ही उन्हें बेहतर इंसान बनाया है। विज्ञान, मानविकी, कॉमर्स और लॉ में आज भी मेरठ कॉलेज से बड़ा कोई केंद्र नहीं है। निशांत जैन ने कॉलेज प्रबंधन को भवनों को बेहतर करने पर जोर दिया। उनके अनुसार मेरठ कॉलेज का छात्र होना गर्व की बात है।

हर साल दो सौ मेधावियों को सात-सात हजार रुपये

प्रबंध समिति सचिव विवेक कुमार गर्ग ने कहा उनका लक्ष्य प्रतिवर्ष दो सौ जरूरतमंद मेधावियों को सात-सात हजार रुपये स्कॉलरशिप देने का है। कॉलेज ने छात्रवृत्ति कोष बनाया है। इस कोष में कोई भी पुरातन छात्र अपने या अपने संबंधी के नाम से तय राशि दे सकता है। पुरातन छात्र को एक लाख अथवा उसके गुणक में कोष में राशि जमा करानी होगी। इससे छात्र को ₹सात हजार रुपये की आर्थिक मदद 15 वर्षों तक दी जाएगी। छात्र का चयन विभाग स्तर पर होगा। विवेक गर्ग के अनुसार इसमें चार श्रेणियां होंगी। जो एक लाख रुपये देगा वह स्टार डोनर, जो तीन लाख देगा वह सिल्वर डोनर, जो पांच लाख देगा वह गोल्ड डोनर और जो 10 लाख रुपये दान करेगा वह प्लैटिनम डोनर होगा। कॉलेज को शुरुआती तीन दिन में इस कोष में 50 लाख की राशि की स्कॉलरशिप के सहमति पत्र मिल गए हैं।

जानकी भवन तक म्यूजियम को मिले विस्तार

कॉलेज में इतिहास विभाग के म्यूजियम को जानकी भवन तक विस्तार देने की बात उठी। हिन्दू हॉस्टल का यह भवन इतिहास विभाग के पास है। पुरातन छात्रों ने कहा यह भवन म्यूजियम को मिल जाएगा तो इसकी देखरेख भी हो जाएगी और संरक्षण होगा। फिलहाल म्यूजियम और भवन अलग-अलग हैं।

प्रमुख एल्युमिनी जो पहुंचे कॉलेज

आईएएस निशांत जैन, इतिहासकार डॉ.केडी शर्मा, असिस्टेंट कमिश्नर राजीव रंजन, पुलिस सेवा के सुधीर सिंह, अनुराग गौड, अमित बंसल, डॉ ज़ीनत जैदी, विधि विभाग में बांदा के जिला जज बब्बू सारंग, चित्रकूट के जिला जज विकास, रामपुर के जिला जज डॉ.विजय तालियान, हापुड़ की एडिशनल डिस्ट्रिक्ट जज रीमा बंसल, हनी गोयल, उमाकांत, बहराइच से पवन कुमार शर्मा, ग्वालियर के सिविल जज महेंद्र सैनी पहुंचे। एनएएस कॉलेज सचिव अमित शर्मा, माछरा डिग्री कॉलेज सचिव अमित त्यागी एवं अतुल कुमार, वरिष्ठ पत्रकार पुष्पेंद्र शर्मा, प्रदीप अरोड़ा भी पहुंचे। प्रो.चंद्रशेखर भारद्वाज, प्रो.प्रवीण दुबलिश, प्रो.एमपी वर्मा, प्रो.प्रगति रस्तोगी, विनय कुमार, जितेंद्र कुमार एवं प्रो.भूपेंद्र सिंह का सहयोग रहा।

संस्कृत विभाग में भी पहुंचे पुरातन छात्र

संस्कृत विभाग में पुरातन छात्र दिवस की अध्यक्षता प्रो.विजेंदर कुमार शर्मा ने की। 1974 में संस्कृत विभाग में उन्होंने एमए की परीक्षा उत्तीर्ण की थी। प्रो. दुर्गा प्रसाद मिश्र ने अनुभव साझा किए। विभागाध्यक्ष प्रो.वाचस्पति मिश्र ने पूर्व छात्रों का स्वागत किया। प्रो.शुचि अग्रवाल, डॉ.सुमित कुमार, डॉ. राजेश अग्रवाल, डॉ.सुखनंदन त्यागी, डॉ.सत्यनारायण, डॉ.प्रियंका शर्मा, डॉ.मुनीराम, डॉ.राजमणि मिश्र, डॉ.विजय बहादुर, डॉ.अरविंद कुमार मौजूद रहे।

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