200 साल बाद तृस्पर्शा वन्जुला महाद्वादशी, व्रत और दान का मिलेगा अक्षय फल
रविवार को एक ही दिन एकादशी, द्वादशी व त्रयोदशी आ रही हैं। इस दिन सामर्थ्य अनुसार निर्जल अथवा केवल गाय के दूध का ही सेवन कर उपवास रखना चाहिए। चारों...
रविवार को एक ही दिन एकादशी, द्वादशी व त्रयोदशी आ रही हैं। इस दिन सामर्थ्य अनुसार निर्जल अथवा केवल गाय के दूध का ही सेवन कर उपवास रखना चाहिए। चारों पहर शालिग्राम की उपासना करनी चाहिए। पुरोहितों के अनुसार इस दिन व्रत और दान का अक्षय फल मिलता है।
सुपरटेक विश्वनाथ मंदिर के पुजारी पंडित श्रीकांत शास्त्री बताते हैं कि 200 साल बाद तृस्पर्शा वन्जुला महाद्वादशी आ रही है। राजा अमरीश इसी एकादशी के व्रत को मथुरा आए थे और ऋषि दुर्वासा ने उनकी परीक्षा ली थी। पौराणिक कथा के अनुसार राजा ने उपवास पूरा होने पर ही प्रसाद देने को कहा। इस पर क्रोधित होकर ऋषि दुर्वासा, राजा की हत्या के लिए उनके पीछे भागे तब राजा द्वारा भगवान विष्णु का स्मरण करने पर उन्होंने सुदर्शन चक्र छोड़ा। भगवान कहते हैं कि वह भक्त के अधीन है। इसी दिन 12 संत सशरीर साकेत को प्रस्थान कर गए थे। भगवान श्री हरि ने इस वन्जुला एकादशी को बहुत प्रिय बताया है। उन्होंने बताया कि एकादशी, द्वादशी व त्रयोदशी के एक ही दिन पड़ने से महापुण्यकारी योग बन रहे हैं। शनिवार सुबह 9:18 से प्रारंभ हो रही है। कल एकादशी 6:45 सुबह तक है। उसके बाद द्वादशी 12:00 बजकर 15 मिनट रात्रि तक रहेगी। फिर त्रयोदशी अगले दिन तक रहेगी।
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