भागवत कथा में जीवन का सार तत्व मौजूद: उत्तमदास
बिनु परतीती होई नहीं प्रीति, अर्थात माहात्म्य ज्ञान के बिना प्रेम अस्थायी हो जाता है। भागवत कथा में जीवन का सार तत्व है। कथा वाचक उत्तमदास महाराज ने बताया कि कथा श्रवण से मनुष्य को परमानन्द की...
पूराघाट। बिनु परतीती होई नहीं प्रीति अर्थात माहात्म्य ज्ञान के बिना प्रेम चिरंजीव नहीं होता, अस्थायी हो जाता है। भागवत कथा में जीवन का सार तत्व मौजूद है। आवश्यकता है निर्मल मन और स्थिर के साथ कथा श्रवण करने की। भागवत श्रवण से मनुष्य को परमानन्द की प्राप्ति होती है। उक्त बाते नगर पंचायत क्षेत्र के बहुरहवा महादेव मंदिर पर आयोजित विष्णु महायज्ञ में मंगलवार को भगवत कथा के प्रथम दिन कथा वाचक उत्तमदास महाराज ने कहीं। कथा को आगे बढ़ाते हुए धुंधकारी चरित्र पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आत्मसात कर लें तो जीवन से सारी उलझने समाप्त हो जाएगी। द्रौपदी, कुंती महाभागवत नारी है। कुंती स्तुति को विस्तारपूर्वक समझाते हुए परीक्षित जन्म एंव शुकदेव आगमन की कथा सुनाई। अंत में संगीत एवं झांकी ने सबको कृष्ण रंग में सराबोर कर दिया। इस दौरान यज्ञाचार्य आचार्य अमन शुक्ल, विद्या मार्तंड, अरविंद स्वामी, महंत सुजीत दास, दिव्यलोचन पांडेय, संत शाश्वत दास महाराज सहित अन्य लोग उपस्थित रहे।
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