Hindi Newsउत्तर प्रदेश न्यूज़मऊThe department became a snag in the right to free education

नि:शुल्क शिक्षा का अधिकार में विभाग बना रोड़ा

वेबसाइट पर स्कूलों का रजिस्ट्रेशन नहीं होने से इस बार जिले में संचालित विद्यालयों में मुफ्त एडमिशन कम होने की आशंका जताई जा रही है। अभिभावकों ने...

Newswrap हिन्दुस्तान, मऊSat, 13 March 2021 10:50 PM
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मऊ। निज संवाददाता

वेबसाइट पर स्कूलों का रजिस्ट्रेशन नहीं होने से इस बार जिले में संचालित विद्यालयों में मुफ्त एडमिशन कम होने की आशंका जताई जा रही है। अभिभावकों ने जिलाधिकारी से मांग किया है कि इस दशा में ऑफलाइन आवेदन का विकल्प दिया जाए। विभाग की लापरवाही से अभिभावकों में काफी रोष है। अभिभावकों ने जिलाधिकारी को पत्र देकर उन स्कूलों को बेबसाइट पर रजिस्ट्रेशन करने की मांग किया है।

नि:शुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम के अंतर्गत निजी स्कूलों में 25 प्रतिशत सीटों पर नि:शुल्क नामांकन में इस बार विभाग ने ऑनलाइन आवेदन किए जाने का आदेश दिया। इसके लिए 2 मार्च से ऑनलाइन आवेदन लिए जा रहे हैं, परन्तु जनपद के बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों की उदासीनता के कारण 500 से अधिक विद्यालयों का आरटीई की वेबसाइट पर अपलोड नहीं करने से जनपद के हजारों बच्चों का भविष्य दांव पर लग गया है। वे लोग अपने बच्चे का नामांकन नहीं कर पा रहे हैं, क्योंकि जिस विद्यालय में अभिभावक अपने बच्चे का नामांकन कराना चाहता है वह स्कूल वेबसाइट पर ऑनलाइन प्रदर्शित नहीं कर रहा है। जिससे सरकार की सबसे महत्वकांक्षी योजना महत्वहीन साबित हो रही है। शिक्षा का अधिकार लागू कराने में विभाग ही सबसे बड़ा रोड़ा बना हुआ है। जिससे अभिभावकों में रोष है।

जनपद में नि:शुल्क और अनिवार्य शिक्षा अधिकार अधिनियम 2009 के अंतर्गत निजी विद्यालयों में 25 प्रतिशत सीटों पर होने वाले मुफ्त नामांकन में इस बार विभाग की तरफ से काफी दुश्वारियां देखने को मिल रही है। बताया जा रहा है कि महानिदेशक स्कूली शिक्षा विजय किरन आनंद ने इस बार नि:शुल्क शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 के अंतर्गत सभी एडमिशन को ऑनलाइन कर दिया है। जिसमें दुर्बल वर्ग व अलाभित समूह के बच्चों का मुफ्त नामांकन में ऑनलाइन मोड में आवेदन करने से पूर्व ही महानिदेशक स्कूली शिक्षा में जनपद के सभी स्कूलों को ऑनलाइन शिक्षा के अधिकार वेबसाइट पर उनका रजिस्ट्रेशन करने के निर्देश जिलाधिकारी के माध्यम से बेसिक शिक्षा अधिकारियों को दिया था। परंतु जनपद में शिक्षा विभाग की लापरवाही के कारण मात्र 140 स्कूलों का रजिस्ट्रेशन हो पाया है। जिससे जनपद में बहुत सारे स्कूलों में इस बार एक भी मुफ्त नामांकन नहीं हो पायेगा। हजारों बच्चे शिक्षा के अधिकार से वंचित रह जाएंगे।

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