गरीबों, मजलूमों व किसानों की आवाज थे स्वामी सहजानंद
महान स्वाधीनता सेनानी स्वामी सहजानन्द सरस्वती गरीबों, मजलूमों और किसानों की एक बहुत बड़ी आवाज थे। उन्होंने आजादी के आन्दोलन में नेताजी सुभाष चन्द्र...
मऊ। निज संवाददाता
महान स्वाधीनता सेनानी स्वामी सहजानन्द सरस्वती गरीबों, मजलूमों और किसानों की एक बहुत बड़ी आवाज थे। उन्होंने आजादी के आन्दोलन में नेताजी सुभाष चन्द्र बोष के साथ मिलकर देश के स्वाधीनता के लिए अंग्रेजों के विरूद्ध संघर्ष का विगुल फूंक दिया था। महान किसान नेता के रूप में यह राष्ट्र उन्हें सदैव याद करता रहेगा। यह बातें वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश सिंह स्वामी सहजानन्द सरस्वती की 132वीं जयंती समारोह के अवसर पर स्वामी सहजानन्द जनमंच के तत्वाधान में अस्तुपुरा में आयोजित कार्यक्रम में कही।
स्वामी सहजानन्द जनमंच के संस्थापक अध्यक्ष समीर राय ने कहा कि मानवीय मूल्यों व संघर्षों से सरोकार न रखने वाले लोग भले ही स्वामी सहजानन्द जैसे सच्चे जननायक और उनके राष्ट्रनिर्माण में किये गये ऐतिहासिक योगदान को भूल गये हों, परन्तु राष्ट्र की युवा चेतना उन्हे सदैव याद रखेगी। विशिष्ट अतिथि अवधेश राय इंजीनियर ने कहा कि स्वामी सहजानन्द सरस्वती भारतीय इतिहास की एक ऐसी धरोहर हैं जिनकी पूरी जीवन यात्रा संघर्ष की यात्रा है। संघर्ष के बल पर स्वामी जी ने तात्कालीक सामाजिक, राजनैतिक एवं आर्थिक परिस्थितियो को न सिर्फ प्रभावित किया, बल्कि उसे एक नयी दिशा प्रदान की। महान देश भक्त और अग्रणी किसान नेता के रूप में यह समाज उन्हे सदैव यादव रख्ेागा। इस अवसर पर विद्यापति राय, अभय राय, श्रीभगवान राय, सुधीर राय, रमेश दूबे, मनीष भारती, माखन लाल प्रजापति, अभिनव राय, प्रदीप राय, मनीष यादव, सफीउल्लाह, अभिषेक राय आदि मौजूद रहे।
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