झूठ, फरेब व बुराइयों से बचे रोजेदार : हाजी अमीर शाह
इस्लामी महीनों में माहे रमजान बरकतों और रहमतों का महीना है। इस मुबारक महिनें में रब्बुल-आलमीन के हुक्म से उनकें मुस्लमान बन्दें रोजा रखते हैं।...
चिरैयाकोट। हिन्दुस्तान संवाद
इस्लामी महीनों में माहे रमजान बरकतों और रहमतों का महीना है। इस मुबारक महिनें में रब्बुल-आलमीन के हुक्म से उनकें मुस्लमान बन्दें रोजा रखते हैं। महीना सब्र (जन्नत) का महीना है। यह वह मुकद्दस महीना है। जिसमें अल्लाह त आला ने अपना आखिरी कलाम कुरान, मजीद, नाजिल आदि इबादत करना हजार महिनों की इबादत से भी बेहतर है।
उक्त बाते ग्राम जसडा़ के हाजी अमीर शाह ने फरमाते हुए बताया कि माहे रमजान वह महीना है ,जिसका पहला दस दिन रहमत है। दूसरा दस दिन मगफिरत और तीसरा दस दिन जहन्नम से आजादी है। रमजान महीने में जिसके भी घर रोजेदार आते हैं, वह रहमत के फरिस्ते बनकर बरक्कतें लेकर आते है। जिन्हें इफ्तार कराने वालों को भी वैसा ही शबाब मिलेगा। जैसा रोजा रखने वाले रोजेदारों को मिलता है। हाजी अमीर शाह कहते है कि माहे रमजान भलाई का महीना है। इसलिए हमें चाहिए कि इस मुबारक महीने का एहतराम करें, और ज्यादा से ज्यादा नेकियाँ करे। माहे रमजान में सभी मुसलमान भाई-बहनों को प्रतिदिन रोजा रखना चाहिए तथा रोजेदारों को झूठ ,फरेब व बुराइयों से बचना चाहिए।
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।