दीवाली: दीयों की लौ से जगमगा उठे घर-आंगन
मऊ में दीवाली का पर्व धूमधाम से मनाया गया। लोग मां लक्ष्मी, भगवान गणेश और मां सरस्वती की पूजा कर सुख-समृद्धि की कामना कर रहे थे। शाम को दीप जलाने और आतिशबाजी का उत्सव मनाया गया। रंगोली सजाई गई और सोशल...
मऊ। अंधकार पर प्रकाश की विजय का पर्व दीवाली गुरुवार को जिलेभर में धूमधाम और उत्साह से मनाया गया। लोगों ने धन-धान्य, ऐश्वर्य और वैभव की अधिष्ठात्री देवी मां महालक्ष्मी, विघ्न विनाशक भगवान गणेश और विद्या एवं कला की देवी मां सरस्वती का विधि-विधान से पूजन-अर्चन कर सुख-समृद्धि देने और कष्टों को हरने की कामना की। शाम पांच बजे के बाद सूरज के ढलते ही लोगों ने अपने-अपने घरों के कोने-कोने, देवालयों को दीपमलाओं से सजाकर मिट्टी के दिये जलाए। दियों के जगमग करती उठते दिये के लौ से धरती से अंबर रोशनी से नहा उठा। नगर समेत ग्रामीण अंचलों में गुरुवार को दीवाली पर्व को लेकर काफी उत्साह दिखाई दिया। उत्साहित लोग सुबह से ही दीवाली पर्व मनाने की तैयारी शुरु कर दिए थे। पर्व को लेकर बच्चों, युवाओं एवं बुजुर्गों में जबरदस्त उत्साह दिखाई दिया। वहीं व्यवसायिक रूप से खास महत्व रखने वाले इस त्यौहार के मद्देनजर दुकानों पर लोगों को अपना लेनदेन चुकता करते देखा गया। त्योहार मनाने के पीछे मान्यता है कि भगवान विष्णु ने मां लक्ष्मी को राजा बलि के शिकंजे से छुड़ाया था। दूसरी कथा यह है कि इस दिन आकाश गंगा में से देवी लक्ष्मी का अभ्युदय हुआ था। जबकि तीसरी प्रचलित कथा यह है कि राम के वनवास से लौटने के बाद इसी दिन अयोध्यावासियों ने दीपोत्सव मनाया था। दीवाली मनाने के पीछे एक मान्यता यह भी है कि नरक के राजा बलि मृत्युदेव यम ही है। इसीलिए चारो ओर दीये जलाए जाते हैं। ताकि खानदान के पूर्वज प्रकाश देखकर यम से छुटकारा पा सकें। पर्व की इन्हीं सारी मान्यताओं को देखते हुए दीवाली के मौके पर दिये जलाए गए। साथ ही परंपरा के मुताबिक लक्ष्मी और गणेश की पूजा हुई। गुरुवार शाम को उत्साह के साथ लोगों ने लक्ष्मी जी एवं गणेश जी की पूजा-अर्चना किया गया। इस दौरान मिठाइयों और ग्रीन पटाखों के तरफ बच्चों का खासा उत्साह देखा गया। शाम से शुरू हुई आतिशबाजी देर शाम तक जारी रही।
शुभ मुहूर्त में लक्ष्मी-गणेश, कुबेर का किया पूजन
मऊ। कार्तिक अमावस्या पर चित्रा नक्षत्र, विष्कुंभ योग,स्थिर वृषभ लग्न में माता श्रीलक्ष्मी, प्रथम पूज्य भगवान श्रीगणेश, कुबेर देवता एवं कुल देवता का पूजन शुभ मुहूर्त शाम 6.27 बजे के बाद किया गया। दीवाली को माता लक्ष्मी की पूजा प्रदोष काल के साथ स्थिर लग्न में करना शुभ माना जाता है। मां लक्ष्मी की पूजा से जातक को उसके जीवन में धन-धान्य और संतान प्राप्ति की मनोकामना पूर्ण होती है।
कौड़ी खेल मां लक्ष्मी को किया प्रसन्न
मऊ। दीवाली पर लक्ष्मी माता को प्रसन्न करने के लिए लोग तरह-तरह के उपाए करते हैं। इन्ही उपायों दीवाली की रात में कौड़ी/जुआ खेलना शुभ माना जाता है। सो गांव से लेकर शहर तक ज्यादातर ने कौड़ी या ताश के पत्ते फेट कर दीवाली को शुभकारी बनाया। मान्यता है कि कौड़ी खेलने से धन-दौलत में वृद्धि होती है। मां लक्ष्मी प्रसन्न होतीं हैं।
घरों में आकर्षक रंगोली सजाई
मऊ। दीपोत्सव के अवसर पर फूलों व रंगोली से घर की सजावट मनमोहक रही। रंग-बिरंगे फूलों से अपनी चौखट को सजाया तो कुछ ने रंगोली के माध्यम से अपनी प्रतिभा बिखेरी। कुछ ने मां लक्ष्मी और गणेश की आकृति बनाई तो कुछ ने घरों के द्वार पर प्राकृतिक दृश्य बनाया। सुबह से लेकर देर शाम तक बाजारों में सजी दुकानों पर भीड़ लगी रही। सुरक्षा के लिहाज से पुलिस और अग्निशमन अधिकारी मुस्तैद रहे।
सोशल साइटों पर रही दीवाली पर्व की धूम
मऊ। संचार क्रांति के आधुनिक युग में त्योहारों को सेलिब्रेट करने का तरीका भी बदल गया है। पड़ोसी को बधाई देना लोग भले भूल गए, लेकिन सात समन्दर पार बैठे मित्र को प्रकाश पर्व की जमकर बधाई दी। गुरुवार को दीवाली पर्व पर फेसबुक, वाट्सअप, इंस्ट्राग्राम, एक्स समेत अन्य सोशल साइटों पर पूरे दिन बधाईयों का तांता लगा रहा। लोगों ने इसका जमकर लुफ्त भी उठाया। इंटरनेट की सतरंगी दुनियां में युवा, महिला, बुजुर्ग सभी रंगें नजर आ रहे हैं। धनतेरस पर्व के एक दिन पहले से ही पर्वों की बधाई देने का जो सिलसिला शुरू हुआ तो वह सोमवार की देर रात तक बदस्तूर जारी रहा।
झालरों की रोशनी से नहाया जिला
मऊ। शहर समेत ग्रामीण अंचलों में सूरज ढलने के साथ ही बहुमंजिली इमारतें विद्युत झालरों से झगमगा उठीं। ऐसा लग रहा था मानो स्वर्ग धरती पर उतर आया है। त्योहारों के बीच बिजली विभाग का साथ मिलने से लोगों का उत्साह दोगुना देखा गया। बीते दो वर्षों से चीन निर्मित सामानों के खिलाफ चले व्यापक मुहिम के बीच इस वर्ष अधिकतर लोगों ने देश में निर्मित विद्युत झालरों से घरों, प्रतिष्ठानों और दुकानों को दुल्हन की तरह सजाया था। सूरज ढलने के बाद पूरा शहर, ग्रामीण बाजारें और ग्रामीण अंचलों में सजे भवन बरबस ही आंखों को सकून दे रहे थे। बच्चे, महिलाएं पूरे दिन घरों को सजाने में व्यस्त रहे।
कमल 70 से हो गया सौ रुपये का
मऊ। दीवाली पर पूजा को कमल फूल की मांग खूब रहती है। बुधवार को एक कमल की कीमत 70 रुपये थी। गुरुवार को दीवाली के दिन बढ़कर सौ रुपये हो गई। फूल विक्रताओं का कहना है कि कमल फूल चेन्नई से मंगाए गए हैं इसलिए दाम बढ़ गया है।
व्यापारियों ने बहीखाता और तिजोरी पूजी
मऊ। व्यापारियों ने लक्ष्मी-गणेश पूजन के बाद बही खाता, तिजोरी की पूजा किया। मिट्टी के दिये जलाकर घर के कोने-कोने में रखे गए। बच्चों ने उत्साह के साथ दिये सजाए। बिजली के रोशनी के बीच मिट्टी के दिये से माहौल और खुशगवार हो गया। व्यापारियों ने प्रतिष्ठानों में जाकर पूजा अर्चना की। कई परिवार पूजन के बाद मंदिरों में पूजा अर्चना करने पहुंचे।
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