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बारिश के कारण ईंट कारोबारियों की कमर टूटी

बेमौसम बारिश ने क्षेत्र के ईंट भट्ठा मालिकों की आंखों से नींद उड़ा दी है। भट्ठे की धधकती आग धीमी पड़ गई है। कच्ची ईंटे गल कर कीचड़ में तब्दील हो गईं...

Newswrap हिन्दुस्तान, मऊFri, 21 May 2021 06:41 PM
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कोपागंज। हिन्दुस्तान संवाद

बेमौसम बारिश ने क्षेत्र के ईंट भट्ठा मालिकों की आंखों से नींद उड़ा दी है। भट्ठे की धधकती आग धीमी पड़ गई है। कच्ची ईंटे गल कर कीचड़ में तब्दील हो गईं हैं। कारोबारियों का कहना है कि लॉकडाउन के कारण काम कम होने से पहले ही कारोबार पर असर पड़ा था। अब बेमौसम बरसात से ईंट कारोबार को लाखों लाख का झटका लगा है। पाथ कर रखी गई ईंट गलकर कीचड़ में तब्दील हो गई है।

लगातार दो दिनों तक हो रही बारिश की वजह से कोपागंज ब्लाक के ईट का कारोबार प्रभावित हुआ है। बारिश की वजह से कच्ची ईंटें गल गई हैं। इस वजह प्रत्येक ईंट भट्ठा संचालक को 05 से 10 लाख रुपये का नुकसान हुआ है। कोपागंज के ईंट करोवारी वीरेंद्र यादव का कहना है कि कुछ दिक्कतों की वजह से इस साल कई कारोबारी तो अपना कारोबार ही नहीं शुरू कर पाए। जिन्होंने शुरू किया उन पर मौसम ने कहर बरपा दिया। उन्होंने ने प्रदेश सरकार से गुजारिश की है कि जून 2021 तक ईंट भट्ठा मालिकों को जीएसटी तथा अन्य करों में छूट दी जाए। कहा है कि यदि सरकार ने मदद नहीं की तो ईंट व्यवसाय प्रभावित हो जाएगा। कइयों की पूंजी टूट जाएगी।

हमीदपुर निवासी फरीद बाबा का कहना है कि दो दिनों तक लगातार बारिश हो जाने से ईंट कारोबार को काफी झटका लगा है। बारिश की वजह से कच्ची ईंटें गल गईं। इसकी वजह से 05 लाख रुपये का नुकसान हुआ है। काम बंद हो जाने की वजह से भी नुकसान हो रहा है। मजदूरों का खर्च तो उठाना ही पड़ेगा। रेवरीडीह निवसी दिनेश राय का कहना है कि पहले अत्यधिक ठंडी की वजह से काम प्रभावित हुआ। अब बेमौसम बारिश ने तबाही मचा दी है। ईंट भट्ठा चलाना है तो दोबारा ईंट पथवानी पड़ेगी। ईंट पाथने वाले मजदूरों को मजदूरी देनी पड़ेगी।

भठ्ठो पर रहने वाले परिवारों के सामने संकट

कोपागंज। जिले में तकरीबन सैकड़ो से अधिक ईंट भट्ठे संचालित हो रहे हैं। प्रत्येक ईंट भट्ठे पर 100 परिवार रहता है और ईंट पाथने से लेकर पकाने तक का काम करता है। इसके साथ ही कुछ अन्य लोग भी तैनात रहते हैं जो विभिन्न जिम्मेदारियां निभाते हैं। बरसात की वजह से काम रुक गया है। ईंट की पथाई भी बंद है। इन परिवारों को बैठकर खाना पड़ रहा है।

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