फिर अटका वृंदावन रिवर फ्रंट परियोजना का कार्य
Mathura News - वृंदावन में रिवर फ्रंट परियोजना, जो 2014 से चल रही है, अब फिर से अटक गई है। यूपीपीसीएल ने पुरानी दरों पर कार्य करने से इनकार कर दिया है। सिंचाई विभाग ने मामले को उच्चाधिकारियों के पास भेजा है। रिवर...
वृंदावन में आठ वर्ष से अटके रिवर फ्रंट का कार्य अब फिर अटक गया है। कार्यदायी संस्था अलीगढ़ की यूपीपीसीएल यूनिट-32 ने पुरानी दरों पर कार्य करने से इंकार कर दिया है। सिंचाई विभाग ने मामला उच्चाधिकारियों को भेजा है। उन्होंने अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया है। करीब 177 करोड़ रुपये की रिवर फ्रंट परियोजना वर्ष 2014 में शुरु हुई थी। इसमें आठ घाटों पर मिट्टी कटान रोकने एवं बाढ़ का आवेग कम करने को पानी में 3-4 फीट की दीवाल बनी थी। अंडरग्राउंड पाइपलाइन भी डाल रही थी। केशीघाट को आरती, स्नान व धार्मिक कार्यों के लिए सर्वाधिक चौड़ा एवं केंद्रीय घाट बनाकर 125 मीटर तक आठ घाट पक्के करने थे। 2016 में वृंदावन के मधुमंगल शुक्ला की यमुना में गिरते गंदे नालों की रोकथाम की याचिका पर हाईकोर्ट ने परियोजना पर स्टे लगा दिया था।। बाद में एनजीटी के आदेश पर जल निगम ने 23 में से 19 नाले टेप करने एवं शेष भी टेप करने का हवाला सिंचाई विभाग ने हाईकोर्ट में दिया था। तब हाईकोर्ट ने अगस्त में स्टे ऑर्डर हटाकर इसका काम शुरु करने की अनुमति दी थी।
इसके बाद सिंचाई विभाग ने स्टे हटने पर अगस्त से यूपीपीसीएल को कार्य शुरु करने के लिए पत्र भेजना शुरु कर दिया। करीब चार-पांच बाद पत्र मिलने के बाद यूपीपीसीएल ने गत दिनों अंतिम पत्र का जबाब दिया है। इसमें उन्होंने पुराने स्टीमेट के पुरानी दरों पर कार्य करने से साफ इंकार कर दिया है। इसके बाद सिंचाई विभाग ने मामले से अधीक्षण अभियंता, मुख्य अभियंता एवं शासन को अवगत करा दिया है। अब प्रकरण में रिवाइज स्टीमेट बनाने पर उच्च अधिकारी ही निर्णय लेंगे। इसके चलते फिलहाल साल-छह महीने रिवर फ्रंट का कार्य आरंभ होता नहीं दिख रहा है।
आठ घाट बनेंगे पर्यटन का बड़ा केन्द्र
रिवर फ्रंट में केशी घाट, जुगल घाट, गोविंद घाट, राधाबाग घाट, वराह घाट, कालिय दमनघाट, चीरघाट व शृगारवट घाट शामिल हैं। पर्यटन की दृष्टि से यह बड़ा केंद्र होगा। इससे श्रद्धालुओं की संख्या में बढ़ोतरी होगी। उनके बैठने को बेंच, प्रकाश आदि व्यवस्था होंगी। यहां पार्किंग को भी जगह तलाश रहे हैं।
हाईकोर्ट ने रिवर फ्रंट पर लगा स्टे ऑर्डर समाप्त कर निर्माण शुरु करने की अनुमति दी थी। कार्यदायी संस्था यूपीपीसीएल को कार्य शुरु कराने के लिए 4-5 बार पत्र लिखे थे। अब अंत में यूपीपीसीएल ने पुरानी दरों पर कार्य करने से इंकार कर दिया है। मामला उच्चाधिकारियों को बता दिया है। वहीं रिवाइज स्टीमेट पर निर्णय लेंगे-नवीन कुमार, एक्सईएन, अपर खंड आगरा नहर, सिंचाई विभाग
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