119 चालकों पर ही लाइसेंस, शहर में दौड़ रहे 12.5 हजार ई-रिक्शा
ई-रिक्शा चालक लाइसेंस बनवाने से काट रहे कन्नी119 चालकों पर ही लाइसेंस, शहर में दौड़ रहे 12.5 हजार ई-रिक्शा119 चालकों पर ही लाइसेंस, शहर में दौड़ रहे
जनपद की यातायात व्यवस्था के लिए नासूर बने ई-रिक्शों को चलाने वाले मात्र 119 के पास ही ड्राइविंग लाइसेंस हैं। जनपद की सड़कों पर वर्तमान में करीब 12500 ई-रिक्शा चल रहे हैं। जनपद की बिगड़ती यातायात व्यवस्था के लिए ई-रिक्शा बड़ा कारण हैं। सहायक संभागीय कार्यालय के रिकार्ड के अनुसार जंनपद की सड़कों पर तकरीबन 12500 ई-रिक्शा चलाए जा रहे हैं। इनमें से 119 ई-रिक्शा चालकों को छोड़ दें तो किसी के भी पास इन्हें चलाने का लाइसेंस नहीं है। ई-रिक्शा को चलाने के लिए सहायक संभागीय कार्यालय से अलग से लाइसेंस जारी किया जाता है, लेकिन ई-रिक्शा चलाने वाले ड्रइाविंग लाइसेंस बनवाने में कोई रुचि नहीं ले रहे हैं। विभागीय अधिकारी और यातायात पुलिस का भी इस ओर कोई ध्यान नहीं है। मजे की बात तो ये है कि ई-रिक्शा चलाने के लिए जो 119 लाइसेंस जारी किए गए है, वो 1 जनवरी 2013 से अबतक जारी हुए है। इससे साफ है कि ई-रिक्शा चलाने वाले ड्राइविंग लाइसेंस बनवाना नहीं चाहते हैं।
नियमों को ताक पर रख दौड़ाए जा रहे ई-रिक्शा और ऑटो
जनपद की सड़कों पर जितने भी ई-रिक्शा या ई-ऑटो दौड़ रहे हैं उनमें से अधिकतर के चालकों द्वारा यातायात नियमों का पाल नहीं किया जाता है। सहायक संभागीय विभाग की माने तो जनपद की सड़कों पर करीब 17 सौं ई-रिक्शा ऐसे हैं जिनका रोड टैक्स भी लम्बे समय से जमा नहीं हुआ है।
हर माह बढ़ जाते हैं करीब 400 ई-रिक्शा व ई-आटो
जनपद में ई-रिक्शा व ई-ऑटो की करीब 75 एजेंसियां वर्तमान में संचालित हैं। इन एजेंसियों पर एक माह में करीब 400 ई-रिक्शा व ई-आटो की विक्री हो जाती है। गुरूजी ई-रिक्शा एजेंसी स्वामी रवि बघेल की माने तो ई-आटो के आने के बाद ई-रिक्शों की विक्री थोड़ी कम हुई है। हर माह 400 के करीब ई-आटो व ई-रिक्शों की विक्री हो जाती है।
हादसे के बाद आती है दिक्कत
अनफिट ई-रिक्शा के सड़क पर दौड़ने का खमियाजा उसके सवार होने वालों को उठाना पड़ता है। अनफिट वाहन में सवारी करते समय यदि किसी प्रकार की दुर्घटना होती है और उसकी सवारी को इसमें नुक्सान होता है। तब जांच में यदि वाहन अनफिट पाया जाता है तो पीड़ित व्यक्ति को मिलने वाले बीमा में कई तरह की कानूनी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। ऐसी हालत में बीमा कंपनी पीड़ित को क्लेम देने से भी इनकार कर सकती है।
वर्जन-
वाहन स्वामियों से बकाया वसूल करने के लिए निरंतर अभियान चलाया जाता है। ई-रिक्शा स्वामियों पर रोड टैक्स का बकाया वसूल करने के लिए टीम को लगाया गया है। बकाया जमा नहीं करने पर वाहन को सीज करने की प्रक्रिया अमल में लाई जाएगी।
नीतू सिंह, एआरटीओ प्रशासन।
ई-रिक्शा चलाने के लिए अलग से ड्राइविंग लाइसेंस जारी किया जाता है। लाइसेंस हासिल करने वाले को 12 दिन का प्रशिक्षण दिया जाता है। इसके बाद उसे ई-रिक्शा चलाने का लाइसेंस जारी किया जाता है। वर्ष 2013 से अब तक कुल 119 लोगों को विभाग से ई-रिक्शा चलाने का लाइसेंस जारी किया गया है।
-नरेश चौधरी, आरआई।
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