बोले मथुराः साधन हैं न समाधान, कैसे बढ़े शृंगार का कारोबार
Mathura News - बोले मथुरा-ब्यूटी पार्लर आज के समय एक स्थापित कारोबार है, जिसका ज्यादातर संचालन महिलाओं के हाथ

ब्यूटी पार्लर आज के समय एक स्थापित कारोबार है, जिसका ज्यादातर संचालन महिलाओं के हाथ में हैं। एक समय था जब शहर में गिने चुने ब्यूटी पार्लर ही होते थे, लेकिन अब ब्यूटी पार्लर की संख्या बेहिसाब है। शहर के बाजारों ही नहीं अब तो गली-मोहल्लों में भी पार्लर खुल गये हैं। ब्यूटी पार्लरों में ग्राहकों की संख्या बढ़ी है, साथ ही पार्लरों की संख्या बढ़ने के साथ प्रतिस्पर्धा भी बढ़ी है। इसके साथ ही समस्याएं और चुनौतियां भी कम नहीं हैं। ऑनलाइन से कारोबार पर भी असर पड़ा है। वहीं सुरक्षा की बात भी पार्लर संचालिका करती हैं।
शहर में पिंक टॉयलेट, पिंक ऑटो रिक्शा, पिंक बस आदि सुविधाओं की मांग भी पार्लर संचालिकाओं ने की है। टी पार्लर ऐसी जगह है जो लोगों की सूरत बदल देता है। देखने में भले ही आपको उनका काम खास न लगता हो लेकिन हकीकत यह है कि अगर पार्लर में अनट्रेंड स्टाफ है तो आपको नुकसान भी उठाना पड़ सकता है। चेहरे पर मसाज कैसे करनी है, कहां पर क्लॉक वाइज हाथ चलाना है और कहां एंटी क्लॉक वाइज इसका ज्ञान पार्लर में कार्य करने वाले स्टाफ को होना चाहिये। अन्यथा आपकी स्किन के लिए समस्या हो सकती है। इसके अलावा कौन सा कैमिकल या क्रीम कितनी लगानी है, इसका भी ज्ञान होना चाहिये। अन्यथा चेहरे पर दाने हो सकते हैं।
बताते चलें कि अच्छा दिखने की चाहत जैसे-जैसे बढ़ रही है, वैसे-वैसे ही ब्यूटी पार्लर का कारोबार भी बढ़ता जा रहा है। बड़े शहरों से होते-होते यह कारोबार पहले छोटे शहरों में पहुंचा और उसके बाद इसने गांव-कस्बों की गलियों में भी अपना स्थान बना लिया। कोरोना काल और उसके बाद खुद का कारोबार शुरू करने का भी एक ट्रेंड तेजी से चलन में आया। यह भी एक बड़ा कारण रहा जिसके कारण ब्यूटी पार्लर की संख्या में इजाफा हुआ है। एक अच्छा पार्लर शुरू करने के लिए ठीक-ठाक निवेश करना पड़ता है। उसके बाद एक बड़ी चुनौती कर्मचारियों की नियुक्ति की है।
ट्रेंड स्टाफ रखने पर ब्यूटी पार्लर संचालकों को अपनी कमाई का बड़ा हिस्सा उनके वेतन के रूप में देना पड़ता है। वहीं, अनट्रेंड स्टाफ रखने पर ग्राहकों के संतुष्ट न होने की समस्या सामने आती है। बदलते ट्रेंड के अनुसार अपने कर्मचारियों को हेयर स्टाइल और मेकओवर के बारे में प्रशिक्षित भी करना होता है। इस पर भी अच्छा खासा पैसा खर्च होता है। ब्यूटी पार्लर संचालिकाओं का कहना है कि यदि इस तरह की स्तरीय ट्रेनिंग सरकारी स्तर पर कराई जा सके तो हम लोगों के लिए राहत की बात रहेगी।
शादी, त्योहार पर रौनक फिर छा जाती है मंदी
हिन्दुस्तान ने शहर के अलग अलग ब्यूटीशियनों से बात कर उनकी राय जानने की कोशिश की तो ब्यूटीशियनों ने बताया कि शादियां और तीज त्योहार पर ग्राहकों की भीड़ होती है। सीजन के बाद कम महिलाएं ही पार्लर आती हैं। समय कम होने के कारण ज्यादातर ग्राहक होम सर्विस का सहारा लेती हैं। ऐसे में पार्लर का काम मंदा हो जाता है। मंदी के समय स्टाफ रखना और सैलरी देना उनके लिए एक बड़ी चुनौती बन जाती है।
सेल्फ डिफेंस की मिले ट्रेनिंग
ब्यूटी पार्लर के क्षेत्र में काम कर रहीं महिलाएं हों या फिर किसी अन्य क्षेत्र की, सुरक्षा सभी के लिए एक बड़ा मुद्दा है। महिलाओं की समस्या कम नहीं हो रही हैं। इसके लिए बेहतर होगा कि बचपन से ही बालिकाओं को सेल्फ डिफेंस की ट्रेनिंग दी जाए। सेल्फ डिफेंस की ओर सरकार को बेहतर तरीके से ध्यान देना चाहिए। इससे महिलाएं व बेटियां शसक्त बनेंगी तथा अपनी सुरक्षा स्वयं कर सकेंगी।
महिलाओं व युवतियों को सताती है सुरक्षा की चिंता
पार्लरों में काम करने वाली महिलाओं और युवतियों का कहना है कि भले ही मौजूदा सरकार में महिला सुरक्षा पर काफी ध्यान दिया जा रहा है बावजूद इसके आज हमारे लिए सुरक्षा एक बड़ा मुद्दा है। हमें आए दिन इस समस्या से दो-चार होना पड़ रहा है। शादियों के सीजन में देर रात घर लौटते समय कई बार घटनाएं हो जाती हैं। महिलाओं की सुरक्षा के लिए पुलिसिंग को और बढ़ाने की जरूरत है, ताकि सुरक्षित माहौल मिल सके।
पार्लर संचालकों का कहना है कि पहले डायल 112 पुलिस का सड़क पर पहरा अधिक होता था, तब सुरक्षा का अहसास होता था। अब उसका भ्रमण कुछ कम हुआ है। उसकी सक्रियता बढ़नी चाहिए। पुलिस की सक्रियता बढ़ने से महिलाएं भय मुक्त होकर आसानी से बाजार आ सकेंगी। इससे जहां एक ओर महिलाओं के ब्यूटी पार्लर का कारोबार चमकेगा, वहीं कारोबार में भी उछाल आएगा। इससे महिलाओं की आर्थिक स्थिति भी सुधरेगी तथा वे स्वावलंबन की ओर अग्रसर होंगी जो कि सरकार की प्राथमिकता में है।
ये कहना है इनका
ब्यूटी पार्लर वालों का एक संगठन बनाने की जरूरत है। संगठन होगा तो सभी के नियम और कानून भी बनेंगे। हर मेकअप के रेट फिक्स होंगे तो कस्टमर को बारगेनिंग का मौका नहीं मिलेगा।
-आंचल
सामूहिक विवाह समारोह का आयोजन सरकारी स्तर पर प्रशासन कराता है। बड़ी संख्या में वधु होती हैं, उनके मेकअप का भी कांट्रेक्ट छोटे-छोटे ब्यूटी पार्लर संचालिकाओं को मिलना चाहिए।
-वंदना चौधरी
प्रोडक्ट्स के हिसाब से मेकअप का रेट होना चाहिए। कस्टमर नहीं देखता कि ब्रांडेड आयटम यूज कर रहे हो या लोकल। उन्हें सिर्फ कम रुपये से मतलब होता है कि फलां पार्लर वाली तो ये कम में कर रही है।
-सपना
सर्विस चार्जेस में ज्यादा अंतर नहीं होना चाहिए। पार्लर संचालकों के बिजनेस पर बहुत फर्क पड़ता है। क्लाइंट को समझाना चाहिए कि अगर अधिक रेट हैं तो क्यों? दूसरे पार्लर की कमियां नहीं गिनाई जानी चाहिए।
-अंजू सिंह
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