अब सुनाई नहीं देती मोर की कूह-कूह

वृंदावन। भगवान श्रीकृष्ण की क्रीड़ाभूमि में आज रंगबिरंगे पक्षी जैसे मोर पपीहा, नीलकंठ, तोता समेत अन्य चिड़ियाओं की चहचहाट नहीं सुनाई देती...

Newswrap हिन्दुस्तान, मथुराSun, 16 Feb 2020 09:17 PM
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भगवान श्रीकृष्ण की क्रीड़ाभूमि में आज रंगबिरंगे पक्षी जैसे मोर पपीहा, नीलकंठ, तोता समेत अन्य चिड़ियाओं की चहचहाट नहीं सुनाई देती है। देश-विदेश से आए भक्तों को अपनी ओर आकर्षित करने वाले ये पक्षी आज विलुप्त होते जा रहे हैं। वहीं लोग इनके कम होने के कारण इनका अवैध रुप से शिकार करना या फिर बंदरों के आतंक को मान रहे हैं।बता दें कि पूर्व यहां के अंधिकांश बाग बगीचा, मंदिर एवं कुंज-निकुंजों में लगे पेड़ों पर पक्षी की सुमधुर चहचहाटदेती थी। लेकिन आज ये पक्षी काफी दूर-दूर तक देखने को नहीं मिल रहे हैं। पंचकोसीय परिक्रमा और यमुना के किनारे मयूर नृत्य करते दिखाई देते थे। लेकिन आज मोर तो दिखाई नहीं दे रहे है लेकिन उनके पंख से बने पंखा, शोपीस, मुकुट एवं पोशाक बाजार में दिखाई दे रहे हैं। मोर पंख विक्रेता करन ने बताया कि अब यहां मोर तो हमें भी दिखाई नहीं देते है लेकिन हम ग्रामीणों से मोर पंखी को खरीदकर भगवान की पोशाक, मुकुट आदि बनाने में इनका प्रयोग कर रहे हैं। बताया कि कुछ लोग राजस्थान और मध्यप्रदेश के जंगलों से मोर पंख लगाकर यहां बेचते हैं। बताया कि एक मोर पंख पांच रुपये और मोर पंख से बना पंखा 30-40 रुपये में बेचते हैं। पोशाक विक्रेता दीपक गोयल ने बताया कि वह नहीं जानते की मोर पंख कहां से आ रहे हैं लेकिन वह तो मोर पंख बेचने आने वाले ग्रामीणों से पंख खरीदकर उन्हें पोशाक बनवाने में प्रयोग करते हैं। बताया कि मोर पंख भगवान का प्रिय होने के कारण इसकी बनी पोशाक और मोरमुकुट को खूब पंसद करते हैं।

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