Hindi Newsउत्तर प्रदेश न्यूज़मथुराThe devotees of the country and abroad will be witness to the age-old tradition

वर्षों पुरानी परम्परा के साक्षी बनेंगे देश-विदेश के श्रद्धालु

कोसीकलां। रंग, गुलाल, हंसी, ठिठोला में सराबोर गांव मे चहुओर खुशी का माहौल है, क्या बच्चे, क्या बूढे, क्या जवान हर जुवान पर सिर्फ और सिर्फ गांव मे...

Newswrap हिन्दुस्तान, मथुराMon, 29 March 2021 03:07 AM
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मथुरा/कोसीकलां। रंग, गुलाल, हंसी, ठिठोली में सराबोर गांव मे चहुंओर खुशी का माहौल है, क्या बच्चे, क्या बूढ़े, क्या जवान हर जुबान पर सिर्फ और सिर्फ गांव में लगने वाले पंडा मेले का उल्लास छाया है। जो एक बार लाखों श्रद्धालुओं के सामने हर वर्ष की तरह साकार होता नजर आएगा। सभी ग्रामीणों ने गांव में मेला देखने आने वाले परिचितों एवं रिश्तेदारों की खातिरदारी के लिए एक से एक पकवान बनाए हैं। पग-पग पर भंडारे, पेयजल तथा आने वाले लोगों के लिए बैठने की व्यवस्था की है। प्रहलाद नगरी गांव फालैन में 29 मार्च सोमवार की भोर की किरण में 3.30 से 4.30 बजे मौनू पंडा धधकती होलिका में से दूसरी बार प्रवेश कर बाहर आएगा। रविवार की सुबह से ही प्रहलाद कुंड मेला स्थल के पास धमार गायन शुरू हो गया। विशालकाय होलिका जिसका आकार व्यास में करीब 14-30 का है। पांचों गावों की सरदारी ने अपने-अपने घरों से कंडा, गूलरी मालाओं से होलिका को विशाल रूप दे दिया।

प्रहलाद नगरी गांव फालैन में आज एक बार फिर वर्षों पुरानी परंपरा का निर्वाहन होगा। जिसके देश-विदेश से आए लाखों श्रद्धालु गवाह बनेंगे। क्योंकि आज ही के दिन गांव फालैन में करीब 14-30 फुट व्यास की धधकती आग से होकर दूसरी बार मोनू पंडा प्रवेश कर बाहर आएगा। मेला कमेटी के अध्यक्ष उदयचन्द ने बताया कि रविवार दोपहर से ही पंडा अपने जप पर बैठ गया और शाम करीब पांच बजे से ही श्रद्धालुओं का गांव पहुचना शुरू हो गया। शाम से ही धमार गायन बाहर से आए गायक कलाकारों द्वारा शुरू कर दिया गया एवं देर रात को ही ग्रामीणों द्वारा रखी गई होलिका की फालैन, सुपाना, राजागढ़ी, वरचावली, नगला आदि पांच गांव के लोगों ने आकर पूजा की और गांव में निकलने वाले पंडा के सामने रौद्र रूप न धारण करने की प्रार्थना की। रात ढलते ही पंडा ने नगाड़ा, ढोलक, मजीरा आदि के साथ गाते बजाते पांचों गावों के नर-नारियों के साथ होलिका की परिक्रमा की और लग्न अनुसार पंडा के संकेत के अनुसार दीपक जलाया गया। जिस पर पंडा समय समय पर अपना हाथ रखता रहा। जब तक अग्नि में गर्माहट रहेगी पंडा जप में लीन रहेगा और जब दीपक की लौ शीतलता धारण करेगी तब होलिका में अग्नि प्रवेश करने का संकेत पंडा द्वारा दिये जाने के बाद अग्नि प्रज्जवलित की जाएगी। इसके बाद पंडा प्रहलाद मंदिर से निकलकर प्रहलाद कुंड में स्नान करने जाएगा तथा उसकी बहन प्रहलाद कुंड की घट्टी पर दूध, गंगाजल यानि पंचामृत का लोटा लिए खड़ी होगी। पंडा प्रहलाद कुंड से दौड़ता हुआ जब अग्नि के समक्ष आएगा तो उसकी बहन अग्नि में गंगाजल के छीटे डालकर अपनी शीतलता बनाए रखने की प्रार्थना करेगी। पंडा के बदन पर मात्र एक सफेद लंगोटी और सिर पर एक सफेद कपड़े की चीर वहीं शरीर पर भी एक सफेद कपड़े की चादर व हाथ में भक्त प्रहलाद द्वारा दी गई माला होगी, उसी के सहारे प्रहलाद जी का जाप करते हुए मात्र तीन कदमों में होलिका को लांघ कर अपने परिजनों की गोद में प्रवेश करेगा। गांव में श्रद्धालुओं के लिए विभिन्न सांस्कृति कार्यक्रमों का भी आयोजन किया गया है। पुलिस प्रशासन इस एतिहासिक मेले की सुरक्षा व्यवस्था में जुट गया है।

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