बोले मथुरा: अपने अस्तित्व को बचाने के लिए जूझ रहा है सौंख का सरसों तेल कारोबार
Mathura News - सरसों का तेल उद्योग विदेशी तेलों के आयात और सरकार की प्रतिकूल नीतियों से प्रभावित हो रहा है। सौंख क्षेत्र के स्पेलर संचालक इस उद्योग के अस्तित्व को बचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। अगर सरकार ने उचित...

कभी जमाना था कि घरों में सिर्फ और सिर्फ स्पेलर से ही सरसों का तेल आता था। इससे स्पेलर व्यापारी को भी लाभ होता था और घरों में शुद्ध तेल पहुंचता था, लेकिन आज बाजार का हाल कुछ और है। हिन्दुस्तान के बोले मथुरा अभियान के तहत सौंख क्षेत्र में लगे स्पेलरों के संचालकों ने कहा कि विदेशों से आयात होने वाले तेलों ने बाजार पर कब्जा कर लिया है। वहीं सरकार की प्रतिकूल नीतियां आज स्पेलरों के संचालकों परेशानी का सबब बन गई हैं। एक समय था जब सौंख सरसों के तेल और खल उद्योग के लिए जाना जाता था, लेकिन आज यहां तेल स्पेलर सिमटते जा रहे हैं। ज्यादातर स्पेलर संचालक इस उद्योग को मजबूरी में खींच रहे हैं। काफी लोगों को रोजगार देने वाला यह उद्योग अभी भी इसी उम्मीद के साथ संचालित किया जा रहा है कि कभी तो सरकार की नीतियों में व्यापारियों के इस उद्योग के लिए विशेष प्रोत्साहन योजना तैयार होगी। व्यापारियों की मानें तो सरकार की उपेक्षित नीतियों ने इस उद्योग को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाया है।
विभिन्न प्रकार के टैक्स, बिजली की बढ़ती दर, आयातित तेल पर छूट और बड़े कारोबारियों के लिए विशेष प्रोत्साहन से छोटे और मझोले व्यापारी बुरी तरह त्रस्त हैं। कभी खुर्जा, बुलंदशहर, दिल्ली, गाजियाबाद, अलीगढ़, भरतपुर और जयपुर तक अपनी पहचान बनाने वाला यह उद्योग अब अपना अस्तित्व बचाने के लिए जूझ रहा है। व्यापारियों का कहना है कि यदि सरकार ने इस उद्योग की सुध नहीं ली तो यह उद्योग दम तोड़ देगा।
हिन्दुस्तान के बोले मथुरा संवाद के तहत व्यापारियों ने एक स्वर में कहा कि सिस्टम में जिम्मेदार लोगों को तेल उद्योग बचाने के लिए विशेष प्रोत्साहन योजना तैयार करनी होगी। तेल उद्योग के लिए तर्क संगत टैक्स की दर निर्धारित करनी होगी। सैंपलिंग के इंस्पेक्टर राज से इस उद्योग को बचाने के लिए मानक तय करने होंगे। सरकार को राष्ट्रीय स्तर पर आयात और निर्यात पर नियंत्रण रखना होगा। छोटे कारोबारियों को अनुकूल वातावरण और आर्थिक प्रोत्साहन को कार्य योजना तैयार करनी होगी।
स्टार्टअप योजना के तहत नए उद्यमियों को आगे लाना होगा। उनके लिए बाजार के नियमों को सरल करना होगा। व्यापारियों का यह भी कहना है कि छोटे और मझोले व्यापारी अपने आप को तब ठगा महसूस करते हैं, जब एमएसपी पर सरसों खरीद लेने के बाद सरकार अपना स्टॉक सस्ते में बाजार में बेचने को तत्पर हो जाती है। इससे व्यापारी को स्टॉक में लगी अपनी रकम तक बचाना मुश्किल हो जाता है। व्यापारी पूरे वर्ष लाभांश की उम्मीद रखता है लेकिन इस तरह की व्यावसायिक गतिविधियां व्यापारियों की स्थिति और अनुमान को धराशाई कर देती हैं। व्यापारियों का कहना है कि व्यापार में अनिश्चितता उतार-चढ़ाव भी व्यापार को प्रभावित करते हैं। सरकार को इस ओर ध्यान देना चाहिए। संवाद के दौरान सरसों के तेल के काम में लगे लोगों ने कहा कि मौजूदा हाल को देखते हुए अब नई पीढ़ी इस काम से मुंह मोड़ रही है। कई घराने तो यहां ऐसे हैं, जो परंपरा के तौर पर इस काम से जुड़े हैं, लेकिन अब उनका भी मोह भंग हो रहा है।
बिजली संकट बढ़ा देता है खर्चा
सौंख। व्यापारियों का कहना है कि बिजली संकट उनका खर्चा और बढ़ा देता है। अगर बिजली आपूर्ति सही तरह से मिले तो व्यापारियों का खर्चा कम हो सकता है। लेकिन बिजली पर्याप्त नहीं मिलने के कारण मजबूरी में व्यापारियों को जनरेटर चलाना पड़ता है और जनरेटर चलाने से खर्चा बढ़ जाता है, जिसका असर व्यापारी पर पड़ता है। उधर जिन व्यापारियों पर जनरेटर नहीं हैं, उनको बिजली न होने पर मजदूरों के बैठ जाने पर भी उन्हें मजदूरी देनी पड़ती है। मंडी में सुविधा न होने से किसान होते परेशान:व्यापारियों का कहना है कि मंडी में किसानों की सुविधा के लिए कुछ भी नहीं है। पीने के लिए पानी की व्यवस्था नहीं है। शौचालय पर ताला लगा रहता है। किसानों को यहां लाने के लिए व्यापारियों को मशक्कत करनी पड़ती है। प्रशासन को चाहिये कि मंडी में सुविधाजनक माहौल बनाये, जिससे किसानों को परेशानी न हो।
कारोबारियों का दर्द
सरसों तेल का व्यापार लगातार घाटे का सौदा बनता जा रहा है। विभिन्न प्रकार के टैक्स और सरकार के असहयोग ने तेल उद्योग को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाया है। व्यापारियों को तेल मिल चलाना मुश्किल हो रहा है।
-शिवशंकर वर्मा
सरकार तेल उद्योग से टैक्स की उम्मीद तो रखती है लेकिन उद्योग को बचाने के लिए आवश्यक संसाधन का ख्याल नहीं रखती। अनियमित विद्युत आपूर्ति तथा मनमाने तरीके से सैंपलिंग को लेकर व्यापारी परेशान रहते हैं।
-महेश अग्रवाल
छोटे व्यापारियों के लिए यह व्यापार मुश्किल है। अधिकांश खर्च समान हैं, जबकि लाभांश की दर घट जाती है तो व्यापारी निराश हो जाता है। बाजार की गिरावट व्यापारी को बाजार से पलायन करा देती है।
-कप्तान चौधरी
एक तरफ तो बिजली की बढ़ती दर और अन्य खर्चे बढ़ रहे हैं, जबकि खल के मूल्य में पिछले पांच वर्ष से कोई उल्लेखनीय तरक्की नहीं हुई। सरकार को इस ओर ध्यान देना चाहिये।
-सोनू अग्रवाल
तेल उद्योग में मंडी टैक्स में विसंगति है। जिससे व्यापारी परेशान है। महंगी बिजली होने के कारण खर्चा और बढ़ जाता है। सरकार को बिजली यूनिट शुल्क में कमी करनी चाहिए।
-गोविंद स्वरूप अग्रव
तेल उद्योग किसान, कच्चा माल, मंडी, बिजली, श्रमिक के तालमेल से बनता है। अगर किसी भी प्रकार से कोई हिस्सा प्रभावित होता है तो व्यापारी को कीमत चुकानी पड़ती है।
-लक्षमण सिंह
तेल कुटीर उद्योग में शामिल है। प्रोसेसिंग से पहले सैंपलिंग लागू होती है। प्रशासन द्वारा मनमानी तरीके से सैंपलिंग कर ली जाती है। जिसके कारण इस उद्योग से जुड़े लोगों को परेशानी होती है।
-कमल
छोटे व्यापारियों के लिए यह व्यापार मुश्किल है। अधिकांश खर्च बराबर ही है, जबकि लाभांश घट जाता है और व्यापारी निराश हो जाता है। बाजार की गिरावट व्यापारी को बाजार से पलायन करा देती है।
-सूरज सिंह
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