गोकुल में मुस्लिम परिवार की आठवीं पीढ़ी ने गाई नंदोत्सव की बधाई
125 साल पहले होती खां ने शुरु की थी बधाई गायन की परंपरा -खुदावक्स बाबूलाल
गोकुल में आयोजित नंदोत्सव में आठ पीढ़ियों से बधाईयों पर भक्तों को थिरकाने वाला शहनाई वादक मुस्लिम परिवार आकर्षण का केन्द्र रहा। 20 कलाकारों की टीम के साथ इस परिवार ने घंटों तक गोकुल में बधाई गीतों का गायन किया तो हर कोई मस्ती से झूम उठा। इस टीम ने भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव व नंदोत्सव में अपनी गायकी के जादू से हर किसी को मुग्ध कर दिया। मुस्लिम परिवार ने कहा कि ब्रजभूमि में जन्म लेने के साथ-साथ गोकुल में श्रीकृष्ण जन्म की बधाईयां गाने से उनके खानदान का जीवन सफल हो गया है। हर बार की तरह इस बार भी मंगलवार की सुबह 20 कलाकारों के साथ ये मुस्लिम कलाकार गोकुल के नंदभवन पहुंच गए। नंदोत्सव को लेकर इन कलाकारों में भारी उत्साह था। ढोल-नगाड़े, मजीरा-झांझ और हारमोनियम की धुन पर जैसे ही उन्होंने तान छेड़ी तो हर कोई मस्ती से झूम उठा। नंदभवन, नंदकिला, राजा ठाकुर मंदिर, गोकुल नाथ मंदिर, मोर वाला मंदिर पर इन कलाकारों ने खूब धूम मचाई। बताते चलें कि यमुनापार के राम नगर निवासी खुदावक्स बाबूलाल के परदादा होती खां शहनाई, नौहबत व नगाड़ा बजाने का काम करते थे। 125 साल पहले होती खां ने श्रीकृष्ण जन्म के बाद गोकुल में बधाई गायन का क्रम शुरू किया तो उनके साथ लक्कू खां भी जुड़ गए। उनकी यह आठ पीढ़ी है, जो इस परंपरा को निभा रही है। शहनाई पार्टी के असगर खां, अकील, छोटे बाबू, अनीस ने हिन्दुस्तान को बताया कि कृष्ण जन्म पर बधाई गायन करने से उनको आत्मिक आनंद की अनुभूति होती है। ब्रजभूमि में जन्म लेने भर से उनका जीवन सफल हो गया है। नंदोत्सव के लिए पूरा परिवार एक महीने पहले रियाज शुरु कर देता है। उनकी यह कला भगवान कृष्ण को समर्पित है, जिसमें पुराने जमाने के ढोल नगाड़े, मजीरा, झांझ व हारमोनियम का प्रयोग किया जाता है।
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