बोले मथुरा-सरकार! डिजिटल लाइब्रेरी का सपना करो साकार
Mathura News - मथुरा में पुस्तकालयों की कमी से छात्रों को प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। छात्रों ने प्रशासन से एक विशाल पुस्तकालय खोलने की मांग की है, जिससे उन्हें आवश्यक अध्ययन...

पुस्तकालयों को ज्ञान गंगा का घाट कहा जाता है। ऐसा स्थान जहां पुस्तकें पढ़ने की आदत पूरी होती है। साहित्य के विशाल सागर में बिखरे मोतियों से परिचय होता है। पाठक सम-सामयिक घटनाक्रमों से बा-खबर होते हैं तो नई पीढ़ी भी प्रतिस्पर्धाओं की तैयारियों के लिए जरूरी सामग्री खोजती है। प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारियों में जुटे युवा चाहते हैं कि उनकी जरूरतों के अनुसार संसाधन-सुविधाएं बढ़ाई जाएं तो वह भी अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकेंगे, लेकिन सार्वजनिक पुस्तकालयों का अभाव है। डिजीटल सार्वजनिक पुस्तकालय तो दूर-दूर तक नहीं है।
एक समय था, जब मथुरा के गांधी पार्क में सार्वजनिक वाचनालय व पुस्तकालय हुआ करता था। 1970 के दशक तक इस पुस्तकालय में लोग पुस्तकें पढ़ने आते थे, लेकिन अब इस पुस्तकालय के अवशेष तक नजर नहीं आते। राजकीय संग्रहालय में भी पुस्तकालय है, लेकिन समय के अनुसार इसका डिजिटलाइजेशन नहीं हुआ। डेंपियर नगर में राजकीय पुस्तकालय भी करीब पांच दशक पुराना है। इस पुस्तकालय में आज भी प्राचीन किताबें हैं। हिन्दी व अंग्रेजी के समाचार-पत्र भी यहां आते हैं। इस राजकीय पुस्तकालय के बराबर ही काउंसलिंग सेंटर भी स्थापित किया गया है, लेकिन यहां सुविधाओं का अभाव है।
महानगर के सबसे पुराने सीबीएसई स्कूल अमरनाथ विद्या आश्रम में जरूर डिजिटल लाइब्रेरी है, जो करीब छह दशक पुरानी है। इसी तरह कुछ कालेजों में पुस्तकालय स्थापित किए गए थे। इनमें किशोरी रमण गर्ल्स डिग्री कालेज में पुराना पुस्तकालय आज भी है। एक समय था, जब विद्यार्थी कोर्स के साथ-साथ तमाम ज्ञानवर्धक पुस्तकों का अध्यन करने के लिए यहां जमे रहते थे। वृंदावन शोध संस्थान की जरूर पांडुलिपियों के लिए अपनी अलग पहचान है। कुछ इसी तर्ज पर वृंदावन में ही गीता शोध संस्थान की स्थापना की गयी है। इस सबके बावजूद मथुरा शहर में डिजिटल लाइब्रेरी या कहें पुस्तकालय का अभाव है।
हिन्दुस्तान समाचार-पत्र ने बोले मथुरा के माध्यम से विद्यार्थियों से संवाद स्थापित किया। कॉलेज के छात्रों ने पुस्तकालय की व्यवस्थाओं पर सवाल उठाया। कहा कि इस आधुनिक जमाने में डिजिटल लाइब्रेरी चलाने की बात हो रही है, जबकि मथुरा के कॉलेजों के पुस्तकालय में किसी सुविधा का विस्तार न होना चिंता का विषय है। कॉलेजों की लाइब्रेरी में नई किताबें नहीं आतीं हैं। पाठक केवल अखबार और पत्र-पत्रिकाएं ही पढ़ पाते हैं। इंटनरेट की धीमी स्पीड कंप्यूटर संचालन में बाधक बनती है, जबकि नौकरी के लिए प्रतियोगी परीक्षा पास करने के लिए तमाम युवा तैयारी करने में लगे हैं। तैयारी के लिए अच्छे माहौल के लिए लाइब्रेरी की सबसे बड़ी जरूरत है।
ग्रामीण इलाकों से आने वाले छात्रों की आती है समस्या
कॉलेज के छात्रों ने बताया कि सबसे ज्यादा दिक्कतें ग्रामीण अंचलों से आने वाले छात्रों को होती है। वह प्रतियोगी परीक्षाओं की किताबें खरीदने में असमर्थ होते हैं। ऊपर से उनको पुस्तकालय में भी कोई लाभ नहीं मिल पाता है। पुस्तकालय हैं तो उनमें नए सेमेस्टर नए कोर्स की किताबें नहीं है। जिले में पुस्तकालय की भी भारी कमी है। प्रशासन द्वारा अगर शहर में एक विशाल पुस्तकालय को संचालित कर दिया जाए तो प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले छात्र-छात्राओं को लाभ मिलेगा। उन्होंने प्रशासन से जिले में एक विशाल पुस्तकालय को संचालित करने की मांग की है जिससे शहरी क्षेत्र के अलावा ग्रामीण क्षेत्र के छात्रों को भी लाभ मिले।
करंट अफेयर्स से संबंधित पत्रिकाएं नहीं मिल पाती हैं
छात्र-छात्राओं की मांग है कि प्रशासन द्वारा शहर में एक बृहद रूप में लाइब्रेरी संचालित की जानी चाहिए, जिससे कि शहर वासियों के अलावा आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों के जो छात्र-छात्राएं प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं। वो भी यहां स्वध्यायन का लाभ उठा सकें। इसके साथ ही प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले छात्र-छात्राओं का कहना है कि प्रशासन द्वारा संचालित उस लाइब्रेरी में अध्ययन के लिए करंट अफेयर्स से संबंधित मासिक पत्रिकाएं अवश्य उपलब्ध हो। छात्र-छात्राओं को सबसे ज्यादा दिक्कतें यूपीएससी तथा पीसीएस की तैयारी से संबंधित बुक्स की होती है। लेकिन शहर में एक भी लाइब्रेरी ना होने के कारण उनको दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।
ये कहना है छात्राओं का
ज्ञानगंगा को बढ़ाने में पुस्तकालय एक अच्छा माध्यम है, लेकिन छात्र-छात्राओं की बढ़ती संख्या के कारण अब प्रशासन को एक सरकारी पुस्तकालय खोलने पर विचार करना चाहिए। इससे ग्रामीण क्षेत्रों के छात्रों-छात्राएं भी लाभान्वित हो सकेंगे।
-भावना
पुस्तकालय में आने से हमें अध्ययन में बहुत सहायता मिलती है, लेकिन जिले में पुस्तकालय की कमी से भारी असुविधा का सामना करना पड़ता है। प्रशासन यदि इस समस्या का समाधान करदे तो निजात मिल सकती है।
-प्रियंका
यूपीएससी और पीसीएस जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए हमें करंट अफेयर्स से संबंधित मासिक पत्रिकाओं की आवश्यकता भी पड़ती है। इससे हम यूपीएससी और पीसीएस जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए बेहतर ढंग से तैयारी कर सकेंगे।
-आरजू तोमर
स्वाध्ययन के लिए लाइब्रेरी का माहौल बहुत जरूरी है। छात्र-छात्राओं की संख्या तो लगातार बढ़ रही है। लेकिन जनपद में लाइब्रेरी की कमी है। यदि पुस्तकालय का विस्तार हो जाए, तो हमें बहुत लाभ मिलेगा।
-निपुन तोमर
भले ही वर्तमान समय में सब डिजीटल हो गया है। लेकिन मोबाइल, कंप्यूटर, नेट व अन्य सोशल साइटस के माध्यम से वो पढ़ाई नहीं हो पाती है। जो पुस्तक पढ़ने के बाद अर्जित होती है। सरकार को इस बारे में सोचना चाहिए।
-रितु ठाकुर
लाइब्रेरी में स्वाध्ययन
को वातावरण अच्छा रहता है। प्रशासन को जिले में विशाल लाइब्रेरी स्थापित करनी चाहिए। जहां अध्ययन के लिए मासिक पत्रिकाएं, प्रतियोगी परीक्षा की किताबों के अलावा समस्त विषय की किताबें उपलब्ध हों।
-श्रृष्टि
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