गोकुल समेत समूचे ब्रज में नंदोत्सव की धूम आज
कान्हा के जन्म के साथ ही गोकुल के लिए कूच करने का भक्तों का रेलाकान्हा के जन्म के साथ ही गोकुल के लिए कूच करने का भक्तों का रेला -गोकुल की गलियों में
श्रीकृष्ण जन्मोत्सव के बाद मंगलवार को गोकुल समेत समूचे ब्रज में नन्दोत्सव की धूम मचेगी। इसके लिए गोकुल के नंदभवन में दिनभर तैयारियां चलीं। यहां देश-विदेश के श्रद्धालु नंदोत्सव का हिस्सा बनने पहुंचेंगे। इधर, श्रीकृष्ण जन्मस्थान, भारत विख्यात द्वारिकाधीश मंदिर व श्रीजी बाबा आश्रम में तैयारियां की गयी हैं। नंदोत्सव में भक्तों पर फल-मेवा, प्रसाद के साथ-साथ खिलौनों की बरसात की जाएगी। श्रीकृष्ण जन्मभूमि पर जन्मोत्सव के बाद दूर-दराज से आए श्रद्धालुओं ने मंगलवार की रात से ही गोकुल के लिए कूच शुरु कर दिया था। गोकुल की गलियों में रात में ही भक्तों के टोल पहुंचने शुरु हो गये थे। सुबह यहां आस्था का रेला उमड़ेगा। इसके साथ ही अन्नकूट का प्रसाद भी लगाया जाएगा, जिसका जगह-जगह वितरण होगा। पौराणिक मान्यता के अनुसार कंस के कारागार में जन्म लेने के बाद वासुदेव की जी भगवान श्रीकृष्ण को गोकुल योशादा और नंदबाबा के यहां ले गए थे। भगवान श्रीकृष्ण के गोकुल पहुंचने पर यहां नन्दोत्सव मनाया गया था। खुशी में नंदबाबा ने माला, मोती, मूंगा, मेवा के साथ-साथ धनवर्ष भी की थी। इसी के अनुरूप मंगलवार की सुबह गोकुल के नंदभवन से लाला का डोला निकाला जाएगा। तत्पश्चात, नंदचौक में नंदोत्सव की धूम मचेगी। इसके लिए गोकुलवासियों ने तैयारियां की हैं। कोई सज-संवर रहा है तो कोई घरों को सजा रहा है। गोकुल की गलियों में उल्लास का माहौल है।
उधर, नंदगांव में नंदोत्सव की धूम मचेगी। अष्टमी के दिन मां यशोदा को प्रसूता की भांति आहार दिया जाता है। रात को श्रीकृष्ण जन्म होता है। जन्म के बाद शीत से बचाने के लिए सोंठ और धनिया की पंजीरी दी जाती है। जन्म के बाद यशोदा के मस्तक व पेट पर कपड़ा बांध दिया जाता है, जो कान्हा की छठी तक बंधा रहता है। नंदभवन में नंदगांव व बरसाना के सामाजियों के बीच समाज गायन होगा। शंकर लीला, मटकी लीला, दधि-कांधा, बांस बधाई आदि कार्यक्रम होंगे। इसके अलावा श्रीकृष्ण जन्मस्थान और द्वारिकाधीश मंदिर में भी नंदोत्सव की धूम मचेगी। श्रीजी बाबा आश्रम में नंदोत्सव के विशेष आयोजन की तैयारियां चल रही हैं। इसके साथ ही ब्रजवासी भी कान्हा का जन्म होने के बाद मंगलवार को कढ़ी-चावल, पूड़ी, पूआ और पकवान बनाकर कान्हा का प्रसाद लगाएंगे। लड्डू गोपाल के स्वरूप को पालने में भी झुलाया जाएगा।
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