गो, गंगा, गीता सनातन धर्म की रीढ़ : सत्यदेव महाराज
चौमुहां मनी थोक में श्रीमद् भागवत कथा में सत्यदेव महाराज ने गंगा, गीता और गोसेवा के माध्यम से ईश्वर का मार्ग बताने के साथ-साथ भक्ति, ज्ञान, बैराग्य और त्याग की महत्ता पर जोर दिया। कथा समापन पर 14...
गंगा, गीता व गोसेवा से ईश्वर का मार्ग सहज है। इंसान गंगा जैसा पवित्र, गीता जैसा पथ, मर्यादा पुरूषोत्तम जैसा संयमित हो। महिलाएं सीता जैसा चरित्र रखें। भक्त गोपियों जैसी भक्ति करें। उक्त विचार यहां चौमुहां मनी थोक में श्रीमद् भागवत कथा में व्यासपीठ से सत्यदेव महाराज ने व्यक्त किए। यहां स्व. ठाकुरिया भगत एवं स्व. प्रहलाद भगज की स्मृति में कथा आयोजन चल रहा है। उन्होंने कहा कि भागवत में भक्ति, ज्ञान, बैराग्य एवं त्याग समाहित हैं। हर इंसान सत्कर्म व भगवान का भजन जरूर करे। जरूरी नहीं है कि माला सुमरन से ही भजन हो, काम के साथ भी ईश्वर में ध्यान भी भजन है। उन्होंने कहा कि भागवत के समक्ष अमृत भी फीका है। भावगत पोथी, पन्ना नहीं बल्कि पाप मोचक औषधि है। कथा में बाबू सिंह सिसौदिया, लाखन सिंह सिसौदिया, बंशीधर शास्त्री, पुष्कर सिंह सहयोगी रहे। पुष्कर सिंह ने बताया कि कथा समापन पर 14 नंवबर को आगरा मंडल का झरा भंडारा होगा। इसके लिए। करीब 10 एकड़ में पांडाल लगाकर व्यापक तैयारियां चल रही है।
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